उत्तर प्रदेश के झांसी में एक महिला पुलिसकर्मी अर्चना को सोशल मीडिया ने एक बड़ा फायदा करवा दिया। अर्चना घर पर किसी के न होने की वजह से अपनी बच्ची को काम पर लाती थीं। उनकी बच्ची के सोते और उनके काम करते हुए एक फोटो के सोशल मीडिया पर वायरल होने और लोगों द्वारा उनकी परेशानी को दूर करने की गुजारिश करने की वजह से उनका ट्रांसफर उनके घर के पास आगरा में करवा दिया गया।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ पी सिंह ने अपनी एक ट्वीट में लिखा है कि 21वीं शताब्दी की महिला हर जिम्मेदारी पर खरी उतरती है। आज सुबह महिला पुलिसकर्मी अर्चना के साथ बातचीत करने के बाद आगरा, उनके घर के पास उसका ट्रांसफर करने का आदेश दिया! एक छोटी बच्ची ने झांसी के पुलिस स्टेशन में उजाला कर दिया और हमें हर पुलिस लाइन में बच्चों के लिए क्रेच के विकल्प तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। देखें यह संदेश –
The quintessential 21st century woman, an ace at any responsibility she is trusted with! Had a conversation with Archana this morning & ordered her transfer to Agra, closer home! The lil one brightening Jhansi Pstn, has inspired us to explore crèche options at every Police line pic.twitter.com/hx8b54Bcb5
— DGP UP (@dgpup) October 28, 2018
दरअसल इस महिला को घर में किसी के न होने की वजह से अपनी छोटी सी बच्ची को झांसी कोतवाली पुलिस स्टेशन लाना पड़ता था। इस कांस्टेबल को रिसेप्शन की ड्यूटी दी गई थी और काम करते वक्त वह अपनी छह महीने की बच्ची को रिसेप्शन बोर्ड के पीछे ही सुला दिया करती थी। और यही उनकी रोजाना की दिनचर्या थी। एक दिन अचानक एक पुलिसकर्मी ने उनका और उनकी बच्ची का फोटो ले लिया, जिसे कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपने- अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर कर दिया। देखते ही देखते यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसकी भनक पुलिस के आला अधिकारियों तक जा पहुंची। उन्होंने अर्चना से बात की और उसकी समस्या को देखते हुए उसका ट्रांसफर आदेश भी जारी कर दिया।
आगरा की रहने वाली अर्चना के पति गुड़गांव की एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और वह झांसी में अपनी बच्ची के साथ अकेली रहती हैं इसलिए उनके पास अपनी बच्ची को कोतवाली लाने के सिवाय कोई और विकल्प नहीं था। अर्चना की एक और बच्ची दो साल की है जो अपने नाना- नानी के पास कानपुर में रहती है। अर्चना के सभी सहकर्मी उन्हें काम के प्रति काफी गंभीर मानते हैं और उनकी लगन को देखते हुए अर्चना को 1000 रुपये का रिवॉर्ड भी दिया जा चुका है।
अर्चना कहती हैं कि कोतवाली में उनके सभी सहकर्मी काफी मददगार हैं और जब भी जरूरत पड़ती है, उनकी बच्ची की देखभाल भी कर लेते हैं। अर्चना चाहती थीं कि उनका ट्रांसफर आगरा हो जाए, ताकि उनकी बच्ची परिवार के साथ रह सके और वह बच्ची के लालन पालन से निश्चिंत होकर अपना काम अच्छी तरह कर सकें।
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