करीब 40 प्रतिशत महिलाओं 40 की उम्र के बाद ऑरगैज़्म हासिल न कर पाने आदि सेक्स संबंधी समस्याओं की वजह से मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद बहुत कम महिलाएं ही किसी डॉक्टर की सलाह लेती हैं। इस उम्र में ऑरगैज़्मिक प्रॉब्लम बहुत सामान्य हैं और अच्छी खबर यह है कि अब इसे ओ-शॉट की मदद से ठीक किया जा सकता है।
सेक्स समस्याओं का इलाज
ओ-शॉट या ’’ऑरगैज़्म शॉट’’ का इस्तेमाल महिलाओं में यौन संबंधी परेशानियों के उपचार में और ऑरगैज़्म हासिल करने में मदद करने के लिए किया जाता है। इसमें सबसे पहले प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा (पीआरपी) को मरीज के रक्त में से निकाला जाता है और फिर इस पीआरपी को क्लिटोरिस के आसपास के हिस्से और वेजाइना में इंजेक्ट करके भीतर पहुंचा दिया जाता है।
मिले सही परिणाम
यह शॉट मरीज की बांह से निकाले गए रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स के इस्तेमाल से तैयार किया जाता है। इस रक्त को अपकेंद्रण के लिए रख दिया जाता है जो प्लेटलेट रिच प्लाज्मा (पीआरपी) बनाते हैं। इसे योनि के विशेष हिस्से में पहुंचा कर जरूरी परिणाम पाया जा सकता है। यह मरीज की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह सिर्फ एक शॉट लेना चाहती है या फिर इससे अधिक शॉट लेना चाहती है जिन्हें मौजूदा पीआरपी से ही तैयार किया जा सकता है।
ओ-शॉट का लक्ष्य
पीआरपी के ओ-शॉट का लक्ष्य नई कोशिकाओं की वृद्धि में तेजी लाना और इंजेक्टेड हिस्से को ज्यादा संवेदनशील बनाना है। इसका असर करीब एक साल तक रहता है। इस प्रक्रिया के बाद ऑरगैज्म अधिक अनुकूल और जल्दी होता है। इससे प्राकृतिक लुब्रिकेशन और उत्तेजना भी बेहतर होती है। यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है और इसमें सिर्फ 40 मिनट लगते हैं और इसके बाद महिला आराम से घर जा सकती हैं।
(कॉस्मेटिक एंड एस्थेटिक सर्जरी विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स के प्रेसिडेंट डॉ. अनूप धीर से बातचीत के आधार पर)
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