कोरोना वायरस ने इस समय पूरे देश को डरा कर रखा है। कोविड-19 की दूसरी लहर हम सब पर कहर बनकर टूटी है। जहां कुछ लोग हॉस्पिटल में बेड और ऑक्सीजन के लिए जी-जान लगा रहे हैं वहीं कुछ मरीज घर पर ही ठीक हो रहे। कोरोना से लड़कर बाहर आना अपने आप में काफी बहादुरी का काम है लेकिन अगर आपको लगता है कि आपकी लड़ाई यहीं खत्म हो गई तो हम आपको बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में ठीक हो रहे मरीजों में म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस (Black Fungus) जैसी घातक बीमारी को लेकर धीरे-धीरे हड़कंप मचने लगा है।
आखिर क्या है ये ब्लैक फंगस (Black Fungus)? और कोविड से रिकवर हो चुके मरीजों के लिए ये कैसे बन रहा घातक इस बारे में नेत्रम आई फाउंडेशन की सीनियर आई सर्जन डाॅ. आंचल गुप्ता हमें सारी जानकारी दे रही हैं। साथ ही वे इससे बचने के उपाय और जरूरी ट्रीटमेंट के बारे में भी बता रही हैं।
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकर माइकोसिस आमतौर पर ब्लैक फंगस के रूप में जाना जाता है। ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है जो इन दिनों कोविड से रिकवर हो रहे मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यह मरीज की नाक, पैरानैसल साइनस, आंखों और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। इसके लक्षण पहचान कर समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज की जान तक जा सकती है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
1- मुंह में छाले
2- नाक बंद हो जाना, नाक में कंजेशन होना
3- नाक से खून बहना या फिर खून भरा बलगम आना
4- गाल और आंख के आसपास सूजन आना
5- मुंह और नाक के अंदर काली पपड़ी का जमना
6- चेहरे और नाक के आसपास सूजन होना
7- पलकों का लटकना
8- आंख की पुतलियों में फलाव
9- आंख में दर्द, आंख का लाल होना
10- आंखों से पानी आना, धुंधला दिखना या फिर पूरी तरह से रोशनी का चले जाना
11- बुखार, सिरदर्द की फिर से वापसी
किन लोगों को है सबसे ज्यादा खतरा
1- ब्लैक फंगस से उन लोगों को खतरा सबसे ज्यादा है जो कोविड-19 के एक्टिव/ ट्रीटमेंट पाए/ रिकवर हुए मरीज हैं। जिनको ऑक्सीजन की ज्यादा लंबे समय तक घर या फिर अस्पताल में हाई डोज मिली है या फिर जिन्होंने लंबे समय तक स्टेरोईड्स को लिया है।
2- कोविड से पीड़ित वो मरीज जिनको स्टेरोईड्स दिया गया और वो जिनको अनियंत्रित डायबिटीज, किडनी फेल, कैंसर के मरीज अथवा अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
ब्लैक फंगस के इंफेक्शन से कैसे बचा जाए
1- डॉक्टर की सलाह पर स्टेरोईड्स लें। कोविड संक्रमण के शुरुआत के 5-7 दिन स्टेरोईड्स न लें। स्टेरोईड्स का सेवन केवल 5-7 दिन के लिए करें।
2- स्टेरोईड्स का इस्तेमाल तभी करें तब ऑक्सीजन का लेवल 94 फीसदी से नीचे चला जाए।
3- इसके अलावा उन शुगर के मरीजों के ब्लड शुगर लेवल को सख्ती से मॉनिटर किया जाए, जिनको स्टेरोईड्स दिए गए हों।
4- High Serum Ferritin के मरीजों का कोविड संक्रमण के दौरान खास ध्यान रखा जाए।
5- वेंटिलेटर या फिर ऑक्सीजन डिलीवरी के वक्त साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। Humidifier से जो पाइप कनेक्टेड रहता है उसमें फंगस की ग्रोथ को देखा जाए।
6- मुंह, नाक और चेहरे पर किसी तरह का काला रंग आने पर देखने के लिए पूरी जांच अथवा निरीक्षण किया जाए।
7- अगर ब्लैक फंगस दिखता है तो तुरंत ही आंखों के डॉक्टर या फिर ईएनटी सर्जन को रेफर किया जाए।
ब्लैक फंगस से जुड़े जरूरी फैक्ट्स
1- ब्लैक फंगस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिट नहीं होता है।
2- यह कोई नए तरह का वायरस नहीं है, बल्कि पहले से मौजूद एक साधारण सा फंगस है।
3- यह पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्तियों पर कोई असर नहीं डालता है।
4- इसके लिए किसी तरह के एंटी फंगल दवाई का ट्रीटमेंट लेने की जरूरत नहीं है।
ब्लैक फंगस के लिए ट्रीटमेंट
1- इस बीमारी से मरने वालों की तादाद भी ज्यादा है, ऐसे में पहले से ही लक्षण मिलने पर इलाज शुरू हो जाना चाहिए। प्रत्येक घंटा महत्वपूर्ण है क्योंकि ये 2-4 दिनों के बीच मरीज के दिमाग में जा सकता है, जिससे मौत हो सकती है.
2- ब्लड शुगर का सख्त नियंत्रण। स्टेरोईड्स को पूरी तरह से बंद करना या फिर धीरे-धीरे कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
3- इसका इलाज केवल अस्पताल में मौजूद है और इंजेक्शन Liposomal Amphotrecin B की हाई डोज दी जाती है। अगर फंगस बढ़ता है तो फिर आंख और जबड़े को निकालने की सर्जरी भी की जा सकती है।