बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री के लिए ऋचा चड्ढा का नाम कोई नया नहीं है। बिना खूबसूरती और बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के सिर्फ अपनी काबिलियत के दम पर ही ऋचा चड्ढा इस फिल्म इंडस्ट्री में किसी न किसी तरह से बनी हुई हैं। जिस फिल्म इंडस्ट्री में कोई ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता, वहीं ऋचा अपनी काबिलियत के अनुरूप कोई न कोई कोई न कोई रोल हासिल कर ही लेती हैं।
बचपन की यह फोटो की शेयर
आज सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम पर अपनी 12वीं क्लास की एक तस्वीर शेयर करके ऋचा ने बचपन से लेकर बॉलीवुड पहुंचने की पूरी दास्तान कह दी है। बचपन का यह क्यूट सा फोटो शेयर करके ऋचा लिखती हैं कि यह उनकी 12वीं क्लास की तब की फोटो है, जब वो मात्र 17 साल की थीं।
इसके आगे वो कहती हैं कि आप देख सकते हैं कि मैं तब भी काफी ड्रामैटिक थी। उन्होंने बताया कि वो चार साल की उम्र से ही एक्टर बनना चाहती थीं और उन्हें लगता था कि वो टैलेंटेड हैं, खूबसूरत हैं और इसलिए उन्हें यह चांस मिल सकता है।
इंडस्ट्री में जमने के लिए क्या-क्या किया
ऋचा ने यह भी बताया कि बॉलीवुड में आकर एक्टिंग के क्षेत्र में जमने के लिए उन्होंने क्या- क्या किया। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने थियेटर किया, कथक डांस सीखा, स्ट्रीट जैज़ सीखा, मॉडलिंग में भी हाथ आज़माया। और यह सब कुछ उन्होंने अपने बचपन के इस एक सपने के लिए किया।
फिल्म इंडस्ट्री पहुंचना नहीं है कोई खेल
उन्हें पता था कि यह कोई जादू नहीं है। उन्होंने कहा कि वो जानती थीं कि फिल्म इंडस्ट्री कोई खेल का मैदान नहीं है और इंडस्ट्री के बड़े खानदानों के बच्चों को ही यहां प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन इसके बावजूद उन्हें कोई रोक नहीं सका।
किये हैं कैसे- कैसे किरदार
ऋचा ने कहा कि अभी भी वह अपनी सही जगह पर नहीं पहुंची हैं। इसकी वजह वह ये बताती हैं कि अब तक उन्होंने एक भी ऐसी फिल्म नहीं की है जिसे टिपिकल कहा जा सकता हो। इसी तरह उन्होंंने हीरोइन का कोई भी पारम्परिक किरदार नहीं निभाया है। वो बताती हैं कि अपनी पहली फिल्म में वो बहन बनीं, फिर किसी की मां और एक बुड्ढी का रोल किया। अगली फिल्म में खुद से दस साल बड़ी महिला का किरदार निभाया। यहां तक कि उन्होंने भोली पंजाबन का एक ऐसा किरदार निभाया जो किसी भी लड़की के लिए निभाना आसान नहीं था।
अंत में ऋचा कहती हैं कि इन सभी बातों के बावजूद आज यहां हैं, क्योंकि सिर्फ एक डेड फिश ही फ्लो के साथ बह सकती है। इससे उनका मतलब यह है कि जिसका कोई लक्ष्य न हो, उसे एक डेड फिश ही कहा जाएगा और वही बिना कुछ किये, बिना हाथपैर चलाए पानी की दिशा में बहती है। लेकिन जिसका लक्ष्य होता है, उन्हें अपने लक्ष्य के लिए बहुत कुछ करना होता है।
कथक में विशारद हैं ऋचा चड्ढा
इससे कुछ दिनों पहले ऋचा चड्ढा ने अपना एक और फोटो शेयर करते हुए बताया था कि उनकी यह फोटो तब की है जब वह 13 साल की थी। यह उनके स्कूल के किसी प्रोग्राम की फोटो है जिसमें उन्होंने अपनी मां की साड़ी से बनाया हुआ डांस कॉस्ट्यूम पहना है। यहां वो ये बताना नहीं भूलती कि उन्होंने इस साड़ी से कॉस्ट्यूम इसलिए बनवाया क्योंकि उन्हें पैरट ग्रान कलर बहुत पसंद था! इसके बाद वो कहती हैं कि बहुत कम लोगों को पता होगा कि वो कथक से विशारद (एक डिग्री) हैं। उन्होंने कथक डांस दस साल तक सीखा है, लेकिन अब यह फेड होने लगा है।
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