‘भोलेनाथ की नगरी, घाटों का घेरा। हर रोज एक नया सबेरा, ऐसा है ये बनारस का बसेरा।’ वाकई बनारस की बात ही कुछ और है। ये सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक एहसास है जो हर एक बनारसी के दिल में बसता है। बनारस जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, उसका नाम सुनते ही मंदिर- मस्जिद, गंगा, घाट, पान और साड़ी का नाम जेहन में आना आम बात है। यहां वो सब कुछ है, जो एक इंसान सुकून भरी जिंदगी बिताने के लिए चाहता है। विश्व की सांस्कृतिक नगरी बनारस यानि कि वाराणसी अलग- अलग रंगों की चादर में लिपटा हुआ है। माना जाता है कि काशी देवाधिदेव महादेव की त्रिशूल पर बसी है और इस नगरी का किसी भी तरह के प्रलय में भी विनाश नहीं हो सकता है। काशी के घाट आज भी दुनिया भर में अध्यात्म, योग, धर्म और दर्शन के केंद्र हैं। वहीं देशी- विदेशी पर्यटकों के लिए ये आकर्षण का केंद्र भी है। धर्मग्रन्थों और पुराणों में इस जगह को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है। बनारस में ऐसी कई जगहें हैं, जिन्हें देखकर सैलानी रोमांचित हो उठते हैं। अगर आप भी बनारस जाने का प्लान बना रहे हैं तो वहां की उन जगहों की जरूर सैर कीजिएगा, जहां जाकर आपका मन रोमांचित हो उठे। तो आइए जानते हैं बनारस की 10 सबसे बेहतरीन जगहों के बारे में दुनिया के प्रसिद्ध स्मारक
अस्सी घाट – Assi Ghat in Varanasi
दशाश्वमेध घाट – Dashashwamedh Ghat in Varanasi
रामनगर किला – Ramnagar Fort Varanasi
कचौड़ी गली बनारस – Kachori Gali in Varanasi
अस्सी घाट का आपने नाम तो बहुत सुना है लेकिन क्या आपको पता है कि ये घाट काशी के सौ घाटों में से प्रमुख घाट है, जिसका ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों ही महत्व है। इस घाट की सबसे खास बात ये है कि इसी पहले घाट से गंगा वाराणसी में प्रवेश करती है। यहां गंगा आपको साफ- सुथरी और प्रदूषण रहित मिलती है। साथ ही यहां का धार्मिक महत्व ये भी है कि इसी घाट पर मां दुर्गा ने शुम्भ- निशुम्भ का वध किया था।
कैसे पहुंचें – वाराणसी रेलवे स्टेशन से इस घाट की दूरी महज 6 किलोमीटर की है। आप किसी भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
अगर आप बनारस आकर काशी विश्वनाथ मंदिर नहीं गये तो आपका यहां आना ही व्यर्थ है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर में वाम रूप में स्थापित बाबा विश्वनाथ शक्ति की देवी मां भगवती के साथ विराजे हैं। यहां हर रोज आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। लाखों श्रद्धालु यहां रोजाना दर्शन को आते हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि पवित्र गंगा में स्नान और बाबा के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
कैसे पहुंचें – विश्वनाथ गली, काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने का आसान और सबसे बेहतर मार्ग है। वाराणसी में कई रेलवे स्टेशन हैं। वाराणसी सिटी स्टेशन मंदिर से केवल 2 किलोमीटर दूर है, जबकि वाराणसी जंक्शन मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर दूर है।
इस घाट के बारे में बताया जाता है कि राजा दिवोदास द्वारा यहां दस अश्वमेध यज्ञ कराने की वजह से इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। ये काशी के सुप्रसिद्ध घाटों में से एक माना जाता है क्योंकि इस घाट की गंगा आरती पूरी दुनिया में चर्चित है। कोई सेलेब्रिटी हो या फिर वीवीआईपी, काशी आने वाला हर सैलानी इस घाट की गंगा आरती देखने जरूर आता है। शाम के समय यहां का दृश्य इतना मनोरम होता है कि लोग कुछ पल के लिए सबकुछ भूल कर दूसरी दुनिया में खो जाते हैं। यहां आरती का समय सर्दियों में 6 बजे और गर्मियों में 7 बजे का है।
कैसे पहुंचें – गोदौलिया मार्केट से दशाश्वमेध घाट पहुंचने के लिए आप वहां से रिक्शा कर सकते हैं या फिर पैदल भी पहुंच सकते हैं। मार्केट से घाट तक पहुंचने में 5 से 10 मिनट लगते हैं। अगर आप आरती देखने के लिए जा रहे हैं तो आरती के समय से करीब 30 मिनट पहले पहुंचें।
बनारस का ये किला अपनी खूबसूरती और बेहतरीन लोकेशन के लिए जाना जाता है। यहां पर कई सुपरहिट फिल्मों का फिल्मांकन भी हो चुका है। इस किले का पश्चिमी द्वार, जो गंगा नदी की ओर खुलता है, वहां पर बाढ़ के समय गंगा के तल को मापने का एक मानक चिन्ह बनाया गया है ताकि नदी के लेवल का अंदाजा लगाया जा सके। अगर आप अपनी तस्वीरें खिंचवाने के लिए कोई उम्दा लोकेशन ढूंढ रहे हैं तो आपको रामनगर के इस किले से बेहतर कोई जगह नहीं मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ये किला घाट से लगा हुआ है। गंगा नदी का किनारा और किले का खूबसूरत नजारा आपका दिन बना देंगे।
कैसे पहुंचें – वाराणसी रेलवे स्टेशन से रामनगर किले तक की दूरी लगभग 14 किलोमीटर की है। आप चाहें तो अस्सी घाट से नाव के जरिए भी इस किले तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
