यह तो हम सभी जानते हैं कि आज से नहीं बल्कि सदियों से कपूर का उपयोग घर के हवन, पूजा, स्वास्थ्य संबंधी दवाओं और कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में ठंडक पहुंचाने के रूप में किया जाता है। इसके अलावा, कपूर के तेल के भी कई चमत्कारी फायदे हैं। कपूरा का उपयोग (what is camphor in hindi) चीन और भारत में कई समय से बीमारियों का इलाज करने और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है। कपूर के फायदे (kapoor kaise banta hai) कई हैं, लेकिन ज्यादातर लोग कपूर का उपयोग केवल पूजा में जलाने के लिए करते हैं। लेकिन कई इस बात से अनजान हैं कि कपूर में कई औषधीय गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह कई बीमारियों का इलाज कर सकता है। यहां आज हम आपको इस लेख में कपूर के फायदे , कपूर कैसे बनता है (kapoor kaise banta hai) और उससे जुड़ी हर वो बात बतायेंगे जो आपको कभी न कभी काम आ सकती हैं।
कपूर तेज खूशबू वाला उड़नशील और यह श्वेत रंग का मोम जैसा पदार्थ है। इसमे एक तीखी गंध होती है। कपूर को संस्कृत में कर्पूर, फारसी में काफ़ूर और अंग्रेजी में कैम्फर कहते हैं। यह एक वृक्ष से प्राप्त किया जाता है जिससे सिनामोमस कैम्फ़ोरा कहते हैं। कैम्फर का पेड़ मुख्यतः चीन, भारत, मंगोलिया, जापान, तैवान आदि देशों में पाया जाता है। कपूर का प्रयोग हमारे देश में पूजा के लिए किया जाता है। कोई भी आरती बिना कपूर के पूरी नहीं मानी जाती है। इसके साथ ही बीमारियों के इलाज में भी कपूर का उपयोग किया जाता है।
कपूर को तीन तरह की वनस्पति से निकाला जाता है। इसलिए यह तीन तरह का होता है। बाजार में भी तीन तरह का ही कपूर (kapur ke prakar) मिलता है। तो आइए जानते हैं कौन-सा कपूर किस तरह से बनाया जाता है (kapoor kaise banta ha) और किसका ज्यादा इस्तेमाल होता है।
इसे जापानी कपूर भी कहा जाता है, जिसे सिनामोमस कैफ़ोरा (Cinnamomum camphora) नामक पेड़ से निकाला जाता है। मूलत: यह पेड़ जापान और चीन में पाया जाता है लेकिन कपूर के उत्पादन के लिए इसे दूसरे देशों में भी लगाया जाता है। अपने देश में यह पेड़ नीलगिरि, मैसूर, देहरादून और सहारनपुर में बहुलता से पाया जाता है। इसके पत्तों से कपूर निकाला जाता है।
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इसे हिंदुस्तानी कपूर भी कहते हैं। यह कपूर अपने देश मेकंपोज़िटी (Compositae) कुकरौंधा नामक पेड़ से मिलता है। यह अपक्व या अविशुद्ध कपूर है जिसमें जलीय अंश अधिक होता है तथा रंग में इतना श्वेत नहीं होता और इसे ऊर्ध्वपातन द्वारा शुद्ध किया जाता है। ये पक्व कपूर की तुलना में काफी महंगा होता है।
भीमसेनी कपूर ड्रायोबैलानॉप्स ऐरोमैटिका (Dryobalanops aromatica) नामक पेड़ से निकाला जाता है। सुमात्रा में यह पौधा अपने आप ही पैदा हो जाता है। इस पेड़ में जहां फांक रहता है, वहां खुरचने के बाद कपूर को निकाला जाता है। इसे आप जब पानी में डालेंगे तो यह नीचे बैठ जाएगा। इन दिनों भीमसेनी कपूर के नाम पर कृत्रिम कपूर भी बाजार में बिकता है, इसलिए जापानी कपूर खरीदना ही बेहतर है।
भारत में लगभग घरों में कपूर का उपयोग पूजा-पाठ में किया जाता है। कपूर से निकलने वाली तीखी महक न केवल घर व वातावरण के लिए बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होती है। कपूर एक कार्बनिक घटक है। इसके चिकित्सा गुणों के कारण, इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए भी किया जा सकता है। कपूर का उपभोग नहीं कर सकते, लेकिन आप इसे बाहरी तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। कपूर में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक, एंटीसेप्टिक और एंटी-कंजंक्टिविले गुण होते हैं, जिससे इसका प्राकृतिक चिकित्सा में एक अहम स्थान है। कपूर एंटीऑक्सिडेंट का बेहतरीन स्रोत है, जो कई बीमारियों को ठीक करने में लाभकारी है। यही वजह है कि कपूर को प्राकृतिक गुणकारी इलाज में शामिल किया जाता रहा है। अपने यहां प्राचीन जमाने में कपूर का प्रयोग कई तरह के रोग को दूर करने में किया जाता रहा है। तो आइए जानते हैं कपूर के विभिन्न फायदों (kapoor ke fayde) के बारे में –
