ऐसे समय में जब व्हाट्सएप स्टेटस से लेकर इंस्टा स्टोरीज तक हर कोई परफेक्ट दिखता रहता है, बड़े होते बच्चों में अपनी बॉडी को लेकर तरह तरह के इंसिक्योरिटी होती हैं। बॉडी इमेज का मतलब ही यही है कि हम अपने शरीर के बारे में क्या सोच रहे हैं। अगर हम अपने शरीर को लेकर पॉजिटिव सोचते हैं तो इसका असर हमारी पूरी पर्सनैलिटी पर पड़ता है। हम ज्यादा कॉन्फिडेंट रहते हैं और खुद के प्रजेन्स को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन अगर हमारे मन में अपने शरीर को लेकर किसी भी तरह के नेगेटिव फीलिंग्स है तो इसका असर कई चीजों पर पड़ता है।
बच्चों में नेगेटिव बॉडी इमेज खराब सेल्फ रेस्पेक्ट, खुद को अत्यधिक क्रिटिसाइज करने की आदत और नेगेटिव इमोशन्स को बढ़ावा देता है। ये चीजें आगे चलकर डिप्रेशन. स्ट्रेस और ईटिंग डिसॉर्डर भी बन सकती हैं। इसकी वजह से बच्चे अपने लिए सही पार्टनर और दोस्त ढूंढने में भी गलती करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि पैरेन्ट्स खुद कुछ बातों का खास ख्याल रखकर अपने बढ़ते बच्चों को एक ऐसा वातावरण दें जहां बच्चे अपनी बॉडी को लेकर पॉजिटिव सोच रख सकें। ये टिप्स पेरेंट्स के लिए हैं यूजफुल-
1. बॉडी और ब्यूटी से हैं अधिक
बच्चों को बताएं कि “वे अपने शरीर से कहीं अधिक हैं। यह एक बहुत ही प्रभावी संदेश है जिसे हम, माता-पिता के रूप में अपने बच्चों को दे सकते हैं। दया, साहस और मदद करने वाले स्वभाव जैसे गैर-भौतिक गुणों की सचेत रूप से सराहना करें। उन्हें बताएं कि आप उन्हें इंसान के रूप में महत्व देते हैं, न कि केवल प्यारे या सुंदर होने के लिए।
2. न दें कोई टैग
मस्ती-मजाक में या प्यार से भी बच्चों को फैटी आदि जैसे शब्द जो कि शारीरिक खामियों को दिखाते हैं बोलने से बचें। इससे वो अपनी बॉडी को लेकर कॉन्शियस होने लगते हैं।
3. वेट नहीं, हेल्थ हो प्रायऑरिटी
खाने के चुनाव को लेकर और एक्सरसाइज के साथ बच्चों का रिश्ता उनके वजन के आधार पर न बनने दें। उन्हें ये कहने की जगह कि ये खाने से मोटे नहीं होगे या एक्सरसाइज करने से पतले रहोगे, उन्हें बताए कि फिट रहने के लिए क्यों ये चीजें जरूरी हैं। उन्हें बताएं कि कैसे एक्सरसाइज बेहतर कंसेन्ट्रेशन के लिए डरूरी आदि पर जोर दें।
4. सोशल मीडिया के इफेक्ट पर दें ध्यान
जब लोग तरह के तरह के फिल्टर्स और फोटोशॉप यूज करके अपनी तस्वीरें शेयर करते हैं, ऐसे में बच्चों ब्यूटी और बॉडी को लेकर गलत सोच रख सकते हैं। क्या सही है, क्या रियल है और नेचुरल दिखना क्या होता है बच्चों को बताए। इन चीजों पर जितना बात करेंगे उतना उनकी सोच को सकारात्मक तरीके से शेप कर सकते हैं।
5.खुद बनें एक्जाम्पल
बच्चे अपने बड़ों से सीखते हैं। इस बात का ध्यान दें कि आप उनके सामने अपनी इंसीक्योरिटीज़ तो नहीं जाहिर कर रहे। अपने ऊपर वर्क करें और अगर आपके मन में किसी तरह की असुरक्षा है तो उसे पॉजिटिव नजरिए से देखनें की कोशिश करें। बच्चों के लिए एक रोल मॉडल बनें और सबसे पहले अपने शरीर के बारे में अच्छा महसूस करना शुरू करें।
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