इस मार्केट को बनारस के सबसे बड़े कपड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है। यहां आपको फेमस बनारसी साड़ियों का खजाना मिलेगा। ये मार्केट स्ट्रीट शॉपिंग के लिए बेस्ट माना जाता है। सबसे खास बात इस मार्केट की ये है कि यहां आने के लिए आपको अलग से प्लान नहीं बनाना पड़ेगा। अगर आप बाबा विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने गये हैं तो आपको ये मार्केट रास्ते में ही मिल जायेगा। जूलरी, कपड़े, हैंडमेड क्राफ्ट से लेकर हर चीज आपको यहां सही और सस्ते दामों में मिल जायेगी। इस मार्केट में आपको बनारसी सिल्क की एक से एक दुकानें तो मिलेंगी ही, साथ ही जरी और सिल्क के भी कई खूबसूरत नमूने यहां देखने को मिलते हैं।
कैसे पहुंचें – गोदौलिया मार्केट वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किलोमीटर दूर है। आप यहां रिक्शा द्वारा 10 मिनट में पहुंच सकते हैं।
पकवान का नाम आते ही सबसे पहले जिस शहर का नाम आता है, वो है काशी। घाट से लेकर पान तक, यहां की हर बात निराली है। कहते हैं कि एक बार जिसने बनारस का स्वाद चख लिया, मरते दम तक वो शख्स उसे भूल नहीं पाता। अगर आप बनारस आये और यहां की कचौड़ी गली की सैर नहीं की तो क्या किया। यहां जैसी कचौड़ी, जलेबी और लस्सी कहीं और मिल ही नहीं सकती। पहले यह इलाका कूचा अजायब के नाम से जाना जाता था, जहां अजीबोगरीब चीजें मिला करती थीं। लेकिन बाद में यहां खाने- पीने की दुकानें लगने लगीं और आज यह एक मशहूर कचौड़ी गली के नाम से मशहूर है।
कैसे पहुंचें – ये जगह बनारस रेलवे स्टेशन से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप चाहें तो वहां से शेयरिंग ऑटो या फिर रिक्शा से भी 20 रुपये में कचौड़ी गली पहुंच सकते हैं।
सारनाथ, काशी में स्थित एक प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल है। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश यहीं दिया था, जिसे “धर्म चक्र प्रवर्तन” का नाम दिया जाता है। इसके अलावा सारनाथ को जैन धर्म और हिन्दू धर्म में भी महत्व प्राप्त है। जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर कहा गया है। वहीं यहां पर सारंगनाथ महादेव का मंदिर है, जहां सावन के महीने में मेला लगता है। ये जगह काफी सुकून और शांति भरी है। यहां आकर आप खुद को काफी रिलैक्स महसूस करेंगे।
कैसे पहुंचे – वाराणसी से सारनाथ की दूरी महज 10 किलोमीटर है। आप यहां अपने साधन से या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से पहुंच सकते हैं।
जी हां, आपने सही पढ़ा… क्रूज राइड और वो भी बनारस में। अलकनंदा- काशी नाम का ये क्रूज आपको वाराणसी के सभी घाटों की सैर करायेगा। सच मानिए, ये आपके लिए बहुत ही बेहतरीन अनुभवों में से एक होने वाला है। इस क्रूज में 60 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। इस क्रूज में सैलानियों को बनारस की सुबह और गंगा आरती दिखाई जायेगी। ये क्रूज आपको अस्सी घाट से राजघाट तक ले जाएगा। इस 2 घंटे के सफर में आपको जो अनुभव होने वाला है, वो वाकई कमाल का है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये क्रूज दिन में दो बार चलता है।
कैसे पहुंचें – आप चाहें तो अस्सी घाट (जोकि वाराणसी रेलवे स्टेशन से लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित है) पहुंच कर बुकिंग करा सकते हैं। इसके अलावा इस क्रूज की बुकिंग ऑनलाइन (http://nordiccruiseline.com/) भी होती है।
बनारस में घाट, मंदिर और बाजार के अलावा ये भी एक ऐसी घूमने की जगह है, जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। राजदारी और देवदारी दोनों ही वॉटरफॉल्स पिकनिक मानने के लिए बनारस की बेस्ट जगहों में गिने जाते हैं। राजदारी झरना 65 मीटर ऊंचाई से गिरता है और देवदारी वहां से 500 मीटर नीचे की ओर स्थित है। सर्दियों और वसंत के मौसम में ये झरना काफी सुंदर दिखता है। इसके आस- पास काफी वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी हैं। अगर आप लकी हुए तो आपको विभिन्न प्रजातियों के जानवर भी देखने को मिल सकते हैं।
कैसे पहुंचें – ये जगह चंदौली जिले में आती है, जोकि वाराणसी से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बनारस से इस पिकनिक स्पॉट तक पहुंचने का रास्ता भी अपने आप में काफी खूबसूरत है।
काशी में स्थित ये कुंड ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस कुंड में डुबकी लगाने के लिए रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं। दरअसल यहां मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने वाले लोगों को चर्मरोग नहीं होता है, साथ ही नि:संतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। इस कुंड के बारे में बताया जाता है कि राजा ने इस कुंड का निर्माण सोने के ऊंट से कराया था। यहां की गहराई 150 फीट है। ये जगह बेहद दार्शनीय है।
कैसे पहुंचें – ये कुंड शिवाला घाट के पास स्थित है। वाराणसी रेलवे स्टेशन से यहां की दूरी महज 5 किलोमीटर है।
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