हमारे देश में वैसे भी किस्से-कहानियों की कमी नहीं है लेकिन जो घटनाएं आंखों से देखी जा सकती हैं उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है। भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम में एक घाटी है जिसे जटिंगा वैली कहते हैं। यहां पर जो नजारा देखने को मिलता है उस पर खुली आंखों से भी विश्वास करना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, यहां हजारों की संख्या में पक्षी सामूहिक तौर पर आत्महत्या करते हैं और ये सिलसिला कई सालों से चला आ रहा है। आखिर क्या है इस पक्षियों की इस घाटी से जुडा रहस्य? क्यों पक्षी करते हैं इस घाटी में आत्महत्या? आइये जानते है पक्षियों की आत्महत्या से जुड़े इस रहस्य के बारे में –
आखिर होता क्या है ?
पक्षियों द्वारा यूं सामूहिक आत्महत्या करने की ये घटनाएं ज्यादातर शाम सात बजे से रात दस बजे की बीच ही होती हैं। इस दौरान यहां आसमान में धुंध छा जाती है, हवा की रफ्तार तेज हो जाती और 40 से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षियों के झुंड किसी कीट-पतंगों की तरह बदहवाास होकर जमीन पर गिरने लगते हैं। इस दौरान जटिंगा वैली में रात में टूरिस्ट व अन्य लोगों का प्रवेश करना मना है।
मॉनसून में और भी बढ़ जाती है इनकी संख्या
यहां के लोकल लोगों की माने तो मॉनसून के महीने में यह घटना और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा अमावस्या और कोहरे वाली रात को पक्षियों के आत्महत्या करने के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। यहां पर रहने वाली जनजाति इस घटना को बुरी आत्माओं के प्रकोप के रूप में मानती है।
क्या कहते है वैज्ञानिक
इस बारे में कई देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने खोज की है और उनका कहना है कि यहां चल रही तेज हवाओं से इन पक्षियों का संतुलन बिगड़ जाता है और वह आस-पास मौजूद पेडों से टकराकर घायल हो जाती हैं और मर जाती हैं। वहीं मानसून में इनकी संख्या इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि यह जगह गहरी घाटी में बसे होने के वजह से यहां तेज बारिश के दौरान जब पक्षी यहां से उड़ने की कोशिश करते हैं तो वह पूरी तरह से गीले हो चुके होते हैं, ऐसे में प्राकृतिक रूप से उनके उड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। चूंकि यहां बांस के बेहद घने और कटीले जंगल हैं, ऐसे में गहरी धुंध और अंधेरी रातों के दौरान पक्षी इनसे टकराकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। जहां तक तय समय की बात है तो पक्षी शाम के इस समय अपने घरों को लौटने की कोशिश करते हैं ऐसे में इस वक्त ये हादसा ज्यादा होता हैं। खैर साइंस जो भी कहे लेकिन यह जगह पक्षियों के सामूहिक आत्महत्या के कारण दुनिया भर में रहस्य बना हुआ है।
कैसे जाएं – जतिंगा गुवाहाटी से 330 किमी दूर है। यहां ठहरकर आप यह नजारा खुद अपनी आंखों से देख सकते हैं।
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