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#मेरा पहला प्यार – …और मेरा अधूरा इश्क इस तरह से हो गया पूरा

#मेरा पहला प्यार – …और मेरा अधूरा इश्क इस तरह से हो गया पूरा

प्यार की हर कहानी अपनी तरह से अलग होती है। पहली नजर, पहला स्पर्श, पहला अहसास, पहला प्यार सब कुछ खास होता है। लेकिन इन सबमें से अलग ऐसी प्रेम कहानी भी होती है, जिसमें प्रेम से पहले दोस्ती होती है, बिन बोले एक गहरा रिश्ता होता है आैर होता है वह विश्वास, जो कोई भी सवाल नहीं करता। आज के पहले अफेयर में पढ़िए ऐसे प्यार की कहानी, जो पहली तो नहीं है लेकिन उसमें इतना भरोसा आैर दोस्ताना रहा है कि वह अफेयर हमेशा के लिए पहला रह गया। अथाह विश्वास में बुनी धरा वर्मा की प्रेम कहानी उनके ही शब्दों में जानिए।

मैं अपने ऑफिस में हमेशा की तरह काम में व्यस्त थी। तभी मेरी बगल वाली चेयर पर बैठी अनुभा ने बोला- सुन यार, क्यों न थोड़ी मस्ती की जाए! मैंने पूछा- किस तरह की मस्ती? उसने एक सोशल नेटवर्किंग साइट दिखाया आैर बोला हम इसमें खुद को रजिस्टर करते हैं। यह वह दौर था, जब फेसबुक नहीं था, कई छोटे सोशल नेटवर्किंग साइट्स थे। मैंने तुरंत मुंह बनाते हुए बोला- मुझे नहीं करना है। उसने फिर बोला- अरे नाम बदलकर करेंगे ना! अब मैंने चौंक कर उसे देखा आैर सोचा चलो करके देखते हैं। फिर क्या था, उसने ही फटाफट हम तीन लड़कियों का अकाउंट खोल दिया। नाम गलत, काम गलत, उम्र गलत! अगले ही दिन जब उसके कहने पर मैंने अकाउंट खोला तो उसमें कई फ्रेंड रिक्वेस्ट आए थे, मैंने कौतुहल वश सबको देखना शुरू किया। उसमें एक लड़का मेरे होम टाउन के पास का ही था। मैंने उसकी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लिया। उसने मुझे चैट्स भेजने शुरू कर दिए। मुझे इस तरह से बातें करना ठीक नहीं लगा तो मैंने एक फर्जी मेल अकाउंट खोला आैर उससे बातें करने लगी। कुछेक दिनों के बाद ही उसने अपनी तस्वीर भेजी, जिसमें वह पढ़ाकू टाइप दिख रहा था। उसने साथ में अपना फोन नंबर भी लिखा था आैर कहा था कि मैं भी अपनी तस्वीर भेजूं।

अफेयर आैर शादी के लिए कई रिश्ते मुंह बाए सामने खड़े थे लेकिन मेरा मन किसी को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। वह दौर मेरे लिए बुरे ख्वाब से कम नहीं था। मैं एक टूटे रिश्ते के दौर से गुजर रही थी। लगातार सिर दर्द की वजह से डिस्प्रिन खाया करती थी। मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड को उसके बारे में बताया। मेरी फ्रेंड ने मुझे आगे बढ़ने को कहा। मैंने सोच लिया था कि मैं उससे मिलकर अपनी बातें रख दूंगी, वह खुद ही अलग हो जाएगा। मिलने का सोच लिया था लेकिन एक दिन न जाने क्या हुआ, मैंने उसका नंबर मिलाया आैर उससे बातें हुर्इं। फिर एक दिन मिलने का प्लान बनाया आैर उससे मिलने जा पहुंची। सोच लिया था कि सारी बातें साफ कर दूंगी। लेकिन हिम्मत नहीं कर पाई आैर हड़बड़ाते हुए उससे बात करके निकल गई। पूरे रास्ते परेशान रही।

