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नवजात शिशु को नहलाना

नवजात शिशु को नहलाते समय किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

न्यू मॉम के लिए नवजात शिशु की देखभाल करना बहुत चुनौती भरा काम होता है। बात तब और भी मुश्किल भरा हो जाता है जब शिशु को नहलाने की बात आती है। नवजात शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है, इसलिए नहलाते समय बहुत एहतियात बरतने की जरुरत होती है। कुछ शिशु नहाते समय खुश होते हैं तो कुछ रोते रहते हैं। इसलिए नवजात शिशु को नहलाना मुश्किल भरा काम होता है।

चिंता न करें इस लेख के जरिये हम आपकी मुश्किलों को आसान करने की कोशिश करेंगे और बताएंगे की नवजात शिशु को नहलाते वक्त किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

सबसे पहले बात करते हैं कि नवजात शिशु को नहलाना कब से शुरू करना चाहिए ? हम जानते हैं ऐसे छोटे-छोटे सवालों को लेकर आप टेंशन में रहते हैं तो फिर देर किस बात की, चलिए आपके एक-एक सवालों पर बात करते हुए हम आपको टेंशन फ्री करते हैं।

नवजात शिशु को नहलाना कब से शुरू करना चाहिए?

नवजात शिशु को नहलाना
बेबी शावर

वैसे तो जन्म के तुरन्त बाद अस्पताल या नर्सिंग होम में आया या नर्स नवजात शिशु के शरीर में लगे रक्त, द्रव्य आदि को पोंछकर साफ कर देती हैं। लेकिन पहला स्नान 12- 24 घंटे बाद ही करवाना उचित होता है, क्योंकि शरीर का तापमान गिरने पर शिशु के सेहत को नुकसान पहुँच सकता है। 

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नवजात शिशु के नाभी से जुड़ा जो नाल दिखाई देता है उसको गर्भनाल (Umbilical Cord) कहते हैं, उसके सूखने या सूखकर गिर जाने तक शिशु को नहलाना ठीक नहीं होता है। इसके अलावा नवजात शिशु को नहलाने के समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है-

  • बाहर का तापमान हद से ज्यादा ठंडा नहीं होना चाहिए।
  • कमरा या बाथरूम का तापमान सामान्य करने के बाद ही नहलाने की योजना बनाएं।
  • बाहर तेज धूप निकलने पर ही कमरे में ठंड कम हो सकता है, इसलिए तभी शिशु को नहलाने की बात सोचे।
  • जब आप खुद शिशु को नहलाने लायक समझें तभी शिशु को नहलाएं।अगर आप शारीरिक रूप से अस्वस्थ महसूस कर रही हों या फ्री नहीं हों तो नवजात शिशु को नहलाने की कोशिश न करें।
  • शिशु को खाली पेट नहलाने मत ले जाएं। इससे वह बहुत रोते हैं या चिड़चिड़ा महसूस कर सकते हैं।
  • त्वचा संबंधी अगर कोई समस्या हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही नहलाएं।
  • बुखार या कोई शारीरिक समस्या हो तो जबरदस्ती न नहलाएं।

नवजात शिशु को नहलाना क्यों जरूरी होता है?

नवजात शिशु को हर दिन नहलाने की जरूरत नहीं होती, सप्ताह में दो दिन नहलाना की काफी होता है। सेहत की तरफ शिशु का कदम बढ़ाने का यह मौका पहला होता है। नवजात शिशु को नहलाने के पीछे ये निम्नलिखित कारण होते हैं-

  • माँ और बच्चे के बीच बनता है स्नेहमय संबंध- नहलाने के दौरान माँ का प्यार भरा स्पर्श शिशु से माँ को भावनात्मक रूप से जोड़ता है।
  • तनाव से राहत- माँ के गर्भ से निकलने के कारण शिशु तनाव में हो सकते हैं, इसलिए नहलाने के दौरान

उनको आराम महसूस होता है।

  • नींद आने में आसानी- अक्सर माँ के गर्भ से निकलने के बाद शिशु रोते रहते हैं, उन्हें अच्छी तरह से नींद नहीं आती। नहलाने के बाद शिशु को अच्छी तरह से सोने में मदद मिलती है।
  • बैक्टीरिया से मुक्ति- वातावरण में जो हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं, शिशु को नहलाने पर वह निकल जाते हैं।

नवजात शिशु को नहलाने के समय किस तरह के साबुन, क्लींजर, मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए?

