बच्चों के लिए दूध पीना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इससे उन्हें भरपूर पोषण मिलता है। कई माँ किन्हीं कारणों के चलते बच्चे को दूध नहीं पिला पाती हैं। ऐसी स्थिति में ब्रेस्ट मिल्क के विकल्प के तौर पर फॉर्मूला मिल्क पिलाने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आप जानती हैं कुछ शिशु को फॉर्मूला मिल्क से एलर्जी की शिकायत हो सकती है।
बेबी फॉर्मूला मिल्क से शिशु को एलर्जी तो नही हैं, पेरेंट्स को इसका पता लगाने के लिए कुछ अहम बातों पर ध्यान देना होगा। इस लेख में हम उन्हीं संकेतों के बारे में जानेंगे, जिससे आप इसके बारे में पता लगा पाएंगे। साथ ही बताएंगे कि बच्चों को ऐसी समस्या होने पर पेरेंट्स को क्या करना चाहिए और बेबी फार्मूला मिल्क देते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
क्या शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क सेफ है?
हाँ, अगर शिशु को माँ का दूध नहीं मिल पा रहा है, तो फॉर्मूला मिल्क को सुरक्षित व बेहतर विकल्प माना जाता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन फैट, शुगर समेत जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। हालांकि, कोई भी माँ अपने बच्चे को इसे देने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना न भूलें। डॉक्टर आपके बच्चे के स्वास्थ्य के अनुसार फॉर्मूला मिल्क देना है या नहीं, इसका सुझाव देंगे। कुछ बच्चों को फॉर्मूला मिल्क से एलर्जी की शिकायत हो सकती है, जिसके बारे में लेख में आगे विस्तार से बताएंगे।
क्या शिशु में फॉर्मूला मिल्क से एलर्जी की शिकायत हो सकती है?
कुछ शिशुओं में दूध से एलर्जी की शिकायत हो सकती है। ऐसा कुछ बच्चों के इम्यून सिस्टम द्वारा दूध में पाए जाने वाला विशेष प्रोटीन के प्रतिक्रिया करने पर होता है। ऐसे बच्चों के लिए फॉर्मूला मिल्क पचाना मुश्किल होता है। शिशु में फॉर्मूला मिल्क से एलर्जी होने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:
- दूध पीने के तुरंत बाद बच्चे का लगातार रोना
- त्वचा का लाल होना
- सांस की तकलीफ
- घरघराहट
- खुजली होना
- होंठों व आंखों के आस-पास सूजन
- डायरिया
- कब्ज
- कोलिक
- उल्टी
- पेट में दर्द
- नाक बहना
यदि फॉर्मूला मिल्क पिलाने के बाद शिशु में इनमें से कोई लक्षण नजर आता है, तो बच्चे को इसे देना बंद कर दें। साथ ही इसे लेकर शिशु विशेषज्ञ से चर्चा करें।
शिशु में फॉर्मूला मिल्क से एलर्जी होने पर क्या करें?
अगर शिशु को फॉर्मूला मिल्क देने से लेख में ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं तो सबसे पहले उनके चिकित्सक से संपर्क करें। डॉक्टर उन्हें हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला मिल्क ((Hypoallergenic Formula Milk) लेने की सलाह दे सकते हैं। इसे विशेष उन बच्चों के लिए बनाया गया है जिन्हें मिल्क प्रोटीन से एलर्जी होती है। हाइपोएलर्जेनिक फॉर्मूला मिल्क साधारण फॉर्मूला मिल्क की तुलना में महंगा हो सकता है।
फॉर्मूला मिल्क में लैक्टोज भी मौजूद होता है। वहीं, कुछ शिशुओं में लैक्टोज से एलर्जी व लैक्टोज को पचाने में परेशानी होती है। यदि बच्चे को लैक्टोज असहिष्णुता के कारण फॉर्मूल मिल्क पीने से परेशानी हो रही है, तो ऐसे में डॉक्टर सोया फॉर्मूला मिल्क (Soy-Based Formula) लेने की सलाह दे सकते हैं। सोया फॉर्मूला मिल्क में लैक्टोज नहीं होता है।
शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
शिशु को फॉर्मूला मिल्क में मौजूद पोषक तत्व मिल सकें, इसके लिए इसे बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है, नीचे इसी से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं।
- शिशु के लिए फॉर्मूला मिल्क बनाने से पहले अपने हाथों का साफ करना न भूलें।
- फॉर्मूला मिल्क खरीदते समय इसके पैकेट पर इसकी एक्सपायरी डेट जरूर देखें।
- छोटे बच्चे के लिए फॉर्मूला मिल्क बनाते समय पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। दूध न ज्यादा पतला बनाएं और न ही गाढ़ा। शिशु को गाढ़ा दूध देने से उनमें आंतों से संबंधित गंभीर बीमारी हो सकती है।
- इसका पैकेट खोलने के एक महीने के अंदर पूरा इस्तेमाल करें।
- एक बार में शिशु को इसकी जितनी मात्रा की जरूरत है उतना ही फॉर्मूला मिल्क तैयार करें।
- बच्चे को बोतल में बचा हुआ फॉर्मूला मिल्क देने की गलती न करें।
- एक साथ दूध तैयार करके रखने से दूध की बोतल में बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
- जितनी बार बच्चे को फॉर्मूला मिल्क दें उतनी बार दूध की बोतल, ढक्कन व निप्पल को गर्म पानी से साफ करें।
- शिशु को दूध देने से पहले एक बार अपने हाथ में दूध की कुछ बूंद डालकर टेम्परेचर चेक करें। ध्यान रखें दूध न तो ज्यादा गर्म होना चाहिए और न ही ठंडा।
उम्मीद करते हैं शिशु के लिए बेबी फॉर्मूला मिल्क कितना उपयोगी है, इसके बारे में लेख को पढ़ने के बाद आप अच्छे से समझ गए होंगे। वैसे तो बच्चे के शुरुआती छह महीनों के लिए माँ के दूध के बढ़कर कुछ नहीं होता है। लेकिन, अगर किसी वजह से शिशु को माँ का दूध नहीं मिल पा रहा है, तो ऐसे में इसे सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।
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