सबरीमाला मंदिर (Sabarimala temple) काफी समय से सुर्खियों में है। दरअसल, इस मंदिर में सालों से रजस्वला स्त्रियों (पीरियड की उम्र वाली महिलाओं) का प्रवेश वर्जित है। इसके विरोध में कई बार आवाज़ें मुखर हुई हैं पर धर्म व आस्था को ध्यान में रखते हुए उनको दबा दिया गया था। अब एक बार फिर सबरीमाला मंदिर विवाद शुरू हो चुका है और इस बार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी प्रमुखता नहीं दी जा रही है।
सबरीमाला मंदिर विवाद : कहां और क्यों
सुर्खियों में छाया सबरीमाला मंदिर केरल स्थित पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में है। यह मंदिर 12 वीं सदी में बना था और यहां भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है। भगवान अयप्पा को भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूपी अवतार ‘मोहिनी’ का पुत्र माना जाता है। इस मंदिर की देखरेख का जिम्मा राज्य में मंदिरों का प्रबंध देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के हाथ में है। मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इसीलिए इस मंदिर में रजस्वला स्त्रियों का प्रवेश निषेध है। सबरीमाला मंदिर की 18 सीढ़ियां चढ़ने की प्रक्रिया को भी बेहद पवित्र माना जाता है। यहां आने वाले सभी तीर्थयात्रियों को 41 दिनों के कठिन व्रत का पालन करते हुए यात्रा पूरी होने तक काले या नीले रंग के वस्त्र ही धारण करने होते हैं। यही वजहें बताते हुए पीरियड्स की आयु वाली महिलाओं को मंदिर में आने की अनुमति नहीं दी जाती है। इस मंदिर के इतिहास और परंपरा के मुताबिक, 10 साल से ज्यादा और 50 साल से कम उम्र की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती
‘द इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन’ ने सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को चुनौती दी थी। महिलाओं पर यह प्रतिबंध 800 साल से लगा हुआ है। इस याचिका में केरल सरकार, मंदिर के मुख्य पुजारी, द त्रावनकोर देवस्वम बोर्ड व डीएम को 10 से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने की मांग की गई थी। इस मामले में 7 नवंबर 2016 को केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह मंदिर में इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के समर्थन में है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने की बात की थी। मगर अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 19 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर कोर्ट 13 नवंबर को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर के कपाट खोले गए थे पर महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई।
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छह दिन बाद ही सोमवार को देर रात मंदिर के कपाट फिर बंद कर दिए गए।
मंदिर में जाने की कोशिश में रेहाना
सोशल एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा (Rehana Fathima) ने केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रेहाना और हैदराबाद की एक पत्रकार कविता जक्कल ने भारी पुलिस प्रोटेक्शन के बीच सबरीमाला मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की थी। हालांकि, उन्हें कुछ ही दूर से वापस आना पड़ा था। इसके बाद रेहाना के घर पर हमला भी किया गया था। अपनी इस कोशिश के बाद से रेहाना एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। रेहाना फातिमा को केरल मुस्लिम जमात काउंसिल ने अपने समाज से बाहर करने का ऐलान कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाएं आहत की हैं। काउंसिल ने एर्नाकुलम सेंट्रल मुस्लिम जमात से भी रेहाना फातिमा व उनके परिवार को बाहर करने को कहा है। काउंसिल के अनुसार, फातिमा को मुस्लिम नाम इस्तेमाल करने का भी हक नहीं है। सबरीमाला मंदिर विवाद से पहले भी वे अपनी अजीबोगरीब हरकतों के चलते सुर्खियों में जगह बना चुकी हैं।
विवादों में रही हैं रेहाना फातिमा
दो बच्चों की मां रेहाना फातिमा एक सरकारी कर्मचारी, मॉडल और सोशल एक्टिविस्ट हैं। मार्च 2018 में उन्होंने कोझीकोड के एक प्रोफेसर के बयान के बाद कुछ ऐसा किया था कि वे चर्चा में आ गई थीं। दरअसल, उस प्रोफेसर ने कहा था कि महिलाओं को अपने तरबूज जैसे स्तनों को ढककर रखना चाहिए। इसके विरोध में रेहाना ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर की थी, जिसमें उन्होंने अपने स्तनों को तरबूज से ढका हुआ था।
हालांकि, फेसबुक ने ट्रोल किए जाने व धमकी के डर से इस पोस्ट को हटा दिया था। रेहाना एक ऐसी पारंपरिक टाइगर डांस टीम का भी हिस्सा हैं, जिसमें सिर्फ पुरुष ही शामिल होते हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वे किसी ऐसी जगह परफॉर्म करना चाहती हैं, जहां सिर्फ पुरुषों का ही बोलबाला हो। सिर्फ इतना ही नहीं, रेहाना फातिमा चर्चित ‘किस ऑफ लव’ कैंपेन का भी हिस्सा रह चुकी हैं। उनके पार्टनर व फिल्मकार मनोज के श्रीधर ने उन्हें किस करते हुए अपनी एक क्लिप सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
न्यूड सीन कर चुकी हैं फातिमा
रेहाना फातिमा इंटरसेक्सुअलिटी पर बनी फिल्म ‘एका’ में भी अभिनय कर चुकी हैं। इस फिल्म में रेहाना ने न्यूड सीन भी दिए थे और उनका कहना था कि इन सीन्स को शूट करते वक्त वे बेहद सहज महसूस कर रही थीं। यह फिल्म उन लोगों के बारे में है, जिनके जीन्स में खराबी या हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से उनके जेनाइटल्स न तो महिला के होते हैं और न ही पुरुष के। इस फिल्म के पोस्टर की टैगलाइन है, ‘मैं मध्यलिंगी हूं। बचपन से ही मेरे लिंग और योनि दोनों हैं। मैं जीना चाहता हूं।’
रेहाना को सहज महसूस करवाने के लिए पूरी फिल्म के क्रू ने अपने सभी कपड़े उतार दिए थे। सोशल मीडिया पर रेहाना के बायो में लिखा है, ‘ब्रेक द रूल’ (नियम तोड़ दो)। रेहाना के मुताबिक, उन्हें समझ में नहीं आता है कि एक के शरीर को लेकर इतना विवाद क्यों होता है। वे महिलाओं के शरीर से जुड़ी हुई सीमाओं पर सवाल करना चाहती हैं। उन्हें इस बात पर सख्त आपत्ति है कि महिलाओं और पुरुषों के लिए शरीर से संबंधित अलग- अलग मानक बनाए गए हैं।
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