एक महिला अपने पूरे जीवनकाल में तमाम तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों से होकर गुजरती है। फिर वो चाहे पीरियड का आना हो या फिर पीरियड का बंद होना हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं मेनोपॉज की, जिसे रजोनिवृत्ति भी कहा जाता है। ये वो समय होता है जब महिला के पीरियड हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं। साथ ही वह प्राकृतिक रूप से गर्भवती नहीं हो पाती है। उम्र के बढ़ने के साथ रजोनिवृत्ति होना बहुत नॉर्मल होता है। कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं, जो बहुत ही आसानी से मेनोपॉज को पा लेती हैं वहीं कुछ के लिए यह बेहद मुश्किल भरा समय होता है। महिलाओं के लिए शरीर की ये अवस्था उसके लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत सारे बदलाव लाती है। इसीलिए इस लेख के जरिए हम आपको बातयेंगे कि रजोनिवृत्ति क्या है, मेनोपॉज के लक्षण और उपाय (menopause ke lakshan aur upay) के साथ ही जानेंगे मेनोपॉज की उम्र क्या होती है, मेनोपॉज कब होता है। तो आइए जानते मेनोपॉज के बारे में विस्तारपूर्वक –
मेनोपॉज का साधारण मतलब होता है कि जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है। इसके बाद महिला गर्भवती नहीं हो सकती है। मेनोपॉज (menopause kya hota hai) एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के शरीर में बहुत सारे हार्मोनल परिवर्तन होने से अंडाशय में अंडे बनना बंद हो जाते हैं। लगातार 1 साल तक पीरियड्स न होने की स्थित को मेनोपॉज माना जाता है।
वैसे मेनोपॉज की सही उम्र महिला के स्वास्थ्य, हार्मोन और उसके भौगोलिक क्षेत्र पर भी निर्भर करती है। विश्वभर में महिलाओं को मेनोपॉज होने की औसतन उम्र 51 होती है। अगर भारत की बात करें तो यहां 40 से 50 के बीच महिलाओं को मेनोपॉज हो जाता है। हर महिला को 45 साल से लेकर 50 की आयु में मेनोपॉज (menopause ki sahi umar kya hai) का सामना करना ही पड़ता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। आमतौर पर महिलाओं में 45 से 50 साल के बाद मेनोपॉज आ ही जाता है। लेकिन वहीं समय से पहले मेनोपॉज को प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर (POI) बोला जाता है। बदलती लाइफस्टाइल ने मेनोपॉज की उम्र की सीमा में भी फेर-बदल कर दिये हैं। आजकल 40 साल की उम्र में या उससे पहले भी मेनोपॉज के मामले सामने आ रहे हैं।
आमतौर पर महिलाओं में पीरियड के आखिरी तारीख के लगभग 4 साल पहले से मेनोपॉज के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ महिलाओं को रजोनिवृत्ति होने के 1 साल पहले ही इसके संकेत (menopause ke lakshan) नजर आ सकते हैं। मेनोपॉज में इन लक्षणों का दिखना महिलाओं की शारीरिक स्थिति और खान पान पर भी निर्भर करता है। मेनोपॉज होने से कुछ साल पहले से शरीर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का निष्कासन करना धीरे-धीरे कम करने लगता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन पीरियड होने और गर्भधारण करने में मददगार होते है। इसकी कमी से मासिक धर्म बंद हो जाता है।
बहुत से महिलाओं को पीरियड्स होना ही सबसे मुश्किल दौर लगता है। लेकिन हम में से अधिकतर लोगों की तरह वह यह नहीं जानती थी कि पीरियड्स का बंद होना यानी मेनोपॉज का दौर महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है। वैसे ज्यादातर मेनोपॉज के लक्षण (menopause ke lakshan) प्रीमेनोपॉज की अवस्था के दौरान ही मिलने लगते हैं। इस दौरान कुछ महिलाओं को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है तो कुछ को किसी भी तरह की तकलीफ महसूस नहीं होती है। मेनोपॉज एकदम होने वाली प्रक्रिया नहीं है बल्कि धीरे-धीरे समय के साथ मेनोपॉज के लक्षण (menopause symptoms in hindi) नजर आने लगते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में –
कई महिलाओं में देखा जाता है कि मेनोपॉज के शुरुआती दिनों में उन्हें बहुत गर्मी लगने लगती है। ये आपको आपके शरीर के ऊपरी हिस्से या पूरे शरीर में महसूस हो सकती है।
हर महीने नियम से होने वाला मासिक धर्म अनियमित हो जाता है और उसमें परिवर्तन आने लगते हैं। मेनोपॉज के 1 साल पहले से पीरियड कभी आते तो कभी नहीं आते हैं।
आपको बहुत ज्यादा नींद आ रही है या नींद ही नहीं आ रही है तो यह मेनोपॉज़ के लक्षणों में से एक हो सकता है। अक्सर नींद के पैटर्न में बदलाव होते रहते हैं। कभी देर रात तक नींद आती है तो कभी जल्दी आ जाती है लेकिन टूट-टूटकर।
मेनोपॉज होने वाला है तो शरीर में थकान बहुत जल्दी होने लगती है। कोई भी काम करते समय बहुत पसीना आता है, जिसकी वजह से आप खुद कमजोर फील करने लगते हैं।
