मेहंदी जिसे हिना भी कहते हैं, दक्षिण एशिया में प्रयोग किया जाने वाला शरीर को सजाने का एक साधन होता है। इसे हाथों, पैरों, बाजुओं आदि पर लगाया जाता है। हालांकि आज कल के समय में तो मेहंद लगवाने की दीवानगी इस कदर बढ़ गई है कि अब लोग हाथ-पैर छोड़कर फुल बॉडी मेहंदी डिजाइन का रुख कर रहे हैं।
शादी, त्योहार, जन्मदिन आदि मेहंदी के बिना पूरे नहीं होते हैं। हमारे यहां शादी पर मेहंदी लगाना काफी शुभ माना जाता है। मेहंदी के बिना शादी की रस्में भी पूरी नहीं होती। यही वजह है कि मेहंदी को लेकर लोगों में अलग टाइप का क्रेज है। खासतौर पर शादी में दुल्हन के हाथों में मेहंदी लगाने की परंपरा, जोकि काफी समय से चली आ रही है लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि आखिर ये मेहंदी कैसे भारत में आई? क्यों बनी इतनी पॉपुलर ये मेहंदी? कैसे ये शादी पर या त्योहारों पर मेहंदी लगाने की परंपरा शुरू हुई? अगर हमारी तरह आपके मन में भी मेहंदी को लेकर ये उत्सुकता है तो आपको यहां इस बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
मेहंदी का इतिहास | history of mehndi in hindi
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मेहंदी शब्द एक अरबी शब्द “अल-हिना” से उत्पन्न हुआ है। संयंत्र आमतौर पर मिस्र, केन्या, अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान और भारत जैसे गर्म जलवायु में पाया जाता है।मेंहदी का इतिहास प्राचीन मिस्र से 9,000 साल पुराना है, जो अपने बालों और नाखूनों को रंगने के लिए खुद को और अधिक सुंदर बनाने के लिए है। मेंहदी के इतिहास की बात करें तो 1550 ईसा पूर्व के आसपास रही होगी और उस समय लोग चोटों के उपचार में करते थे। वैसे कैथरीन कार्टराइट-जोन्स का मानना है कि मेंहदी क्रेते, ग्रीस से आई थी। इसका इतिहास 3,000 से 6,000 ईसा पूर्व तक पुराना है। लेकिन वहीं कुछ इतिहासकार ये भी मानते है कि मेहंदी प्राचीन भारत की देन है। अजंता एलोरो की गुफाओं में, कई भित्ति चित्रों में महिलाओं को शारीरिक रंग के रूप में मेंहदी के साथ चित्रित किया गया है।
जानिए कब से शुरू हुई भारत में मेहंदी लगवाने की परंपरा | When did mehndi come to India?
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ऐसा माना जाता है कि भारत में मेहंदी 12वीं शताब्दी में मुग़ल सल्तनत के आगमन के साथ चलन में आई। मुग़ल रानियां मेहंदी से अपने हाथों को सजाना पसंद करती थीं और साथ ही वो इसके औषधीय गुणों और ठंडी तासीर से भी वाकिफ थीं। तब तक के समय में मेहंदी हिंदू रीति-रिवाज का हिस्सा नहीं थी। चूंकि लंबे समय तक मुगल शासन रहने के कारण भारत में भी हाथों को मेहंदी से सजाने का प्रचलन शुरू होने लगा। हिंदू रीति-रिवाज में भी मेहंदी लगाने का चलन आ गया। इसी के चलते पुराने समय से आज तक किसी भी शुभ काम से पहले सुहागन महिलाएं हाथों और पैरों मे मेहंदी लगाती हैं।
क्यों लगाई जाती है शादी में दुल्हा-दुल्हन को मेहंदी? why bride put mehendi importance in hindi
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चूंकि मेहंदी की तासीर काफी ठंडी होती है। ऐसा माना जाता है कि शादी के समय दूल्हा और दुल्हन दोनों को बहुत घबराहट होती है। मेहंदी का स्वभाव ठंडा होता है जिसकी वजह से ये बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन करता है और शरीर को ठंडक प्रदान करता है। प्राचीन काल में भी बॉडी के तापमान को मेंटेन करने के लिए ही मेहंदी का इस्तेमाल किया जाता था। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में 16 श्रृंगारों का जिक्र किया जाता है जिसमें मेहंदी भी शामिल है। मेहंदी दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करती है। मेहंदी को प्यार की निशानी के तौर पर माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, नई-नवेली दुल्हनों के हाथों में मेहंदी का रंग जितना गाढ़ा रचता है, उसका पति उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है। वहीं धार्मिक लिहाज से भी मेहंदी का काफी महत्व है।