वो सब एकदम फिल्मी था…जैसा फिल्मों में होता है। हम दोनों एक दोस्त की शादी में मिले और हमें एक दूसरे से प्यार हो गया। वो दूसरे लड़कों से बिल्कुल अलग था। बहुत ही humble और सच्चा इंसान था। वो एक बहुत ही अच्छी फैमिली से था लेकिन उसमें इस बात को लेकर बिल्कुल भी घमंड नहीं था। उसमें वो सारी खूबियां थी जो मुझे अपने पार्टनर में चाहिए थी और वो कहता था कि मैं ही वो लड़की हूं उसे जिसका इंतजार था। हम दोनों को खुद पता नहीं चला कि कब हम में प्यार हो गया और हम एक दूसरे के साथ अपने भविष्य के हसीन सपने देखने लगे। अक्षय बहुत ही loving, caring और understanding लड़का था। वो मुझे हर बात में सर्पोट करता था और उसने मुझे कभी भी बदलने की कोशिश नहीं की। हालांकि हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग थे..उसने कभी इस बात को हमारे रिश्ते के बीच नहीं आने दिया। मैं बहुत ही हंसमुख लड़की थी, अजनबियों से भी खुलकर बात कर लेती थी, हर किसी को दोस्त बना लेती थी। लेकिन अक्षय बहुत ही शांत था, कम बोलता था और तभी बोलता था जब जरूरत होती थी। जैसे जैसे समय बीता हम दोनों एक दूसरे के और करीब आ गए। वो हमेशा हमारी शादी के बारे में बात करता था और मैं हर दिन उसके प्यार में और ज्यादा डूबती चली गई। उसके साथ मैं सुरक्षित महसूस करती थी। मुझे यकीन होने लगा था कि यही है जिसे भगवान ने मेरे लिए बनाया है…लेकिन मुझे नहीं पता था कि सब कुछ जल्दी ही बदलने वाला है। हमारे रिश्ते के शुरूआती महीने बहुत ही खूबसूरत थे। हम दोनों एक दूसरे के साथ पूरी तरह खुश थे। हम एक दूसरे की तारीफ करते थे, हर अच्छी बात के लिए एक दूसरे को encourage करते थे और हर वो काम करते थे जिससे दूसरे को खुशी मिले। मुझे नहीं पता कि कब ये सब बदलने लगा और मैं खुद को ही खोने लगी। कुछ महीनों बाद मैं उसे और उसकी दुनिया को कुछ बेहतर ढंग से समझने लगी थी। वो किस तरह के बैकग्राउंड से आया था, उसके आदर्श क्या था, सिद्धांत क्या थे..वो किस तरह सोचता था। मुझे अहसास हुआ कि वो असल में वैसा बिल्कुल नहीं था जैसे मैंने उसे समझा था। धीरे धीरे वो मुझे बदलने की कोशिश करने लगा। उसकी फैमिली मुझ से खुश नहीं थी…मतलब मैं जैसी थी वो मुझे उसी तरह accept नहीं करना चाहते थे और इस बात का अहसास अक्षय मुझे दिलाने लगा था। उसकी फैमिली में एक अच्छी औरत वही होती है जो अच्छी बीवी हो…इसके अलावा कुछ नहीं..हां, शायद कुछ भी नहीं। अब पीछे मुड़कर देखती हूं तो मुझे लगता है कि क्यों मुझे वो सब इतना परफेक्ट लग रहा था..