मेरे प्यारे बॉयफ्रेंड!
तुम्हें पता है मुझे भी हर बार अफसोस होता है जब हम लड़ते हैं और फिर कोशिश करते हैं कि किसी भी तरह ये सब नॉर्मल हो जाए। पर आज मैं तुम्हें बताना चाहती हूं कि मुझे कभी-कभी वो सब पसंद आता है। उस नोंक-झोंक की भीनी यादें बहुत अच्छी लगती हैं। वो लड़ना-झगड़ना हमें बहुत कुछ दे जाता है। ख़ैर, क्यों पसंद है मुझे तुमसे कभी कभी लड़ना.. बताती हूं।
और मैं तुम्हें छोड़कर जाने से बेहतर तुमसे उस बात पर लड़ना समझती हूं। 🙂
हर लड़ाई के बाद हम एक-दूसरे को और बेहतर समझ पाते हैं। हमारा डर, insecurities और सारे doubts निकलकर बाहर आते हैं।
ये ज़रूरी है.. और हम दोनों एक-दूसरे की कुछ बातें लेकर घुटते रहें, परेशान रहें.. इससे तो अच्छा ही है कि सब कुछ sort-out किया जाए।
उससे ज्यादा जितनी तुम हर रोज देते हो। 😉 😀
और इसके लिए argument से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता।
बहस के बाद अक्सर अगला नम्बर सेक्स का होता है। 😉
अगर हमें पता ही नहीं चलेगा कि कौन-सी चीज़ें मुझे या तुम्हें परेशान करती हैं तो हम प्रॉब्लम सुलझाएंगे कैसे।
और फिर मैं तुम्हें और भी ज्यादा प्यार करने लगती हूं। 🙂
..कि हम लोग कितना लड़ते हैं। फाइनली हम दोनों हमेशा एक-दूसरे के साथ हैं। 🙂
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यह स्टोरी POPxo हिन्दी के लिए Riwa Singh ने लिखी है।