सारी नाकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। जलते हुए कपूर (kapoor jalane ke fayde) की सुगंध में रोग फैलाने वाले जीवाणु, विषाणु आदि नष्ट करने की क्षमता होती है, जिससे रोग फैलने का भय नहीं रहता।
कपूर में इतने एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं कि यह हमारी खूबसूरती को निखारने के साथ ही हमें स्वस्थ रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। खासतौर पर कपूर हमारी स्किन के लिए इतना बढ़िया है कि स्किन से जुड़ी कई परेशानियां इसे लगाने से कुछ ही देर में ठीक हो जाती हैं। पिंपल्स, एक्ने और त्वचा में जलन व सूजन जैसी समस्याओं को हल करने में कारगर है। इसी के साथ अगर किसी को फटी एड़ियों की शिकायत हो तो कपूर के पानी में पैर डालकर रखने से फटी एड़ियों की दरारें भरने लगती हैं।
अगर किसी को जुकाम या जकड़े की समस्या है तो कपूर की गोली या फिर कपूर का तेल गर्म पानी में डालकर उससे निकलने वाली भाप को सूंघने से कफ से जुड़े रोगों और जुकाम में लाभ होता है।
कपूर की तीखी सुगंध प्रभावशाली होती है। यह ब्रॉन्काई, स्वर यंत्र और हवा के अन्य भागों को खोलने में मददगार है, जो बलगम और मकस को दूर करता है। कोल्ड रब में कपूर का इस्तेमाल किया जाता है, इसे छाती और गले पर रगड़ने से काफी राहत मिलती है। आप गर्म पानी में कपूर के तेल की कुछ बूंदें डालकर इसे भाप के तौर पर भी ले सकते हैं। फलस्वरूप, सर्दी- खांसी दोनों में राहत मिलती है।
कपूर एक बेहद प्रभावी एंटी इंफ्लेमेटरी साबित हुआ है। कंवेंशनल मेडिशिन के साथ ही आयुर्वेद में भी यह काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है। दर्द कम करने वाले बाम का यह महत्वपूर्ण घटक है, जो दर्द दूर करने के साथ ही सूजन को भी कम करता है। कपूर आसानी से स्किन में घुस जाता है, इसलिए बाहरी चोटों और इसकी वजह से होने वाली सूजन को ठीक करने में यह जादू की तरह काम करता है।
कपूर पाचन तंत्र को बेहतर बनाकर इसके कामकाज को अनुकूल बनाता है। साथ ही पाचन रस और एंजाइम के स्राव को भी बढ़ाता है, जो पाचन या डाइजेशन की प्रक्रिया को बेहतर करने के लिए जरूरी है। यह पेट में गैस को बनने से रोकता है, साथ ही इससे जुड़ी अन्य समस्याओं को भी। डायरिया, गैस्ट्रोएंटाइटिस और डाइजेशन से जुड़े अन्य रोगों के लिए भी रामबाण है।
ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में कपूर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। यह डिटॉक्सिफिकेशन में भी लाभदायक है। जोड़ में दर्द हो या गाठिया की समस्या, कपूर असरकारक है। इसे मलने से ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त होता है और इसकी हल्की खुशबू रिलैक्स करने में भी मदद करता है।
सेक्सुअल फंक्शन को दुरुस्त करने में कपूर के तेल का प्रयोग खासा फायदेमंद साबित हुआ है। कपूर मस्तिष्क के उस हिस्सों को उत्तेजित करता है, जो सेक्सुअल आग्रह और क्षमताओं को नियंत्रित करते हैं। कपूर का तेल बाहरी तौर पर लगाना इरेक्टाइल संबंधी समस्याओं के इलाज में भी फायदा करता है। चूंकि यह ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त करता है तो प्रभावित हिस्सों में ब्लड का बेहतर सर्कुलेशन इसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाता है।
कपूर का तेल प्रेगनेंट महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी है। प्रेगनेंसी के दौरान मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन और दर्द को दूर करने में इसका प्रयोग लाभकारी है। कपूर के तेल को हल्के हाथ से प्रभावित हिस्सों में लगाने से प्रेगनेंट महिलाओं को दर्द और ऐंठन से छुटकारा मिलता है।
अगर घर में बहुत मच्छर हो गये हैं तो कपूर जलाने से तुरंत भाग जायेंगे। जी हां, इसके लिए एक कमरे में कपूर जलाएं और सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दें। 15-20 मिनट के लिए इसे इस तरह से छोड़ दें और एक मच्छरमुक्त वातावरण पाएं।