क्योंकि मैं उसे खुश करने के लिए वो सब कुछ कर रही थी जो वो चाहता था! मैं उससे प्यार करती थी इसलिए उसे खुश करना ही जैसे मेरे लिए सब कुछ था और इसी कोशिश में मैं खुद को बदलने लगी…मैंने अपने आप में वो सब बदलना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मुझसे मेरी फैमिली, मेरे दोस्त और यहां तक की मैं खुद अपने आप से प्यार करती थी। अपने लिए खड़ी होने वाली, हमेशी जीत हासिल करने वाली, भीड़ में अलग दिखने वाली लड़की से मैं एक डरी, सहमी और popularity से भागने वाली लड़की बनती जा रही थी। किसी को भी अपना दोस्त बना लेने की मेरी खूबी की सभी लोग तारीफ करते थे लेकिन मैं अब अपनी इसी खूबी से भागने लगी थी…मैं अपनी हर उस खूबी को छोड़ने लगी थी जो मुझे दूसरों से अलग बनाती थी। मैं हर उस चीज़ के खिलाफ जाने लगी जिस पर मैं भरोसा करती थी और हर उस चीज़ को छोड़ने लगी जिससे मुझे प्यार था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं ये सब क्यों कर रही हूं…पर मैं ये सब होने दे रही थी। अपने दोस्तों को देखकर मैं रोने लगती थी, मुझे रात भर नींद नहीं आती थी। मैं खुद से खुश नहीं थी लेकिन फिर भी उसके साथ खुश रहने की कोशिश कर रही थी। उसके लिए मेरा प्यार इतना बढ़ गया था कि मैं खुद से भी प्यार करना भूलने लगी थी। समय गुजरता रहा और हमारा रिश्ता भी आगे बढ़ता गया। मैं इसी भरोसे के साथ जी रही थी कि वो मेरे लिए सबसे अच्छा लड़का है। मैं उसे उसकी हर गलती के लिए माफ कर देती थी…यहां तक कि मैंने उसे तब भी माफ कर दिया जब उसने मुझे धोखा दिया!! मैं उसके प्यार में इतनी अंधी हो चुकी थी कि उसने मुझसे माफी मांगी, वो रोया, उसने कहा कि वो ऐसा फिर कभी नहीं करेगा…और मैंने उस पर यकीन कर लिया। मुझे बाद में अहसास हुआ कि मैं कितनी गलत थी। मैं सिर्फ वो देख रही थी जो मैं देखना चाह रही थी, वही सुन रही थी जो मैं सुनना चाह रही थी….शायद यही प्यार की शक्ति होती है…और कमजोरी भी। अब मैं वो strong लड़की नहीं रह गई थी जो हमेशा हर बार बार खुद अपने लिए खड़ी होती थी। पता नहीं मैंने ये सब क्यों होने दिया? कई तरह के सवाल मुझे परेशान कर रहे थे और मुझे लगने लगा था कि अब समय आ गया है कि मुझे कुछ तो करना ही होगा। हमारे रिश्ते को दो साल हो गए थे। मैंने जब जब उससे कुछ उम्मीद की..वो पूरी नहीं हुई। मुझे उसके कुछ करीबी लोगों से पता चला कि वो मेरे बारे में बहुत उल्टी-सीधी बातें अपनी फैमिली से कह चुका था। वो मुझे हमेशा बताता था कि मेरे बारे में अपनी फैमिली से वो हमेशा अच्छा ही कहता है क्योंकि वो चाहता है कि वो सब मुझे पसंद करें। जबकि असलियत एकदम उलट थी। उसकी फैमिली और दोस्त मुझे पसंद करते थे लेकिन बाद में उसने मेरे बारे में उनसे इतना कुछ गलत बोल दिया था कि वो मुझे नापसंद करने लगे। वो मुझे हमेशा कहता था कि वो अभी मुझे अभी अपनी फैमिली से मिलवाने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि शायद वो मुझे पसंद न करें…क्योंकि वो सब कुछ अलग हैं और मैं उन सब के बीच फिट नहीं बैठती। जबकि सच यह था कि तैयार वो खुद नहीं था। मैंने उसे इस बात को लेकर confront किया और उसके साथ रिश्ता तोड़ दिया। लेकिन इसके बाद भी मुझे चैन नहीं आया…मुझे रात रात भर नींद नहीं आती थी। मैं ये सोचकर परेशान थी कि उसने मेरे बारे में पता नहीं क्या क्या अपनी फैमिली और अपने दोस्तों को कहा है। हालांकि उसके साथ मैं रिश्ता