हो सकता है कि एक कपल होने के नाते आपने अपने पार्टनर से इमोशनल सपोर्ट की उम्मीद की हो और कुछ भी होने पर आप उनसे सपोर्ट लेते हों और ये पूरी तरह से सामान्य है। यहां तक कि हो सकता है कि जब आप परेशान होते हों तो आप अपने चाहते हों कि आपका पार्टनर आपकी बात सुने और ये भी नॉर्मल है लेकिन परेशानी तब होती है, जब आप हर समय अपने पार्टनर से इमोशनल सपोर्ट लेते रहते हैं। हो सकता है कि शुरुआत में आपके पार्टनर को ये सब नॉर्मल लगे लेकिन समय के साथ उन्हें ऐसा लग सकता है कि आप क्लिंगि हैं या फिर वो आपसे अनोएड महसूस कर सकते हैं।
ऐसे मामलों में ये बहुत जरूरी है कि आप अपने पार्टनर पर इमोशनली डिपेंडेंट होने से बचें। अब अगर आप सोच रहे हैं कि ऐसा कैसा करें तो हम यहां इसमें आपकी मदद करने वाले हैं और इस वजह से हम आपके लिए कुछ टिप्स भी लेकर आए हैं।
अगर आप अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं तो इससे आपको अपने पार्टनर पर इमोशलन डिपेंडेंसी कम करने में मदद मिलेगी। जब आप अपने पार्टनर के साथ ज्यादा समय बिताते हैं तो ऐसा हो जाता है कि आप अपने पार्टनर पर अधिक इमोशनली डिपेंड हो जाते हैं। ऐसे में अपने दोस्तों और करीबी लोगों के साथ भी समय बिताने की कोशिश करें। आप अपने दोस्तों के साथ लंच या फिर डिनर पर जा सकते हैं। अगर आपका किसी से बात करने का मन करता है ऐसे लोगों को फोन करें जिनपर आपको भरोसा हो और उनसे बात करें।
नई स्किल सीखने से भी आप अपने पार्टनर पर इमोशनली डिपेंडेंसी को कम कर सकते हैं। जब आप कुछ नया सीखते हैं तो आप बिजी रहते हैं और इससे आपको अपने इमोशन से डील करने में मदद मिलती है। यहां तक कि आप अपनी एनर्जी को किसी प्रोडक्टिव चीज में लगाते हैं, जिससे आपको वाकई अच्छा महसूस होता है। हो सकता है कि शुरुआत में आपको ऐसा महसूस ना हो लेकिन जब आप अधिक से अधिक समय कुछ नया सीखने लगते हैं तो आप इमोशनली इंडिपेंडेंट बन जाते हैं।
अगर आपको अपने पार्टनर को हर समय कॉल या मैसेज करने की आदत है तो इसकी वजह से भी आप उन पर इमोशनली डिपेंडेंट हो सकते हैं। हम समझते हैं कि कभी-कभी आपका अपने पार्टनर से बात करने का मन करता होगा या फिर अपनी फीलिंग और इमोशन शेयर करने का मन करता होगा। लेकिन उन्हें दिनभर कॉल और मैसेज करने की जगह आप अन्य चीजों पर भी ध्यान दे सकते हैं। उदाहरण के लिए आप किताब पढ़ सकते हैं, पेंटिंग कर सकते हैं या फिर माइंडफुलनेस प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने पार्टनर का घर आने का इंतजार कर सकते हैं। इसके बाद आप अपने पार्टनर से उन सभी चीजों के बारे में बात कर सकते हैं, जो आपके माइंड में हैं।
अपने इमोशन और फीलिंग को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका उन्हें लिखना है। हो सकता है कि आप कभी-कभी इमोशनली काफी परेशान हों। ऐसे समय में आप खुद को बेहतर महसूस करवाने के लिए जर्नल लिख सकते हैं या सिर्फ अपनी फीलिंग्स लिख सकते हैं। इस तरह से आपको अपने पार्टनर पर इमोशनली डिपेंडेंट नहीं होना पड़ेगा।
आपकी हॉबी आपकी काफी मदद कर सकती हैं। उन दिनों को याद करें जब आप अपनी पसंद की चीजें किया करते थे, जिनमें आपको काफी मजा आता था। तो आप एक बार फिर से अपनी हॉबी पर ध्यान दे सकते हैं। या फिर आप चाहें तो नई हॉबी भी अपना सकते हैं। उदाहरण के लिए आप पेंट करना या फिर ड्रो करना सीख सकते हैं। या फिर आप ब्लॉगिंग या फिर वीडियो ब्लॉगिंग कर सकते हैं। इस तरह से आप खुद को इमोशनली परेशान होने से बचा सकते हैं।
मेडिटेशन और रीडिंग भी पार्टनर पर इमोशनली डिपेंडेंट ना होने में आपकी मदद कर सकता है। दोनों चीजें करने से आपका दिमाग प्रोडक्टिव चीजों पर फॉक्स करने लग जाता है। इससे आप खुद को शांत और पेशेंट रख पाते हैं और मुश्किल परिस्थितियों को भी आसानी से टैकल कर पाते हैं। उदाहरण के लिए जब आप मेडिटेशन करते हैं तो आप अपने दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा की ओर ले जाते हैं। इसी तरह से पढ़ने से आप चीजों को नए पर्सपेक्टिव से देखते हैं।
आप जो भी चीजें ट्राई करते हैं, उनसे अलग खुद की सराहना करना ना भूलें। आप खुद को हर छोटा कदम लेने पर बता सकते हैं कि आपको खुद पर कितना प्राउड है। इतना ही नहीं आप खुद को रिवॉर्ड भी दे सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपने खुद को हर छोटी चीज के लिए पार्टनर को परेशान ना करना सीख लिया है तो आप खुद को आइसक्रीम पार्टी दे सकते हैं।