जैसा कि आप सब जानते ही हैं कि शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है, विशेष रूप से जब वह नवजात हो। इसलिए साबुन, तेल, क्लींजर, मॉइश्चराइजर, क्रीम आदि का चुनाव सोच-समझकर करनी चाहिए। नहलाने के लिए केमिकल फ्री सौम्य साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।

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साबुन की जगह पर आप क्लींजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। साबुन का पीएच बैलेंस हमेशा संतुलित होना चाहिए। साबुन अगर लिक्विड हो तो बेहतर होता है, क्योंकि उसमें अनुकूल मॉइश्चराइजर होता है, जिससे शिशु की त्वचा का ड्राई होने या किसी प्रकार का स्किन इंफेक्शन होने का खतरा कम रहता है। नहलाने के बाद गर्मी का मौसम है यह सोचकर बेबी लोशन और क्रीम का इस्तेमाल हद से ज्यादा न करें। 

नवजात शिशु को नहलाने से पहले किन चीजों की तैयारी करनी चाहिए?

शिशु को नहलाने के पहले कुछ चीजों की तैयारी कर लेना अच्छा होता है। इससे आपको शिशु को पानी में छोड़कर जाने की गलती नहीं करनी पड़ेगी।

  • नहाने के पहले शिशु की अच्छी तरह से मालिश करें, इससे हड्डी और मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं। मालिश के लिए शिशु के लिए तैयार किए गए खास तेल का इस्तेमाल करना बेहतर होगा।
  • सही आकार के टब का इस्तेमाल करें, जो शिशु के लिए आरामदायक हो। टब प्लास्टिक का होना चाहिए ताकि उससे शिशु को किसी भी प्रकार का चोट न लगें।
  • बेबी सोप या क्लींजर, बेबी शैंपू, तौलिया, स्पंज आदि पास रखें।
  • जननांग और नाजुक अंगों की सफाई करने के लिए मुलायम कपड़ा या कॉटन भी हाथ के पास रखें।
  • नहाने के बाद पहनने वाले सूखे कपड़े और तौलिया भी पास रखें।
  • शिशु को आकर्षित करने के लिए टब में रंग-बिरंगे खिलौने भी रख सकते हैं।
  • इनमें सबसे जरूरी बात यह है कि नहाने का पानी कितना गर्म होना चाहिए? इस मामले में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। नहाने का पानी गुनगुना होना चाहिए, यानि पानी का तापमान 120०फारेनहाइट से नीचे होना चाहिए। शिशु को पानी में ले जाने से पहले कोहनी या हथेली के पीछे से पानी को छूकर जाँच कर लेना सेफ होता है।

नवजात शिशु को स्पंज बाथ:

यह बात तो आप जान ही चुकी होंगी कि अगर बच्चे की तबियत ठीक न हो या  मौसम सर्दी का हो तो कुछ दिन हो सके तो स्पंज बाथ करवाना ही बेहतर होता है। जन्म के बाद कुछ दिनों तक साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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तैयारी:

नहलाने के पहले हाथ के पास गुनगुना पानी, स्पंज, पोंछने के लिए मुलायम कपड़ा, सूखा तौलिया, साफ कपड़े, बेबी पावडर, बेबी लोशन, बेबी मॉइश्चराइजर, बेबी क्रीम आदि पास रखें।

तरीका:

