बचपन में ज्यादातर बच्चों को टॉन्सिल की समस्या से दो-चार होना पड़ता है। मगर ऐसा नहीं है कि टॉन्सिल सिर्फ बच्चों में ही देखा जाये यह किसी भी उम्र में आपको घेर सकता है। यही वजह है कि अगर आपको गले में खराश या फिर खाना निगलने में किसी तरह की कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है तो उसे नजरअंदाज कतई न करें। यह टॉन्सिल के लक्षण हो सकते हैं। इतना ही नहीं अधिक ठंडा खाना या पीना भी बार बार टॉन्सिल होने का कारण बन सकते हैं। टॉन्सिल के बारे में बात करने से पहले सबसे पहले यह पता होना बेहद जरूरी है कि टॉन्सिल होते क्या हैं (what is tonsils in hindi)। हम यहां आपको टॉन्सिल होने के कारण (tonsil hone ke karan), टॉन्सिल के लक्षण (tonsils ke lakshan) और टॉन्सिल का घरेलू उपचार (tonsils treatment at home in hindi) के बारे में बता रहे हैं। ओवेरियन सिस्ट के लक्षण
टॉन्सिल आपके गले के पिछले हिस्से में मौजूद टिश्यू का जोड़ा होता है। ये टिश्यू एक रक्षा तंत्र के रूप में कार्य करते हैं और आपके शरीर को संक्रमण होने से रोकने में मदद करते हैं। जब टॉन्सिल संक्रमित हो जाते हैं, तो स्थिति को टॉन्सिलिटिस कहा जाता है। टॉन्सिलिटिस किसी भी उम्र में हो सकता है और यह बचपन की एक आम बीमारी है। टॉन्सिल के लक्षण (tonsils ke lakshan) में गले में खराश, टॉन्सिल में सूजन और बुखार शामिल हैं। टॉन्सिलिटिस संक्रामक है और विभिन्न प्रकार के सामान्य वायरस और बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं, जैसे स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया, जो गले के संक्रमण का कारण बनता है। गले के संक्रमण के कारण होने वाले टॉन्सिलिटिस का इलाज न होने पर गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं। लंग्स इन्फेक्शन के लक्षण
आपके गले में मौजूद टॉन्सिल ही टॉन्सिल की बीमारी के खिलाफ आपकी रक्षा करते हैं। वे सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करते हैं, जो आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। टॉन्सिल बैक्टीरिया और वायरस से लड़ते हैं जो आपके मुंह और नाक के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। टॉन्सिलिटिस एक वायरस के कारण हो सकता है, जैसे कि सामान्य सर्दी, या एक बैक्टीरिया संक्रमण, जैसे गले का संक्रमण। इसके अलावा भी टॉन्सिल होने के कारण (tonsil hone ke karan) कई हैं, जैसे- बहुत ठंडा खाने-पीने की वजह से टॉन्सिल में दर्द हो सकता है, वहीं कुछ लोगों को मुंह से बलून फुलाते समय भी टॉन्सिल में दर्द की शिकायत हो जाती है।
हर बीमारी आने से पहले अपने लक्षण दिखाना शुरू कर देती है। फिर वो छोटा सा सर्दी-जुकाम हो या फिर टॉन्सिल जैसी बीमारी। हम आपको यहां टॉन्सिल के लक्षण (tonsils symptoms in hindi) के बारे में बता रहे हैं। अगर आपको भी इनमें से कोई लक्षण नजर आये या महसूस हो तो समझ लीजिये आप टॉन्सिल की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
– गले में अत्यधिक खराश होना
– खाना निगलने में कठिनाई या दर्द
– गला बैठ जाना या आवाज़ में बदलाव
– बदबूदार सांस
– बुखार
– ठंड लगना
– कान का दर्द
– सांस लेने में समस्या
– पेट दर्द
– सिरदर्द
– गर्दन अकड़ना
– बहुत छोटे बच्चों में, आप अधिक चिड़चिड़ापन, भूख कम लगना या अत्यधिक लार आने की शिकायत भी देख सकते हैं।
