कट्टरपंथ की धुर विरोधी और विवादित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया के अपने ट्विटर हैंडल पर आज एक ट्वीट करके लिखा है कि पीरियड के दौर से गुजर रही सभी महिलाओं को सभी धार्मिक परम्पराओं और सभी सामाजिक आयोजनों में शामिल होने का अधिकार होना चाहिए। इसके साथ ही उन्हें किसी भी वस्तु या व्यक्ति को छूने का भी अधिकार होना चाहिए। किसी महिला के मासिक धर्म यानि पीरियड होने का यह अर्थ नहीं है कि वह धर्म से संबंधित कोई काम न कर सके। तस्लीमा ने यह भी कहा है कि पीरियड के दौरान किसी भी महिला को रोजा या व्रत रखने और इबादत करने का भी अधिकार होना चाहिए। तस्लीमा ने यह बात खासतौर पर रमजान के लिए कही है। देखें उनकी यह ट्वीट –
All Menstruating women should have the right to perform religious rituals and to attend social celebrations, to touch anything or anybody. Menstruating women should have the right to fast and pray during Ramadan.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 16, 2018
गौरतलब है कि तस्लीमा नसरीन हर धर्म में अति कट्टरवाद का विरोध करती रहती हैं। जानेमाने पत्रकार राजदीप सरदेसाई के साथ एक इंटरव्यू में तस्लीमा ने भारत को बांग्लादेश से ज्यादा शांतिप्रिय बताते हुए कहा था कि इस्लाम शांति का धर्म नहीं है।
आपको बता दें कि तसलीमा नसरीन बांग्ला लेखिका एवं भूतपूर्व चिकित्सक हैं जो 1994 से बांग्लादेश से निर्वासित हैं। तसलीमा अपने नारीवादी विचारों वाले लेखों और उपन्यासों के अलावा इस्लाम एवं अन्य नारीद्वेषी मजहबों की आलोचना करने के लिये जानी जाती हैं।
बांग्लादेश में उन पर जारी फ़तवे के कारण आजकल वे भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं। अब उन्होंने भारत में स्थाई नागरिकता के लिये आवेदन किया है। स्त्री के स्वाभिमान और अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए तसलीमा नसरीन ने बहुत कुछ खोया है, यहां तक कि अपना भरापूरा परिवार, दाम्पत्य, नौकरी सब दांव पर लगा दिया।
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