सुप्रीम कोर्ट ने साइन लैंग्वेज में केस की प्रोसीडिंग करना शुरु कर दिया है और इसकी मदद से जो लॉयर सुन नहीं सकते हैं वो भी प्रोसीडिंग में हिस्सा ले सकते हैं। दरअसल, 22 सितंबर को एडवोकेट ऑन रिकोर्ड संचिता एन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया DY Chandrchud की बेंच के सामने एक रिक्वेस्ट रखी। यह रिक्वेस्ट उन्होंने पर्सन विद डिसएबिलिटी के लिए रखी थी और इसकी पेशकस डेफ एडवोकेट सारा सनी ने वर्चुअली की थी। इसके लिए उन्होंने साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल किया था और उनके आर्ग्युमेंट को सौरव रॉयचौधरी ने इंटरप्रेट किया था।
CJI तुरंत ही इस पर एग्री हो गए और उन्होंने वर्चुअल कोर्ट सुपीरियर के जरिए सारा और सौरव के लिए एक हियरिंग विंडो ऑपन कराई। कोर्ट की दुनिया – जहां हमेशा शोर-शराबा ही सुनाई देता है में पहली बार साइन लैंग्वेज के जरिए केस की सुनवाई हुई और इसी के साथ सारा ने अपना नाम इतिहास में दर्ज कर लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि सारा पहली डेफ लॉयर हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में केस पेश कर रही हैं।
कौन हैं सारा सनी
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सारा सनी बेंगलुरु आधारित हियरिंग इम्पेयर्ड एडवोकेट हैं और साथ ही वह ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क की सदस्य भी हैं। सारा की लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक उन्होंने अपनी लीगल जर्नी की शुरुआत St. Joseph College of Law से की थी, जहां से उन्होंने एलएलबी में बैचलर की है। इसके बाद अलग-अलग जगह इंटर्नशिप के जरिए उन्होंने लीगल इंडस्ट्री का काफी एक्सपीरियंस भी प्राप्त किया है। उन्होंने सेंटर ऑफ लॉ और पॉलिसी रिसर्च आदि के लिए काम किया है।
सारा ने 2017 में ज्योति निवास कॉलेज से बीकॉम में अपनी ग्रेजुएशन की थी और इसके बाद उन्होंने अपनी लीगल स्टडी शुरू की थी। वह मार्केटिंग, अकाउंटिंग और बिजनेस लॉ में स्पेशलाइज्ड हैं। सारा ने अपने शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रयासों के दौरान मानवाधिकार कानून, संवैधानिक कानून और विकलांगता कानून में रुचि विकसित की । उनका उद्देश्य लोगों और इच्छुक कानूनी पेशेवरों को कानूनी पेशे में प्रवेश करने में सहायता करके बदलाव लाना है। वह डेफ लोगों के राष्ट्रीय संघ की भी वकालत करती हैं।
इस बारे में इंडिया टुडे से बात करते हुए सनी ने कहा, ”यह मेरे लिए सपना सच हो जाने जैसा है। मैं हमेशा से ही भारत के हाइएस्ट कोर्ट में केस पेश करना चाहती थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि यह इतनी जल्दी होगा और वो भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के सामने। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है और मैं ऐसे लोगों के लिए रोल मॉडल बनना चाहती हूं जो स्पेशली-एबल्ड हैं।”
स्पेशली-एबल्ड लोगों की मदद करने और अधिक लोगों को लीगल इंडस्ट्री में आने के लिए इंस्पायर करने के लिए सनी ने कहा कि वह संवैधानिक लॉ, डिसएबिलिटी लॉ और ह्यूमन राइट्स लॉ के बारे में और चीजें सीख रही हैं।
सौदामिनी पेठे हैं भारत की पहली डेफ एडवोकेट
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पिछले साल दिसंबर में सौदामिनी पेठे- पहली डेफ एडवोकेट को बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में एनरॉल किया गया था। वह स्पेशली एबल्ड लोगों के अधिकारों की वकालत करती हैं और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और न्याय तक पहुंच दिलाने में मदद करती है। पीटीआई के मुताबिक सौदामिनी का जन्म मुंबई के डॉम्बीवली में हुआ है। नौ साल की उम्र में मेनिनजाइटिस से संक्रमित होने और बाद में उनकी सुनने की क्षमता में कमी आ गई थी।