ADVERTISEMENT
home / एजुकेशन
प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा देने वाले बच्चों को दिये ये 7 गुरुमंत्र

प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा देने वाले बच्चों को दिये ये 7 गुरुमंत्र

10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के छात्रों से परीक्षाओं के बारे में बात करते हुए उन्हें परीक्षा से संबंधित तनाव, स्ट्रैस या अवसाद से दूर रहने का गुरुमंत्र दिया। यहां हम आपको उन सभी 7 मंत्रों के बारे में बता रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा देने वाले बच्चों को बताए हैं-

1. परीक्षा का डर कैसे दूर किया जाए

बच्चों की मेहनत में कोई कमी नहीं होती है। छात्र के साथ उसके माता-पिता और शिक्षक भी तैयारी करते हैं, लेकिन अगर छात्र में आत्मविश्वास नहीं है तो परीक्षा देना मुश्किल हो जाता है। पेपर जब हाथ में आता है तो छात्र सब पढ़ा-पढ़ाया भूल जाता है। आत्मविश्वास के बिना किसी भी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कि जा सकती, इसलिए आत्मविश्वास का होना बेहद जरूरी है।

2. हम आत्मविश्वास कैसे हासिल किया जाए

आत्मविश्वास कोई जड़ी-बूटी नहीं है, जो खाने से आ जाएगी। ना ही मां द्वारा दी गई कोई दवाई है जो परीक्षा के समय मिल जाए तो काम आ जाएगी। यह तो तभी संभव है जब छात्र खुद को परीक्षा की कसौटी पर कसे। तभी जीत हासिल हो सकती है।

3. पढ़ाई से ध्यान न भटके, इसके लिए क्या करें

ध्यान कोई खास विधा नहीं है। ध्यान के लिए खास एक्टिविटी करने से अच्छा है कि आप खुद पर ध्यान केंद्रित करें। छात्रों को ध्यान देना चाहिए कि कौन सी बातें उनका ध्यान भटका रही हैं। इसके लिए खुद को जांचना और परखना जरूरी है, ताकि उन्हें अपनी कमियों का एहसास हो सके और वे पढ़ाई में ध्यान केंद्रित कर सकें।   

ADVERTISEMENT

4. पराक्षा का ज्यादा डर महसूस हो तो क्या करें

पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए जरूरी है कि आप पहले खुद पर ध्यान दें।  दिमाग से निकाल दें कि कोई एग्जाम ले रहा है या कोई आपको अंक देने वाला है। यह सोच कर परीक्षा में बैठें कि आप ही अपना भविष्य तय करेंगे।

5. अभिभावकों की तुलना से कैसे बचें

युद्ध और खेल के विज्ञान दोनों में एक नियम है कि आप अपने मैदान में खेलिए। जब आप अपने मैदान में खेलते हैं तो आपकी जीत के अवसर बढ़ जाते हैं। दोस्तों के साथ कॉम्पिटीशन में आपको उतरना ही क्यों है। आपके दोस्त की परवरिश, खेल और रुचि सभी अलग हैं। इसलिए किसी से किसी की तुलना नहीं है। पहले खुद को अपने दायरे में रहकर सोचें। छात्रों और उनके माता-पिता को वर्तमान में जीने की आदत डालनी चाहिए। इससे ही भविष्य में एकाग्रता और सक्सेस के रास्ते खुलेंगे। आप खुद ऐसा बनें कि दूसरे आपसे प्रतिस्पर्धा करें।

6. जब माता-पिता की ज्यादा उम्मीदें परेशान करें  

माता-पिता पर शक करने की बजाय उनकी भावनाओं को स्वीकार करें। माता-पिता अपने जीवन की जमापूंजी बच्चों के भविष्य पर खर्च कर देते हैं, इसलिए उनकी भावनाओं का ध्यान रखते हुए अपने स्तर पर पूरा प्रयास करें। माता-पिता अपनी अधूरी इच्छाओं को अपने बच्चों से पूरा करना चाहते हैं। अगर ज्यादा प्रेशर है तो अभिभावक यानि माता-पिता से बात करें, ताकि रिश्ते बेहतर हो सकें।

7. आखिरी बात बच्चों के अभिभावकों से

भारत का बच्चा जन्मजात राजनेता होता है, क्योंकि ज्वाइंट फैमिली में उसे पता होता है कि उसे कौन सा काम किससे करवाना है। अभिभावकों से कहना चाहूंगा कि वे दूसरे बच्चों से अपने बच्चों की तुलना न करें। आपके बच्चे के अंदर जो सामर्थ्य है, उसी के अनुसार उससे उम्मीद करें। अंक और परीक्षा जीवन का आधार नहीं हैं इसलिए हर वक्त बच्चे के भविष्य और करियर की चिंता करना ठीक नहीं है।

ADVERTISEMENT

देखें इसका वीडियो –

इन्हें भी देखें- 

 
16 Feb 2018

Read More

read more articles like this
good points

Read More

read more articles like this
ADVERTISEMENT