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रात में उसे एक लंबा मेल ड्राफ्ट करके सब कुछ बता दिया आैर कह दिया कि आगे से मुझसे बात न करे। अगले दिन जब मेल अकाउंट खोला तो उसका छोटा सा मेल मिला। लिखा था- मुझे पता था कि कुछ ऐसा ही हुआ होगा। पहले क्या हुआ होगा, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। न जाने क्यों, मुझे इस दो लाइन से शांति मिली। पहली बार कोई ऐसा मिला, जो मेरी पहले की लाइफ में रुचि नहीं ले रहा था। अब मैंने उसे मेल करके अपना असली नाम, काम आैर उम्र बताया। तब इमोजी नहीं होते थे, उसने भी हंसते हुए अपनी असली उम्र बताई। हम दोनों में कुछ महीनों का ही अंतर था। उसने बोला- चलो शादी में हमारे मम्मी- पापा को दिक्कत नहीं होती। मैं चौंक गई। मैंने कुछ नहीं सोचा था आैर वह शादी तक पहुंच गया था।

खैर, इस तरह से हम चैट कर लिया करते थे लेकिन मिलना नहीं हो पा रहा था। इसी बीच उसे नई नौकरी मिली आैर वह बैंगलोर शिफ्ट हो गया। बैंगलोर के किस्से सुनाता आैर मैं सुनती रहती। एक साल वह दिल्ली आया आैर उसने साफ पूछा कि क्या मैं उससे शादी करूंगी। मैं अब तक ऊहापोह में थी। मैंने उसे मना करते हुए बोला कि मुझे शादी से डर लगता है। उसने कोई जवाब नहीं दिया। अगले दिन मेल आया कि मुझे ब्लॉक कर दो। मुझे गुस्सा आया आैर मैंने वैसा ही किया। इस बीच कोई बातचीत नहीं आैर जिंदगी वापस अपनी पटरी पर चलने लगी।

कहते हैं न कि घर बैठी कुंवारी लड़की मां- पापा को कम रिश्तेदारों को ज्यादा बोझ लगती है। बस मेरी शादी की भी बातें चलने लगीं। हां, यह बताना तो भूल गई कि इस बीच मेरी छोटी बहन की शादी हो चुकी थी क्योंकि मैं शादी नहीं करना चाहती थी। अपनी शादी के बाद वह मुझ पर लगातार दबाव डालने लगी, कहती- दीदी, बहुत हो गया, कर लो शादी। वह उसका नाम लेती आैर कहती कि वह सीधा लड़का है, उससे ही कर लो। मैं उसे याद करती आैर सोचती- अच्छे करियर वाले सीधे लड़के जल्दी शादी कर लेते हैं।

फिर एक दिन न जाने क्या मन में आया, उसे मेल पर अनब्लॉक किया। तुरंत उसका चैट आया- मुझे अनब्लॉक क्यों किया? मैंने उससे पूछा- मेरे जीजाजी से मिलोगे? उधर से जवाब आया- कब मिलना है? एक्सीडेंट की वजह से पैर फ्रैक्चर होने के बावजूद वह जीजाजी से मिलने पहुंचा। मैं भी वहां थी। उससे एक ही सवाल पूछा गया- अगर आपके पापा इस शादी के लिए तैयार नहीं हुए तो? जवाब सीधा सा था- फिर भी मैं करूंगा। इसके बाद कुछ जानने- पूछने की गुंजाइश नहीं बची थी। मैं पहली बार उसके साथ बैठी रो रही थी। तब भी उसने मुझसे एक ही सवाल किया- इतना क्यों रो रही हो? मुझे खुद नहीं पता था कि मैं क्यों रो रही हूं। क्या जवाब देती उसे! अगले दिन ही मैं चैट पर उससे मिली आैर मैंने लिखा- आधा इश्क, आधा है, आधा हो जाएगा। उसने कहा- पूरा कब होगा? कुछ महीनों बाद हमारी सगाई भी हुई आैर शादी भी। आज भी हमारे बीच का रिश्ता दोस्ती से भरा हुआ है। वह मुझसे सिर्फ एक महीना बड़ा है लेकिन मैंने उससे पहले काम करना शुरू कर दिया था तो मुझे धौंस जमाने का पूरा मौका मिलता है। अरे! यह बताना तो भूल गई कि मेरे पूरे इश्क का नाम शैलेष है।

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23 Feb 2018

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