  • शिशु को किसी मुलायम कपड़े पर लेटा दें। 
  • उसके बाद गुनगुने पानी में मुलायम कपड़े को भिगोकर अच्छी तरह से निचोड़ लें। फिर उससे हल्के हाथों से शिशु को थपथपाकर पोछें। 
  • शिशु के शरीर, जांघ, पैर, चेहरा, जननांग, नाक, कान को ध्यान से साफ करें।
  • इसके बाद सूखे तौलिए से शिशु को थपथपाकर पोंछे।        
  • उसके बाद हल्के हाथों से बेबी लोशन पूरे शरीर में लगाएं।
  • उसके बाद बेबी क्रीम चेहरे पर लगाएं ताकि स्किन ड्राई होने से बच सके।

नवजात शिशु को टब में कैसे नहलाएं

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तैयारी:

नहलाने के पहले टब में गुनगुना पानी दो या तीन इंच भर कर रखें। पानी का तापमान जरूर चेक कर लें। 

बाकी का सामान पहले स्पंज बाथ में जैसा दिया गया है वैसा ही रखें।

  • शिशु को टब में बैठाने के पहले पैर को पहले पानी में स्पर्श करवाएं, फिर धीरे-धीरे बैठाएं।
  • एक हाथ से शिशु के सर को सहारा दें और दूसरे हाथ से शरीर पर धीरे-धीरे पानी डालें।
  • एकाएक या जोर से कभी मुँह या शरीर पर पानी न डालें।
  • अब बॉडी में साबुन लगाएं और फिर स्पंज या मुलायम कपड़े से जांघ, जननांग आदि जगहों को हल्के हाथ से साफ करें।
  • उसके बाद शिशु को साफ पानी से नहलाएं। नहलाने के बाद साफ तौलिए थपथपाकर पोंछें। पोंछने के समय कभी भी रगड़े नहीं, इससे नाजुक त्वचा को नुकसान पहुँचने का खतरा रहता है।
  • सूखाकर पोंछने के बाद पूरे शरीर पर पाउडर लगाएं।
  • अब शिशु को साफ और सूखा कपड़ा पहनाएं।                                             
  • अगर डायपर रैशेज हो गए हैं तो कपड़े पहनाने के पहले डायपर रैशेज क्रीम जरूर लगाएं।

 नवजात शिशु के कान ,नाक और आँख को कैसे साफ करना चाहिए?

नवजात शिशु के कान, नाक और आँख को साफ करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि त्वचा को कभी रगड़े नहीं। गुनगुने पानी में रूई या मुलायम कपड़े को भिंगोकर उससे हल्के हाथों से साफ करना चाहिए। कान या नाक के अंदर साफ करने के लिए उंगली या ईयरबड का इस्तेमाल करने की कभी गलती न करें। चेहरे को हमेशा सादे पानी से साफ करना चाहिए।

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नवजात शिशु को नहलाने के समय कौन-सी गलतियाँ नहीं करनी चाहिए?

नवजात शिशु को नहलाना
बाथ टब में बेबी

अब तक हमने इस बात की चर्चा की, कि नवजात शिशु को नहलाने के समय क्या करना चाहिए लेकिन इसके अलावा भी नहलाने के समय किन गलतियों को नहीं करना चाहिए, इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए-

  • नहलाने के समय नवजात शिशु को कभी भी बहुत ज्यादा कसकर नहीं पकड़े। अगर आपको संभालने में परेशानी हो रही हो तो किसी और का सहारा लें।
  • नहलाने के पहले पानी की जाँच करना कभी न भूलें।
  • शिशु को कभी भी नल के नीचे सीधे रखकर नहलाने की गलती न करें, इससे साँस लेने में शिशु को परेशानी हो सकती है।
  • शिशु को नहलाने के समय टब में छोड़कर कभी भी जाने की गलती न करें। इससे दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है।

आशा करते हैं कि इस लेख के जरिए हम आपके मन में उठने वाले सारे सवालों का जवाब दे सके हैं। इन छोटे-छोटे टिप्स की मदद से आप अपने बेबी को आसानी से नहला सकती हैं। और फिर अपने दिल के टुकड़े का खिलता-मुस्कुराता चेहरा देखकर खुश हो सकती हैं।

चित्र स्रोत: Freepik

25 Mar 2022

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