स्टार प्लस के सीरियल ‘इश्कबाज़’ फेम नकुल मेहता टीवी इंडस्ट्री का जाना-माना चेहरा हैं। फरवरी महीने में ही एक्टर नकुल मेहता की पत्नी और सिंगर जानकी पारेख ने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने सूफी रखा। मगर कौन जानता था कि इस नन्ही सी उम्र में सूफी को एक बड़ी सर्जरी से होकर गुजरना पड़ेगा। जी हां, नकुल मेहता और जानकी पारेख के दो महीने के बेटे सूफी की हाल ही में एक बड़ी सर्जरी हुई। दरअसल, नन्हें सूफी को ‘बाइलेट्रल इन्गुइनल हर्निया’ जैसी समस्या हो गई थी, जिसके लिए उसे सर्जरी कराने की जरूरत थी। सर्जरी के बाद सूफी की मां जानकी पारेख ने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक इमोशनल नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने सर्जरी के दौरान गुजरे समय के बारे में बताया है।
एक्टर नकुल मेहता और जानकी पारेख साल 2012 में शादी के बंधन में बंधे थे। शादी के करीब 9 साल बाद वे माता-पिता बने और उनके घर एक बेटे ने जन्म लिया। बेटे का नाम दोनों ने बड़े ही प्यार से सूफी रखा। दोनों बेटे के जन्म की खुशी अभी पूरी तरह से मना भी नहीं पाए थे कि उनके सामने बेटे की बीमारी जैसी बड़ी समस्या आ गई, जिसने दोनों की खुशहाल ज़िंदगी को पलट कर रख दिया। नन्हे सूफी की सर्जरी के बारे में सुनकर ही मां जानकी अपने आंसू नहीं रोक पा रही थीं।
इंस्टाग्राम पर इस बारे में एक इमोशनल नोट शेयर करते हुए नकुल मेहता की पत्नी और सूफी की मां जानकी पारेख ने लिखा, “सोचा था मैं इस बारे में कुछ नहीं लिखूंगी लेकिन आप सब ने मुझे इतनी हिम्मत दी कि मैं इस बारे में कुछ शेयर कर पा रही हूं। तीन हफ्ते पहले, हमारे छोटे से सूफी को ‘बाइलेट्रल इन्गुइनल हर्निया’ की समस्या हुई। डॉक्टर्स के मुताबिक, हमें जल्द से जल्द इसकी सर्जरी करानी थी। यह बच्चों में एक जनरल और सुरक्षित सर्जरी होती है लेकिन बेटे को इतनी कम उम्र में ऐनेस्थिसिया दिया जाएगा इसके बारे में सोचकर ही मेरा दिल टूट गया। जिस दिन मुझे इस बारे में जानकारी मिली, मैं खुद को रोने से रोक नहीं पा रही थी। मेरी अगली तीन रातें बेटे को सर्जरी के लिए तैयार करने बीत गईं।”
जानकी आगे लिखती हैं, “मुझे चिंता इस बात की हो रही थी कि बेटे को इतनी कम उम्र में सर्जरी से चार घंटे पहले और दो घंटे बाद बिना कुछ पिए रहना पड़ेगा, क्योंकि उसे ऐनेस्थिसिया लगेगा। सर्जरी के दिन तक मैं उसे रात में तीन बजे उठाती थी, फीड करती थी और यह सुनिश्चित करती थी कि वह अगले चार से साढ़े चार घंटे सोकर न उठें और अगर उठता हैं तो मुझे उसे फीड तुरंत नहीं कराना है। मेरे दिमाग में सर्जरी की प्लानिंग चल रही थी, जिससे बेटे की बॉडी उस प्रक्रिया के मुताबिक बैठ जाये, वह उठे नहीं और दूध के लिए रोये नहीं। इसके अलावा मैं उससे बात करती रहती थी, कहती थी कि वह उस दिन देर तक सोएगा। वह मेरे चेहरे को देखता रहता था और मुझे ध्यान से सुनता रहता था, शायद, मुझे तो यही लगा।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए जानकी ने लिखा, “जिस दिन सूफी दो महीने का पूरा हुआ, उसी दिन उसकी सर्जरी हुई। हम लोगों ने जैसे सूफी के लिए सर्जरी के तहत चीजें प्लान की थीं, उसने उसी तरह बिहेव किया। वह सोता रहा जब तक मैंने उसे सर्जन के हाथों में नहीं सौंप दिया। सर्जरी के बाद जब वह उठा तो मैं केवल उससे यही बात कर रही थी कि उसने कितना अच्छा किया। बस अब उसे दूध के लिए और थोड़ा वक्त इंतजार करने की जरूरत थी। मैं चौंक गई थी यह देखकर कि जिस लड़के को हर दो घंटे में दूध चाहिए होता है, वह सात घंटे बिना दूध के रहा। दूध पीने के बाद जो उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहट आई, वह बेशकीमती थी।”
अपनी बात को खत्म करते हुए जानकी ने लिखा, “बेबीज वह कई चीजें करने में सक्षम होते हैं, जिनके बारे में हम सोचते हैं कि वे नहीं कर पाएंगे। वे सब समझते हैं, जो भी हम बातचीत में उनसे कहते हैं या महसूस कराते हैं। मुझे यकीन है कि सूफी संग मेरी लंबी बातचीत काम आई हैं। हम अपने बच्चों को बेस्ट गिफ्ट दे सकते हैं, उन्हें खुश और फियरलेस महसूस कराकर, उन चैलेंजेज के लिए जो जिंदगी में उनके सामने आने वाले होते हैं।”
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