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डेल्टा प्लस वैरिएंट, कोरोना, know about Delta Plus variant of the coronavirus

जानिए क्या है कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट, इससे बचाव के लिए वैक्सीन है कितनी कारगर

कोरोना महामारी के मामले देश में भले कम हो गये हैं लेकिन इस वायरस के नये-नये रूप सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट (Covid Delta Plus Variant) पहले वाले से भी ज्यादा खतरनाक है। यही नहीं इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है। वहीं WHO ने डेल्टा वैरिएंट को ‘वायरस ऑफ कंसर्न’ करार दिया है।  जी हां, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक डेल्टा प्लस काफी संक्रामक है और फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से मजबूती से चिपकने में सक्षम है। इसकी वजह से फेफड़े को जल्द नुकसान पहुंचने की संभावना होती है। साथ ही यह मोनोक्लोनल एंडीबॉडी कॉकटेल को भी मात देने में सक्षम है।
लेकिन यहां हम आपको डरा नहीं रहे हैं बल्कि कोरोना के इस नये वैरिएंट से सतर्क कर रहे हैं। ताकि आप अपना और अपने परिवार का इस डेल्टा वैरिएंट से बचाव कर सकें। तो आइए जानते हैं कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट क्या है, उसके लक्षण और उससे बचाव के उपाय –

कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट क्या है

कोरोना का नया स्वरूप या फिर वैरिएंट डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा में म्यूटेशन से बना है। इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वैरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं। इसलिए पहले वाले से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। 
खबर लिखे जाने तक स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट के लगभग 40 मामले सामने आ चुके हैं। ये 8 राज्यों – महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू और कर्नाटक में पाया गया है।
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कोरोना डेल्टा प्लस वैरिएंट के लक्षण

कोविड लक्षणों पर स्टडी करने वाले प्रमुख शोधकर्ता प्रो. टिम स्पेक्टर के अनुसार, जिन लोगों को डेल्टा वैरिएंट ने अपनी चपेट में लिया है, उन्हें सूखी तेज खांसी और अलग ही तरह की भावना जैसे फनी ऑफ फीलिंग का अहसास हो रहा है। उनका कोल्ड सिम्टम्स पिछले वायरस से काफी अलग पाया जा रहा है। डेल्ट वैरिएंट पर हुई रिसर्च के अनुसार इसके सबसे आम लक्षण हैं – 

  • बहुत ज्यादा खांसी आना
  • तेज सिरदर्द
  • गले में खराश 
  • नाक बहना 
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डेल्टा प्लस वैरिएंट से बचाव कैसे करें

वायरस जो भी हो, वह हमेशा अपना जेनेटिक रूप बदलता रहता है। जब कोई वायरस अपनी संरचना बदलता है तो वैज्ञानिक उसे एक नया नाम देते हैं। जब लोग वायरस के प्रभाव को नष्ट करने के लिए वैक्सीन या दवाएं लेते हैं, तो वायरस अपनी रक्षा के लिए रूप बदलने लगता है। हालांकि, यह आप पर निर्भर है कि आप घर पर बाहर जाने से पहले हमेशा मास्क पहनें, अपने हाथों को साफ रखें और सुरक्षित दूरी बनाए रखें। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करके इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। डेल्टा प्लस समेत दूसरे वैरिएंट के मद्देनजर अगले 6-8 हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं। डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कोवैक्सीन और कोविशील्ड असरदार हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीनेशन के बाद लगभग लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

क्या इस वैरिएंट पर वैक्सीन काम करेगी?

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भारत के शीर्ष विषाणु विज्ञानी और इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोम सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम के पूर्व सदस्य प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और इम्युनिटी दोनों को चकमा दे सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि डेल्टा प्लस में वे सारे लक्षण हैं जो डेल्टा वैरिएंट में थे। साथी ही बीटा वैरिएंट के लक्षण भी इसमें हैं। हमें पता है कि वैक्सीन का असर बीटा वैरिएंट पर कम है। बीटा वैरिएंट वैक्सीन को चकमा देने में अल्फा और डेल्टा वैरिएंट से ज्यादा तेज है। हालांकि, सरकार ने अध्ययनों के हवाले से कहा है कि डेल्टा वैरिएंट पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन बेहद प्रभावी है। इसीलिए खुद को और अपने परिवार को कोरोना वायरस से बचाने के लिए जितना जल्दी हो सकते वैक्सीन लगवा लें। 

भारत में कोई चिंता नहीं!

हालांकि, फिलहाल डेल्टा प्लस भारत में चिंता का विषय नहीं है। यह मामला मार्च के अंत में यूरोप में सामने आया था। 17 जून तक, GISAID, ओपन साइंस डेटाबेस के अनुसार, दुनिया भर में ऐसी 63 घटनाएं हुई हैं; इनमें छह भारतीय भी शामिल हैं। कोरोना टास्क फोर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. वी.के. पॉल कहते हैं, “हम इंसाकोग के माध्यम से इसके अस्तित्व और विकास की निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि वह पद छोड़ने के बाद क्या करेंगे। जब तक ऐसा नहीं लगता, तब तक चिंता करने की कोई बात नहीं है।”
लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि देश को इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। डेल्टा प्रकार, जिसे पहली बार पिछले साल अक्टूबर में रिपोर्ट किया गया था, उम्मीद से तेज था, और एम्स में हाल के एक अध्ययन के अनुसार, वही वैरिएंट 2021 में देश में दूसरी लहर का कारण था। 
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25 Jun 2021

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