टॉन्सिल का इलाज (tonsils ka ilaj) घर के बड़े-बुजुर्ग अपने घरेलू उपचार से कर दिया करते हैं। हालांकि अगर आपको बुखार जो 103°F (39.5°C) से अधिक हो, मांसपेशी में कमज़ोरी, गर्दन में अकड़न के अलावा 2 दिनों के बाद भी गले में खराश दूर नहीं होती है तो हम सलाह देंगे की आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। लेकिन अगर इनमें से कुछ भी नजर नहीं आता है तो आप टॉन्सिल का घरेलू उपचार (tonsils home remedies in hindi) भी कर सकते हैं। हम यहां आपको ऐसे ही कुछ घरेलू उपचार (tonsil ka gharelu upchar) के बारे में बता रहे हैं।
गर्म नमक के पानी से गरारे करने और कुल्ला करने से गले में खराश और टॉन्सिलिटिस के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है। यह सूजन को भी कम कर सकता है, और संक्रमण के इलाज में भी मदद कर सकता है। इसके लिए आप एक कप गर्म पानी में लगभग आधा चम्मच नमक मिलाएं। नमक घुलने तक हिलाएं। गरारे करें और कई सेकंड के लिए मुंह में घुमाएं और फिर इसे बाहर थूक दें। नियमित रूप से गरारे करने पर आपको जल्दी आराम मिल सकता है।
वैसे तो टॉन्सिल में खट्टा खाने की सलाह कम ही दी जाती है मगर नींबू में टॉन्सिल से लड़ने के कई गुण मौजूद होते हैं। खासतौर पर जब इसके साथ शहद मिल जाये तो इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। नींबू-शहद बनाने के लिए एक चम्मच शहद में नींबू के रस की 2-3 बूंद मिलाकर दिन में दिन में तीन बार इसका सेवन करें। विशेष तौर पर बच्चों में यह नुस्खा अच्छा काम करता है।
बात जब टॉन्सिल का घरेलू उपचार करने की आती है तो कैमोमाइल टी भी एक बेहतरीन उपचार मानी जाती है। दरअसल, कैमोमाइल में एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है, जो टॉन्सिल के कारण होने वाली गले की सूजन को कम करने में असरदार होते हैं। कैमोमाइल टी बनाने के लिए एक कप पानी को गर्म करें और फिर उसमें एक चम्मच कैमोमाइल पाउडर डालें। अब इसे 5 से 10 मिनट के लिए गर्म होने दें। अब इसमें एक चम्मच शहद डालकर थोड़ी देर के लिए ठंडा होने को रख दें। थोड़ा ठंडा होने पर इसे पी लें। बेहतर परिणामों के लिए इसे दिन में 2 से 3 बार पियें।
पवित्र तुलसी या तुलसी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीवायरल गुण मौजूद होते हैं, जो दर्द को ठीक करने और शांत करने में मदद करते हैं। साथ ही गले में खराश और सांस संबंधी समस्याओं से राहत भी प्रदान करते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है बस तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर दिन में दो बार इसका घोल पीने से आपको इस समस्या से राहत मिल सकती है। इसमें एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं।
जौ एक बेहतरीन टॉन्सिल का घरेलू उपचार है। जौ के पानी में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो टॉन्सिल के बैक्टीरिया को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए 1 लीटर पानी में 1-2 कप जौ डालकर थोड़ी देर के लिए गर्म करें और बाद में इसे ठंडा होने के लिए रख दें। ठंडा होने के बाद इस पानी को किसी बोतल में भरकर रख लें थोड़ा-थोड़ा कर दिन में 1 या 2 बार नियमित रूप से इसे पियें।
प्याज में भी जौ की तरह एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। यही वजह है कि बात जब टॉन्सिल का घरेलू उपचार करने की आती है तो प्याज का पानी पीने की सलाह भी दी जाती है। प्याज का पानी बनाना बेहद आसान है। इसके लिए आधे कप पानी में प्याज को पीस कर मिला लें। स्वाद के लिए इसमें शहद डाल दें। अब इस मिश्रण को पी लें। आप इसे दिन में 1 बार पी सकते हैं।
यह तो हम आपको बता ही चुके हैं कि टॉन्सिल होने का प्रमुख कारण बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। ऐसे में लहसुन को भी टॉन्सिल का घरेलू उपचार करने की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर टॉन्सिल में लहसुन का इस्तेमाल कैसे किया जाये। तो इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। बस एक गिलास पानी गर्म करें और उसमें 2 से 3 कलियां लहसुन की दाल दें। अब इस पानी को कुछ देर के लिए ठंडा होने दें। बाद में इस पानी से गरारे कर लें। दिन में 2-3 बार आप इस पानी से गरारे कर सकते हैं।
