हम सभी किसी न किसी से समर्पण की हद तक वाला प्रेम करते हैं पर फिर भी कई बार जज़्बातों को खुलकर अपनों के सामने नहीं रख पाते हैं। उसकी कई वजहें होती हैं, कभी कोई मजबूरी होती है तो कभी सामने वाले पर उतना भरोसा नहीं होता है तो कभी समय ठीक नहीं होता है। इस बार ‘मेरा पहला प्यार’ सीरीज में हम पढ़ेंगे मोहब्बत की एक ऐसी दास्तां, जो मंज़िल तक न पहुंच कर भी पूरी है। वैसे भी यह ज़रूरी तो नहीं है कि हर प्रेम कहानी की मंंज़िल शादी ही हो, कई बार सात फेरे न लेकर भी कुछ जोड़ियां सात जन्मों के बंधन से बढ़कर होती हैं। इस बार की कहानी (इसे खत भी कह सकते हैं) हमें भेजी है ‘राधिका’ ने।
‘अमन, तुमने मुझसे कई बार पूछा था कि मैं तुमसे इतना दूर- दूर क्यों रहती हूं पर मैंने कभी भी तुम्हें ठीक से जवाब नहीं दिया। ऐसा नहीं है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती थी या तुम्हारे साथ रहना नहीं चाहती थी बल्कि मैंने अपनी ज़िंदगी के लिए जो सपने देख रखे हैं, उन्हें मैं तुम्हारे सिवाय किसी और के साथ पूरा तक नहीं कर सकती हूं। तुम्हें यह खत पढ़कर थोड़ा अजीब लगेगा क्योंकि ये बातें मुझे तुमसे फोन पर या आमने- सामने बैठ कर करनी चाहिए थीं। वो क्या है न कि तुम्हारी ‘राधिका’ बहुत स्ट्रॉन्ग होकर भी कुछ मामलों में हद से ज्यादा कमज़ोर है। अपनी बात कहने के लिए मैंने पब्लिक प्लेटफॉर्म चुना है तो सबको हमारी लव स्टोरी की शुरुआत भी पता होनी चाहिए।
… यह न्यू ईयर ईव की बात थी… मैं दिल्ली में फ्रेंड्स के साथ पार्टी करके घर वापिस आई थी और तुम वहां मुंबई में अपने दोस्तों के साथ एंजॉय कर रहे थे। पता नहीं उस रात हम दोनों को क्या सूझा था, विश करने के लिए की गई वह कॉल पूरी रात चली थी। जहां तक मुझे याद है, सुबह 6-7 बजे तक हम दोनों बातें करते रहे थे। यहां- वहां की, पता नहीं क्या- क्या बातें की थीं। फिर धीरे- धीरे बातों का यह सिलसिला बढ़ने लगा था। सुबह ऑफिस जाते वक्त दोनों बात करते थे, लंच में भी कॉल पर रहते थे और रात को सोने तक हमारी बातचीत चलती थी। हम दोनों को तो यह भी पता नहीं चला कि हम कब एक- दूसरे से प्यार कर बैठे।
मेरी नई नौकरी थी और तुम्हारे घर पर शादी की बात चल रही थी। मैं इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी और शादी के बाद मुंबई शिफ्ट होने के बारे में तो मैं सोच भी नहीं सकती थी। दिल्ली ने मुझे बहुत कुछ दिया था, मैं खुद को मुंबई जाने के लिए तैयार ही नहीं कर पा रही थी। जब मैंने तुम्हें अपनी यह बेवकूफी भरी शर्त बताई कि शादी के बाद तुम मुंबई में रहना और मैं दिल्ली में, तो तुम इसके लिए भी तैयार हो गए थे। तुम मुझसे इतना प्यार जो करते थे… ! फिर जब तुमने भइया- भाभी को मेरे बारे में बता दिया तो मैंने शादी के बारे में गंभीरता से सोचा। मुझे महसूस हुआ कि तुम मेरे लिए परफेक्ट हो, मेरी हर ज़िद पूरी करने की कोशिश करते हो, मुझे इतना चाहते हो, मेरे साथ दुनिया घूमना चाहते हो और मेरे गुस्से को शांत करना भी सिर्फ तुम्हें ही आता है।
मगर दिल से चाही गई हर चीज़ पूरी हो जाए, ऐसा ज़रूरी नहीं होता है। शायद यही मेरे साथ भी हुआ था। जब तक मैं तुम्हें यह बता पाती, कुछ ऐसा हो गया कि मुझे सबसे दूरी बनानी पड़ी। मेरी तबीयत अचानक खराब हो गई थी, टेस्ट करवाने पर पता चला कि इसका असर लंबे समय तक रहेगा। मैंने बहुत सोचा और फिर डिसाइड किया कि अब मैं तुमसे बात नहीं करूंगी। तुमने उस समय मेरे बारे में बहुत उल्टा- सीधा सोचा होगा और शायद हमारे कॉमन दोस्त भी मुझसे नफरत करने लगे होंगे। दिल से कहूं तो उस समय मैं तुम्हारा साथ चाहती थी, मेरा मन करता था कि मैं तुमसे बात करूं मगर मैंने खुद को बहुत स्ट्रॉन्ग बना लिया था। मैं तुमसे, तुम्हारी खुशी के लिए अलग हुई थी।
मैं चाहती थी कि तुम लाइफ में मूव ऑन करो, किसी से शादी करो और खूब खुश रहो। भगवान ने मेरी बात सुन ली! मैं तुम्हारी खुशी में बहुत खुश हूं। मेरी खुशी से तुम यह मतलब मत निकालना कि मुझे अफसोस नहीं हो रहा है कि हम एक नहीं हो सके। सच कहूं तो दो- तीन दिनों से ठीक से नींद भी नहीं आई है, हर पल यही लगता है कि अब तुम किसी और के होने जा रहे हो। हमने मिलकर जो सपने देखे थे, वे सब बिखर गए। शादी के बाद हो सकता है कि तुम मुझे भूल जाओ पर मैं तुम्हें हर पल याद करूंगी। तुम मेरा पहला प्यार नहीं थे पर ज़िंदगी में पहले प्यार से ज्यादा खास आखिरी प्यार होता है।
तुम दोनों को शुभकामनाएं!’
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