लिज्जत पापड़ अपने क्रिस्पी और क्रंची टेक्स्चर के साथ-साथ अपने स्वाद के लिए जाने जाते हैं। लिज्जत पापड़ की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी और आज यह देश और विदेश में एक जाना-माना ब्रांड है। केवल 80 रुपये से 1950 के शुरुआती सालों में 7 महिलाओं ने मिलकर इसकी शुरुआत की थी और ज्योति नायक उनमें से एक हैं।
दरअसल, ज्योति नायक चार भाई बहन में सबसे बड़ी हैं और जब वह केवल 12 साल की थीं तब से ही उन्होंने पापड़ बनाना सीख लिया था और वह लिज्जत पापड़ के साथ जुड़ गई थीं। वो पैकेजिंग डिवीजन में थीं जहां वो कई सारी चीजों को हैंडल करती थीं। 1976 में अपनी मां की अचानक मृत्यु के बाद भी वह लिज्जत पापड़ के साथ जुड़ी रहीं और साथ में अपने भाई-बहनों की भी परवरिश करती रहीं।
लिज्जत की कई ब्रांच में ज्योति ने काम किया और इसके बाद उन्हें ब्रांड का ब्रांच मेनेचर बना दिया गया था और इसके साथ ही 1981 में वह पत्रिका न्यूजलेटर की एडिटर भी बन गई थीं। 1999 में ज्योति को लिज्जत का प्रेसिडेंट चुना गया था। बता दें कि ज्योति ने कई गांव में महिलाओं को रोजगार दिलाने में मदद की है और साथ में सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल को भी डेवलप किया है।

ज्योति को उनके काम और जज्बे के लिए कई सारे अवॉर्ड्स भी मिले हैं। इसमें Economic Time’s Businesswoman of the Year Award for Corporate Excellence भी शामिल है। इतना ही नहीं 2003 और 2011 में श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ को बेस्ट विलेज इंडस्ट्री इंस्टीट्यूशन और ब्रांड पावर का भी अवॉर्ड मिला था।
लिज्जत पापड़ की शुरुआत 1959 में हुई थी और आज के वक्त में लिज्जत पापड़ में 42,000 लोग काम करते हैं और उनकी सालान सेल 100 मिलियन डॉलर है। भारत में ये 67 जगहों पर मौजूद है और लिज्जत का हेडक्वाटर मुंबई में स्थित है।
लिज्जत महिलाओं को सपोर्ट करने के साथ-साथ अपनी बिजनेस स्ट्रेटेजी के लिए भी जाना जाता है जहां फेयरनेस और इक्वेलिटी को बढ़ावा दिया जाता है। इतना ही नहीं लिज्जत ने महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई है। 50 से अधिक सालों तक लिज्जत अपने बेसिक बिलीफ पर चलता रहता है और साथ ही इसकी मैनेजमेंट भी स्टेडी है जो अपने कस्टमर्स तक हाई क्वालिटी पापड़ पहुंचाते आ रहे हैं।
ज्योति ने दावा किया है कि लिज्जत ने महिलाओं को इकोनॉमिक इंडिपेंडेंस के लिए एक प्लेटफॉर्म दिया है ताकि वो सोसाइटी में अपने प्रेस्टीज को रेज कर सकें। उन्होंने कहा, ”मैं इसे अपना सौभाग्य मानती हूं कि मैं इस ग्रुप का हिस्सा हूं जो महिलाओं के हक के लिए काम करता है।” ज्योति नायक और 2001-02 में बिजनेसवुमन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड मिला था। साथ ही उन्हें women’s emancipation में अपने योगदान के लिए वंदेमातरम राष्ट्रीय सेवा अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
ज्योति और लिज्जत पापड़ की ये जर्नी, असल में “rags-to-riches” कहानी है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर महिलाओं तक पहुंचने और उन्हें सशक्त बनाने, गांव के उद्योग को महिलाओं के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदलने की कड़ी मेहनत को भी दर्शाती है।