अदरक भी टॉन्सिल का घरेलू इलाज है। अदरक में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो टॉन्सिल में होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए आपको अदरक वाला पानी पीने की जरूरत है। एक इंच ताजा अदरक को एक कप पानी में डालकर 5 मिनट तक गर्म करें। फिर कुछ देर के लिए इसे ठंडा होने दें। अब इस पानी में स्वाद के लिए एक चम्मच शहद मिलकर पियें। आप दिन में 3 से 4 बार इस पानी को पि सकते हैं।
दूध-हल्दी कई तरह के रोगों और दर्द में फायदेमंद रहता है। यही वजह है कि बात जब टॉन्सिल का घरेलू उपचार करने की आती है तो दूध-हल्दी को भी इसके घरेलू उपचार में शामिल किया जा सकता है। दूध हल्दी बनाना भी बेहद आसान है। इसके लिए आपको बस 1 गिलास दूध गर्म करना है और उसमें आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाना है। आप चाहें तो इसमें चुटकी भर काली मिर्च पाउडर भी मिला सकते हैं।
मेथी के बीज भी टॉन्सिल का घरेलू उपचार में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। मेथी के बीज में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो टॉन्सिल को कम करने में मददगार हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी के बीज मिलकर गर्म कर लें। उसके बाद उसे थोड़ा ठंडा होने दें और फिर उस पानी से गरारे कर लें। दिन में 2 से 3 बार इस पानी से गरारे करने पर आपको जल्दी फायदा मिल सकता है।
टॉन्सिल के दौरान ऐसे कई तरह के खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें खाना आपको नजरअंदाज करना चाहिए। मगर अब सवाल यह उठता है कि टॉन्सिल्स में क्या खाना चाहिए (Tonsils me Kya Khana Chahiye) तो इसका जवाब हम आपको यहां देंगे। जानिए टॉन्सिल में क्या खाना चाहिए-
– मैकरोनी और पनीर सहित गर्म, पका हुआ पास्ता
– गर्म दलिया, पका हुआ अनाज, या जई का आटा
– जिलेटिन डेसर्ट
– शुद्ध फलों के साथ सादा दही या योगर्ट
– पकी हुई सब्जियां
– फल या सब्जी स्मूदी
– मसले हुए आलू
– शोरबा और क्रीम आधारित सूप
– दूध
– अंगूर या सेब का रस
– तले हुए या उबले अंडे
सवाल- टॉन्सिल होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?
जवाब- बहुत ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजें, ज्यादा गर्म या ठंडी चीज, और खट्टी व ऑयली चीजों का सेवन टॉन्सिल में करने से बचना चाहिए।
सवाल- टॉन्सिल कितने दिन में ठीक होता है?
जवाब- आमतौर पर यह 1 हफ्ते तक ठीक होता है।
सवाल- टॉन्सिल में दर्द क्यों होता है?
जवाब- टॉन्सिल बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। यही वजह है कि इसमें गले व कान में दर्द होता है।
सवाल- गले का टॉन्सिल कैसे होता है?
जवाब- क्टीरियल इंफेक्शन के कारण गले का टॉन्सिल होता है।
सवाल- टॉन्सिल्स होने पर कब डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?
जवाब- अगर आपको बुखार जो 103°F (39.5°C) से अधिक हो, मांसपेशी में कमज़ोरी, गर्दन में अकड़न के अलावा 2 दिनों के बाद भी गले में खराश दूर नहीं होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अगर आपको यहां बताए गए टॉन्सिल का घरेलू उपचार समझ आए तो इन्हें टॉन्सिल की बीमारी होने पर जरूर आजमाएं। इसके अलावा अगर आपके किसी जानने वाले को टॉन्सिल की बीमारी से दो-चार होना पड़ रहा है तो उन्हें भी हमारा ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।