टेक्नोलॉजी ने आज के वक्त में बड़ों से लेकर बच्चों तक के लिए चीजों को आसान बना दिया है लेकिन इसी के साथ उन्होंने बच्चों के इनोसेंस को भी खत्म कर दिया है। 90 के दशक में एक अलग सुंदरता थी जब लोग अपने खाली वक्त में इकट्ठा हो जाते थे और साथ में खेला करते थे। इससे बच्चों के सोशल डेवलप्मेंट में मदद मिलती थी और साथ ही इससे उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ता था। आज के वक्त में और खासतौर पर लॉकडाउन के बाद से बच्चे कंप्यूटर या फिर मोबाइल में वीडियो गेम खेलना पसंद करते हैं। इसकी वजह से बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी पर असर हुआ है और साथ ही उनकी इंटरपर्सनल स्किल्स पर भी इसका नकारात्मक असर हुआ है। इस वजह से आज हम आपको वापस आपके 90s में ले जाने वाले हैं।
90 के दशक के कुछ भुलाए जा चुके गेम्स
1. छुपन छुपाई

आप सभी ने भी कभी न कभी तो ये गेम जरूर खेला होगा। 90s वाले अपने बचपन में यही तो खेला करते थे। इस गेम में एक बच्चा आंखें बंद कर के काउंट करता था और इतनी देर में बाकि सभी बच्चे छुप जाते थे। इसके बाद वह सभी को ढूंढता था, तब तक जब तक केवल एक ही बच्चा ना बचा हो और अगर वो उसे नहीं ढूंढ पाता था तो उसे दोबारा से काउंट कर के सभी को ढूंढना पड़ता था। ये एक ऐसा गेम है जिसमें सभी बच्चे हिस्सा लेते थे और सबको इसे खेलने में बहुत मजा आता था।
2. स्टैपू

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ये एक ऐसा गेम है जो हर लड़की तो जरूर खेला करती थी। इस गेम को बच्चे गली में या फिर घर के लॉन में रैक्टेंगुलर ब्लॉक बना कर खेला करते थे। एक एक कर के सभी को हर ब्लॉक में एक पत्थर फेंकना होता था और फिर जिस ब्लॉक में पत्थर है, उसमें पैर रखे बिना गेम को पूरा करना होता था। अगर आपका पत्थर गलत ब्लॉक में चला जाए या फिर आप अपने दोनों पैर नीचे रख देते हैं तो आप गेम से बाहर हो जाते हैं और आपको दोबारा से शुरू करना पड़ता है।
3. आंख-मिचोली

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5 से 12 साल के बच्चे ये गेम बहुत ज्यादा खेलते थे। जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है इसमें एक बच्चे की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी और फिर उसे एक-एक कर के सभी को पकड़ना होता था। यह छुपन-छुपाई का उलटा है। छुपन-छुपाई में एक सब बच्चे छिप जाते थे और एक डैनर होता था तो वहीं इसमें एक बच्चे की आंख पर पट्टी बांध दी जाती है और सभी बच्चे आस-पास रह कर उससे बचने की कोशिश करते हैं। यह एक ग्रुप गेम भी है और इसमें 4-5 बच्चे आसानी से खेल सकते हैं।
4. पकड़म-पकड़ाई

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ये गेम तो एक ग्रुप में ही खेला जा सकता है। यह बहुत ही आसान गेम है। इसमें एक डेनर होता है और उसे दूसरे प्लेयर्स को भाग कर पकड़ना होता है। जो पकड़ा जाता है वो डेनर बन जाता है और फिर वो किसी अन्य को पकड़ता है और इसी तरह से ये गेम चलता रहता है।
5. पिट्ठू गरम

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इस गेम को लागोरी नाम से भी जाना जाता है और यह 90 के दशक का सबसे पुराना और सबसे मशहूर गेम में से एक है। इसे दो टीम के बीच एक बॉल और 7 पत्थर से खेला जाता है। इसमें एक के ऊपर एक 7 पत्थर रखे जाते हैं और फिर बॉल की मदद से इन पत्थरों को नीचे गिराना होता है। जो टीम पत्थर को नीचे गिराती है, उसे ही दोबारा इसे वापस लगाना होता है और दूसरी टीम उन्हें बॉल मारकर आउट करने की कोशिश करती है।
6. कंचा

कंचा 90s का क्लासिक गेम हुआ करता था, जो आज के वक्त में गायब ही होता जा रहा है। इस गेम में जब अच्छे अच्छे मार्बल जीतते थे तो एक अलग ही खुशी होती थी।
7. खो-खो

यह गेम आज भी कॉम्पिटिशन्स में तो जिंदा है ही। लेकिन स्कूल टाइम में लंच ब्रेक या फिर गेम पीरियड में इसे खेलने में कितना मजा आता था। घुटनों पर बैठ कर दूसरी टीम के इंसान से खो करने का इंतजार करना और फिर तुरंत उठकर उन्हें पकड़ना। सच में कितना मजा आता था।
8. म्यूजिकल चेयर

ये गेम आपने बर्थडे पार्टीज में या फिर वैसे भी कभी न कभी तो खेला ही होगा। कितना मजा आता था जब गाना बचते ही सब चेयर के आस-पास घूमने लगते थे और गाने के बंद होते ही अपनी-अपनी कुर्सी पकड़ लेते थे। जिसे कुर्सी नहीं मिल पाती थी वो आउट हो जाता था।