सरोजिनी लकड़ा की कहानी वाकई दिल छू लेने वाली है और दृण संकल्प का बेहतरीन उदाहरण है। दरअसल, रांची पुलिस फोर्स में 37 साल तक बतौर कांस्टेबल सर्व करने के बाद उन्होंने हाल ही में आईपीएस ऑफिसर की प्रतिष्ठित रैंक हासिल की है। एक आदिवासी परिवार से आने वाली सरोजिनी की इस ऊंचाई तक पहुंचने की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
सरोजिनी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था। हालांकि, सरोजिनी को हमेशा से ही खेल में दिलचस्पी थी और उनके अंदर प्रतिभा भी थी। और संसाधनों की कमी के बाद भी वह खेल के प्रति अपने पैशन को फॉलो करती रहीं और उन्हें कोई परेशानी आगे बढ़ने से नहीं रोक पाई। वह रोजाना 5 किलोमीटर नंगे पैर स्कूल जाती थीं और नियमित रूप से अपनी एथलेटिक पावर दिखाते हुए खेलों में मेडल भी जीता करती थीं। इतना ही नहीं गेम में मिले उन्हें पहले कैश प्राइज की मदद से उनके परिवार को गाय खरीदने में मदद मिली और यह उल्लेखनीय है।

सरोजिनी के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब कोच रॉबर्ट किस्पोट्टा का ध्यान उन पर गया, जिन्होंने सरोजिनी की एथलेटिक क्षमता को पहचाना। कोच रॉबर्ट ने अपनी खेल अकादमी में सरोजिनी का स्वागत किया और उनके कौशल को निखारने पर तो काम किया ही बल्कि साथ ही उन्हें भोजन और आवास की सुविधा भी प्रदान की। किस्पोट्टा के मार्गदर्शन में, सरोजिनी ने विभिन्न खेल आयोजनों में अपने जिले और झारखंड राज्य का प्रतिनिधित्व किया और पदकों का एक उल्लेखनीय संग्रह हासिल किया।
सरोजिनी की इन असाधारण खेल उपलब्धियों के कारण ही पुलिस फॉर्स में करियर बनाने का उनका रस्ता खुला। यहां वह खेल कोटा के जरिए कांस्टेबल के तौर पर शामिल हुईं। कांस्टेबल बनने के बाद भी वह अपने खेल के कारण आगे बढ़र रही। बता दें कि सरोजिनी 100 मीटर बाधा दौड़, 100×400 मीटर रिले, ऊंची कूद, लंबी कूद और हेप्टाथलॉन आदि कई खेलों में माहिर हैं और इनकी मदद से उन्होंने कई पदक अपने नाम किए हैं और उन्हें कई प्रशंसाएं भी मिली हैं।

इन वर्षों में, सरोजिनी लाकड़ा ने सार्वजनिक सुरक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए, विभिन्न क्षमताओं में राज्य पुलिस की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया। उनकी पुलिस फॉर्स की जर्नी प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा में औपचारिक रूप से शामिल होने के साथ नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। यहां वह वर्तमान में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में कार्यरत हैं।
सरोजिनी लाकड़ा की प्रेरणादायक कहानी उन सभी महत्वाकांक्षी लोगों के लिए इंस्पीरेशन है जो विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं लेकिन फिर भी डटे हुए हैं। साधारण शुरुआत से आईपीएस अधिकारी के पद तक उनका पहुंचना डेटरमिनेशन को दर्शाता है और वाकई सरोजिनी की कहानी कई लोगों के लिए जीता-जागता उदाहरण है, जो अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।