आप कपूर को दांतों के बीच दर्द वाले स्थान पर रखकर कुछ देर तक दबाएं रखें। इससे दांत के दर्द में आराम मिलेगा। वहीं अगर कीड़े की वजह से दांत में दर्द हो रहा है तो उस जगह पर कपूर का चूरा भर दें। दर्द के साथ कीड़ों से भी छुटकारा मिलेगा।
बवासीर में कपूर काफी हद तक आराम पहुंचाता है। दर्द से राहत पाने के लिए कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर बवासीर वाली जगह पर लगाने से वहां की सूजन में भी कमी आती है। इसी के साथ मलत्याग के होने वाली जलन और तकलीफ में भी आराम मिलता है।
कपूर को रूमाल में बांधकर सूंघने से सर्दी-जुकाम व फेफड़े संबंधी रोगों में फायादा होता है। इसके अलावा कपूर को सूंघने से दिमाग में मौजूद लेकवस नामक रसायन अधिक सक्रिय हो जाते हैं जो निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाते हैं। अगर किसी को स्मेल नहीं आ रही है तो कपूर से सूंघने की क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन इसका इस्तेमाल कम से कम ही करना चाहिए नहीं तो ये शरीर पर बुरा प्रभाव भी डाल सकता है।
यदि किसी को बालों में बहुत ज्यादा ड्रैंडफ या रूसी रहते हैं तो नारियल के तेल में कपूर मिलाकर इसे गुनगुना कर लें। फिर इस तेल से सिर की मालिश करें और मालिश के एक घंटे बाद सिर को धो लें। इससे डैंड्रफ गायब हो जायेंगे।
अगर आपको बहुत ज्यादा सिरदर्द महसूस हो रहा है तो घर में रखे कपूर का इस्तेमाल कर इससे छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए नींबू के रस में कपूर को मिलाकर सिर पर लगाएं। सिरदर्द के साथ भारीपन और तनाव भी काफी हद तक दूर हो जाएगा।
कपूर को प्राकृतिक तौर पर कपूर के पेड़ से निकाला जाता है। सिनामोमस कैम्फ़ोरा पेड़ या इसी प्रजाति की अन्य पेड़ों की लकड़ियों से कपूर प्राप्त (kapoor kaise banta hai) होता है। इस वृक्ष के काष्ठ में जहां पाले होते हैं यानि कि चीरे पड़े रहते हैं वहीं कपूर पाया जाता है। यह श्वेत एवं अर्धपारदर्शक टुकड़ों में विद्यमान रहता है और खुरचकर लकड़ी से निकाला जाता है। इसलिए इसे अपक्व और जापानी कपूर को पक्व कपूर कहा गया हे। लेकिन कई बार कृत्रिम तौर पर रसायन से भी बनाया जाता है। यही वजह है कि बाजार में कई तरह के कपूर उपलब्ध हैं।
हर चीज के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। ऐसे में कपूर को भी काफी सावधानी से इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो ये भी आपके सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। यहां हम आपको कपूर के नुकसान और उससे जुड़ी ऐसी सावधानियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आपको जरूर ध्यान में रखना चाहिए –
वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र में भी कपूर जलाने के महत्व और उपयोग के बारे में बताया गया है। कपूर जलाने से देवदोष व पितृदोष समाप्त होता है। इससे घर में उत्पन्न होने वाली नकारात्मकता को दूर करते हैं। ऐसे में लौंग और कपूर को साथ जलाने (kapoor jalane ke fayde) का भी विधान है।
भीमसेनी कपूर वृक्ष के पत्ती, छाल और लकड़ी से आसवन विधि द्वारा सफ़ेद रंग के क्रिस्टल के रूप में प्राप्त किया जाता है। भीमसेनी कपूर (kapoor kaise banta hai) की यह खासियत होती है कि पानी में डालने पर यह नीचे बैठ जाता है।
असली कपूर की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है उसे जला कर देंखे कि बाद में अगर राख नजर नहीं आए तो समझें कि वह असली है। क्योंकि असली कपूर पेड़ से प्राप्त होता है और जलाने पर यह पूरी तरह उड़ जाता है।
कपूर दो तरह के होते हैं- प्राकृतिक व कृत्रिम. प्राकृतिक कपूर (भीमसेनी कपूर) को पेड़ से निकाला जाता है, जिसे हम खा भी सकते हैं। लेकिन इसे सीधे मौखिक तौर पर नहीं लेना चाहिए ये काफी जहरीला होता है। कपूर ख़ुशबूदार व ज्वलनशील है इसीलिए इसका सेवन बेहद सीमित मात्रा में करना चाहिए।
सर्दी-जुकाम व फेफड़े संबंधी रोगों में कपूर सूंघने से फायदा होता है। विक्स, बाम जैसे कई उत्पादों को बनाने में कपूर का प्रयोग किया जाता है।