हमारे देश में इतनी विविधता है कि हर कुछ दूर पर बोली और रीति रिवाज बदल जाते हैं। ऐसे में हर त्यौहार को मनाने का तरीका और उससे जुड़े रिवाजों में भी अंतर आ ही जाते हैं। ऐसा ही कुछ देशभर में मनाई जाने वाली दिवाली को साथ भी है जो सभी जगह उत्सव का केंद्र होता है और इसके इर्द गिर्द अलग-अलग राज्यों में त्यौहार का कलेवर अलग होता है। कहीं इस अवसर पर नरक चौदस मनाया जाता है, तो कहीं लोग काली पूजा में लीन होते हैं।
1. बनारस की देव दिवाली

बनारस में हर साल दिवाली के मौके पर देव दिवाली मनाई जाती है। इस मौके पर गंगा के तट पर हजारों दीयों नें दीप जलाए जाते हैं और ये नज़ारा देखने श्रद्धालु जगह जगह से यहां पहुंचते हैं। इस मौके पर गंगा नदी की महाआरती भी की जाती है। ये उत्सव दिवाली के 15 दिनों बाद ही मनाई जाती है।
2. काली पूजा, वेस्ट बंगाल

पश्चिम बंगाल और इसके आसपास के क्षेत्र में काली पूजा बहुत भक्ति भाव और जुड़ाव के साथ मनाई जाती है। दिनभर दिवाली मनाने के बाद देर रात देवी काली की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है और फिर भक्तों में प्रसाद वितरण होता है।
3. नरक चतुर्दशी, कर्नाटक, गोवा

दक्षिणी राज्य कर्नाटक और गोवा में दिवाली के मौके पर उत्साह के साथ नरक चतुर्दशी मनाते हैं। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का विनाश किया था। इस दिन लोग सुबह होने से पहले उठते हैं, तेल से स्नान करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे फोड़ते हैं। ये पर्व दिवाली से एक या दो दिन पहले पड़ता है। इसे नरक चौदस भी कहते हैं।
4. पत्थर का मेला, हिमाचल प्रदेश

दीपावली के आसपास ही हिमाचल के मध्य में, विशेष रूप से हलोक नामक गांव, धामी में अनोखा पत्थर का मेला मनाया जाता है। मेले में लोग सौहार्दपूर्ण तरीके से पत्थरबाजी में भाग लेते हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऐसी मान्यता है कि उत्सव के दौरान इन पत्थरों से टकराने पर सौभाग्य आता है।
5. गुजरात की अनोखी दिवाली

गुजरात के कुछ जगहों पर और खासतौर से पंचमहल गांव में लोग दिवाली का जश्न एक दूसरे पर जलते हुए पटाखे फेंककर मनाते हैं। देखने में बहुत ही खतरनाक लगने वाला ये तरीका यहां सदियों से चला आ रहा है।
इसके साथ ही गुजरात में कई परिवारों में दिवाली के दौरान रातभर घी का दीया जलाया जाता है। अगली सुबह दीये से एकत्र हुई कालिख को काजल बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह प्रथा अत्यधिक शुभ मानी जाती है और माना जाता है कि इससे घर में समृद्धि आती है।
6. देशभर में मनाई जाती है भाई दूज

दिवाली के तुरंत बाद देशभर में अलग-अलग नाम से भाई दूज मनाया जाता है। दिवाली आते ही जिन घरों में भाई दूज होता है, उसकी तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। दिवाली के अगले दिन, महाराष्ट्रीयन इस त्यौहार को भाऊ बीज नाम से मनाते हैं। भाई-बहन के बीच के बंधन के इर्द-गिर्द घूमने वाले इस त्यौहार को उत्तर भारत में लोग भाई दूज कहते हैं, जबकि बंगाली इसे भाई फोंटा कहते हैं।
7. बंदी छोड़ दिवस, पंजाब

पंजाब में दिवाली के दिन ही बंदी छोड़ दिवस भी मनाया जाता है। कहते हैं कि इस दिन को गुरु हरगोबिंद जी की कैद से रिहाई की याद में मनाया जाता है। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर को खूबसूरती से रोशन किया गया है और सिख समुदाय प्रार्थना और उत्सव में व्यस्त रहते हैं।
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