मां के लिए शिशुओं की देखभाल करना बहुत ही चैलेंजिंग टास्क होता है। छोटे बच्चों को सबसे जल्दी बीमारियां अपना शिकार बनाती हैं। शिशुओं में खांसी, सर्दी, जुकाम आदि की शिकायत होना आम है। संक्रमण का खतरा उनपर पल-पल मंडराता रहता है। ऐसे में शिशुओं के आस-पास साफ-सफाई का माहौल होना बहुत जरूरी है।
क्या आप जानती हैं कि शिशुओं में होने वाली खांसी कई प्रकार की होती है। कुछ तरह की खांसी में चिंता वाली कोई बात नहीं होती है। परंतु, कुछ शिशुओं के लिए कई तरह की समस्याएं खड़ी कर सकती हैं। आज का हमारा टॉपिक यही है कि शिशुओं में खांसी कितने प्रकार की होती हैं। साथ ही जानेंगे बच्चों में खांसी के कारण और कुछ घरेलू उपाय, जो शिशुओं के लिए बहुत ही असरदार साबित हो सकते हैं।
शिशुओं में खांसी के प्रकार (Types of Cough in Babies in Hindi)
नीचे शिशुओं में खांसी के अलग-अलग प्रकार के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार है:
- सूखी खांसी (Dry Cough)
सूखी खांसी के मुख्य कारण सर्दी, जुकाम व इंफ्लूएंजा हैं। इसमें कफ बहुत कम या फिर नहीं निकलता है। इस वजह से इसे सूखी खांसी कहा जाता है। इसमें लगातार और तेजी से खांसी आती है।
- गीली खांसी (Wet Cough)
खांसी के साथ बलगम की शिकायत है, तो इसे गीली खांसी कहा जाता है। यह ज्यादातर सर्दी के मौसम में होती है। इसमें खांसी के साथ शिशु की नाक भी बहती रहती है।
- घरघराहट के साथ खांसी (Cough With Wheezing)
जब बच्चे के सांस छोड़ते वक्त घरघराहट की आवाज आए, तो इसका मतलब है कि कुछ है जो उनके निचले वायुमार्ग को अवरुद्ध कर रहा है। इसकी शिकायत वायुमार्ग में सूजन के कारण हो सकती है। इसमें बच्चे को सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
- काली खांसी (Whooping Cough)
काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। इसमें बच्चे को सांस लेते समय गले में से ऊंची आवाज आती है। इसे हूपिंग कफ व कुक्कर खांसी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बच्चे को लगातार खांसी की शिकायत होती है। इसके बाद बच्चा लंबी सांस लेता है। इसमें खांसी के साथ बलगम भी निकलता है।
- बार्किंग कफ या क्रूप खांसी (Barking Cough)
आमतौर पर क्रूप खांसी किसी एलर्जी, रात के समय तापमान में बदलाव या ऊपरी श्वसन तंत्र में इंफेक्शन के कारण होती है। इसमें बच्चों को रात में खांसी की शिकायत ज्यादा होती है। इसमें शिशुओं के वायुमार्ग के साथ आसपास के वोकल कॉर्ड्स में सूजन आ जाती है। इस वजह से इसमें भौंकने जैसी आवाज आती है। यही वजह है इसे बार्किंग कफ के नाम से जाना जाता है।
बच्चों में खांसी का इलाज (Treatment of Cough in Babies in Hindi)

जैसा कि लेख में ऊपर खांसी के कई प्रकार बताए गए हैं। सभी का इलाज भी अलग होता है। जैसे यदि बच्चे की खांसी का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवा लिख सकते हैं। वहीं, ठंड लगने के कारण खांसी के साथ बुखार होने पर डॉक्टर एनाल्जेसिक दवा देने की सलाह दे सकते हैं। इसी तरह खांसी के अन्य कारणों के अनुसार डॉक्टर शिशु में खांसी का इलाज तय करते हैं।
शिशु को चिकित्सक से परामर्श लिए बिना किसी दवा का सेवन न कराएं। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स के मुताबिक, दो साल से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर से परामर्श लिए बिना खांसी की दवा देने की मनाही की है। इसके अलावा, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने भी चार साल तक बच्चों को खांसी के लिए डॉक्टर से पूछकर ही दवा लेने की सलाह दी है।
शिशु को चिकित्सक के पास कब लेकर जाएं
वैसे तो शिशु को सही दवा व पर्याप्त आराम मिलने से खांसी से राहत मिल जाती है। परंतु, कुछ मामलों में स्थिति गंभीर हो सकती है। नीचे दिए गए लक्षण नजर आने पर बच्चे को बिना देरी किए चिकित्सक के पास लेकर जाएं-
- बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो।
- खांसी के साथ सीटी जैसा या घरघराहट की आवाज आ रही हो।
- यदि बच्चा तेज-तेज सांस ले रहा है।
- खांसी के साथ बच्चे को तेज बुखार हो।
- बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो।
- होंठ, मुंह और जीभ का रंग नीला पड़ गया हो।
- खांसी करते करते बच्चा हांफने लगे।
- खांसी के साथ बच्चे को उल्टी की शिकायत हो।
- खांसी के साथ हरा या लाल थक्के निकल रहा हो।
- लगातार खांसी आने के बाद बच्चा बेहोश हो जाए।
शिशुओं में खांसी के घरेलू इलाज (Home Remedies for Babies with Cough in Hindi)
बच्चों में खांसी का घरेलू इलाज ढूंढ रहे हैं, तो नीचे कुछ असरदार उपाय बता रहे हैं, जो आपके काम आ सकते हैं:
- भाप दिलाएं- बच्चे के गले में बलगम के जमाव को साफ करने के लिए उन्हें भाप दिला सकते हैं। शिशु को इससे काफी राहत महसूस होगी। शिशु को भापयुक्त बाथरूम में स्टीम दिला सकते हैं।
- तरल डाइट- शिशु को तरल पदार्थ व ब्रेस्ट मिल्क पिलाएं। इससे डिहाइड्रेशन और गले में दर्द में आराम मिलता है।
- विक्स वोपोरब- बाजार में बच्चों के लिए अलग विक्स वेपोरब मिलता है। रात में सोने से पहले शिशु की छाती, गले व पीठ पर इसे लगा सकते हैं।
- शहद- एक साल से बड़े बच्चों को तुलसी के अर्क के साथ शहद मिलाकर चटा सकते हैं। इसके अलावा, गुनगुने पानी में अदरक के रस के साथ शहद मिलाकर दे सकते हैं।
- भरपूर आराम- खांसी के दौरान शिशु बहुत थकावट महसूस करता है। इसलिए, उन्हें भरपूर आराम करने दें।
इस लेख में शिशुओं में खांसी से जुड़ी हर जानकारी आपको मिल गई होगी। इसलिए, बच्चे को खांसी की शिकायत है, तो उसे बिल्कुल भी हल्के में न लें। लेख को पढ़ने के बाद आप यह जान गए होंगे की शिशुओं में खांसी का सही समय पर इलाज करना जरूरी है।
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