खत्म कर चुकी थी लेकिन मुझे लगता था कि अपने बारे में उड़ाई हुई सारी गलत बातों को भी मुझे साफ कर लेना चाहिए। मैं उसकी फैमिली से एक दो बार ही मिली थी और मुझे वो सब बहुत अच्छे लगे थे…और मुझे यकीन था कि उन्हें भी मैं अच्छी लगी थी। इसलिए मैंने फैसला किया कि इस पूरे किस्से को हमेशा के लिए खत्म करना जरूरी है और इसके लिए मुझे अपने बारे में उड़ाई गई सारी गलतफहमियां खुद ही दूर करनी होगी। वो अप्रैल का महीना था। हमारा ब्रेकअप हुए पांच महीने हो चुके थे। मैं हिम्मत जुटाकर उसकी मम्मी को फोन करने का फैसला लिया और उन्हें सब कुछ बताया। मैंने उन्हें बताया कि उनके बेटे ने मुझसे कैसा व्यवहार किया, मुझसे क्या क्या वादे किए, कैसे कभी कोई वादा नहीं निभाया…उसकी मम्मी ये सब सुनकर shocked रह गई। उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। उन्होंने मुझे बताया कि अक्षय ने मेरे बारे में क्या क्या कहा है जिससे पूरी फैमिली मेरे खिलाफ हो गई थी। मैं हैरान थी कि जिस लड़के को मैंने अपना सब कुछ माना, जिस पर इतना भरोसा किया था वो मेरे बारे में ये सब बोल सकता है। उसकी मम्मी से बात करने का मेरा फैसला सही साबित हुआ। जो बेचैनी मुझे परेशान कर रही थी वो दूर हो चुकी थी। मैंने फोन रखने के साथ ही वो चैप्टर हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया। जिस रिश्ते की वजह से मैंने अपना आत्मविश्वास, अपनी values, अपने goals..और वो सब कुछ छोड़ दिया था जिससे मैं प्यार करती थी, उस रिश्ते की तरफ मैंने वापस कभी मुड़कर नहीं देखा। इस सब कुछ को अब एक साल हो चुका है और मैं फिर से वही happy-go-lucky लड़की बन चुकी हूं। मैं वो सब करती हूं जो मुझे पसंद है और सिर्फ उन्हीं लोगों को अपनी जिंदगी में जगह देती हूं जो मुझे, मेरी खूबियों से वजह से सच में, सच्चे दिल से प्यार करते हैं। मैं अब पहले से ज्यादा strong और confident हूं। मैंने एक बार फिर खुद को पा लिया है और एक ऐसे इंसान को अपनी जिंदगी से निकालकर खुश हूं जिसने मुझे खुद से प्यार करना ही भुला दिया था। मैं मन ही मन ही सब जानती थी कि मैं एक ऐसे इंसान के साथ हूं जिसके साथ शायद मुझे नहीं होना चाहिए..लेकिन मैंने अपने दिल की नहीं सुनी और उसके साथ रही..वो मुझे cheat करता रहा और मैं उसे प्यार करती रही। लेकिन मैं उम्मीद करती हूं कि इन सब से दूसरी लड़कियां कुछ सीख लेंगी और ऐसे किसी रिश्ते को छोड़कर जाने की हिम्मत रखेंगी जो उन्हें खुद से प्यार करना भुला रहा है। अगर प्यार आपको एक बेहतर इंसान नहीं बना रहा है, उस प्यार से दूर जाने की हिम्मत रखनी चाहिए…ये जिंदगी में आपको कुछ और बेहतर पाने की राह ही खोलेगा। यह भी पढ़ें: #MyStory: वो मुझे Sex के लिए ब्लैकमेल कर रहा था यह भी पढ़ें: #MyStory: और तब मुझे एहसास हुआ कि मुझे प्यार हो गया है
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05 May 2016
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