मूड स्विंग्स भी मेनोपॉज के अहम लक्षणों में से एक है। महिला के मूड में अचानक से होने वाले बदलाव या पीरियड्स के लक्षण होते हैं लेकिन रजोनिवृत्ति के समय भी बहुत मूड स्विंग्स होते हैं। एकदम से खुशी होती है तो एकदम से मन रोने को करने लगता है। इस दौरान बहुत सी महिलाएं चिड़चिड़ी हो जाती हैं और उन्हें बहुत गुस्सा आने लगता है।
जैसे-जैसे मेनोपॉज होने लगता है वैसे-वैसे महिला में सेक्स के प्रति इच्छा भी कम होने लगती है। क्योंकि यह एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण होता है। यदि किसी महिला को मेनोपॉज होने वाला है तो ये एक अहम लक्षण हो सकता है।
मेनोपॉज के दौरान ज्यादा पेशाब आना एक आम बात हो जाती है। क्योंकि इसमें आपकी वेजाइना और मूत्राशय लचीलापन छोड़ देते हैं व आसपास की पेडू की पेशियां भी कमज़ोर हो जाती हैं। इस दौरान पेशाब के साथ दर्द और जलन भी महसूस होती है। मेनोपॉज़ के दौरान आपको यूटीआई की समस्या हो सकती है।
मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोनका कम उत्पादन और योनि का रक्त प्रवाह कम हो जाने के कारण, वैजाइना ड्राई होने लगती है। इसकी वजह से सेक्स के दौरान योनि में दर्द, जलन आदि दिक्कतें भी महसूस होती हैं।
मेनोपॉज के लक्षण हर महिला में अलग-अलग तरह से दिख सकते हैं। ज्यादातर रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन अगर ये नियंत्रित न हों, तो इनके लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी होती है, जिससे कुछ हद तक आराम मिलता है। लेकिन मेनोपॉज में कई घरेलू नुस्खे भी कारगर साबित होते हैं। तो आइए जानते हैं मेनोपॉज के घरेलू उपाय के बारे में –
भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद का बहुत महत्त्व है और अब तो आयुर्वेद ने देश के साथ विदेशों में भी खूब ख्याति प्राप्त कर ली है। आयुर्वेद एक पुरानी मेडिकल हेल्थकेयर प्रणाली है जिसमें समय के साथ अनेक आधुनिक बदलाव भी आये हैं। आयुर्वेद उपचार की बजाय बचाव पर जोर देता है और दवाइयों के रूप में खाद्य पदार्थों का उपयोग करता है ताकि स्वास्थ्य से संबंधित गंभीर मामलों और जटिलताओं से बचा सके। मेनोपॉज के दौरान होने वाली जटिलताओं से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में इसका हल है। दरअसल, पीरियड्स का बंद होना यानी मेनोपॉज का दौर महिलाओं के लिए बहुत मुश्किल भरा होता है। ऐसे में स्वास्थ्य संबंधी भी कई समस्याएं आती है इसके लिए आयुर्वेदिक इलाज (menopause ka ilaj) अपनाया जा सकता है। आयुर्वेद में मेनोपॉज के दौरान होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए शतावरी पाउडर, एलोवेरा, अशोक पाउडर और शिलाजीत आदि फायदेमंद बताया गया है।
सभी महिलाओं में मेनोपॉज होने की अलग-अलग उम्र हो सकती है। 40 से 50 आजकल नॉर्मल उम्र है मेनोपॉज की। यदि कोई महिला 42 साल की है और 1 साल से पीरियड नहीं आया है तो उसे मेनोपॉज हो सकता है।
रजोनिवृत्ति लगभग 40 से 50 साल की आयु (enopause ki sahi umar kya hai) में हो जाती है। भारत में ज्यादातर महिलाएं 47.5 की उम्र तक मेनोपॉज तक पहुंच जाती हैं।
मेनोपॉज होने के बाद प्राकृतिक रूप से गर्भधारण होने की संभावना न के बराबर रह जाती है। लेकिन असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे कि आईवीएफ तकनीक की मदद से मेनोपॉज के बाद भी गर्भधारण की संभावना है। अगर किसी महिला ने पहले अपने अंडों को फ्रीज करवाया है तो वो प्रेग्नेंट हो सकती है।
मेनोपॉज के दौरान आपको अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, फल-सब्जियां, ड्राईफ्रूट्स, कैल्शियम, होल ग्रेंस और कार्बोहाइड्रेट शामिल करना चाहिए।
कुछ महिलाएं मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं से इतनी परेशान हो जाती हैं कि वो रजोनिवृति सिंड्रोम से घिर जाती हैं। वो हद से ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती है और थोड़ी-थोड़ी देर में उनके मूड स्विंग होने लगते हैं। कई बार तो बात डिप्रेशन तक पहुंच जाता है।
भारत में मेनोपॉज की सही उम्र 46 है। आमतौर पर महिला में 45 से 50 के बीच में पीरियड बंद हो जाना चाहिए।
वैसे तो आमतौर पर मेनोपॉज होने के बाद योनि से खून नहीं आता है। लेकिन यदि किसी महिला के साथ ऐसा हो रहा है तो उसे जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
मासिक धर्म 45 से 50 साल की उम्र के बीच तक बंद हो जाता है। इसके बाद महिला गर्भवती नहीं हो सकती है। वैसे मासिक धर्म बंद होने की उम्र हर महिला में अलग-अलग हो सकती है।
मेनोपॉज के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, इससे आपकी योनि में कई बदलाव आते हैं। लेकिन यह सच है कि आपकी योनि पहले जैसी नहीं रहती। मेनोपॉज के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से योनि स्वस्थ रहती है।