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Kapalbhati ke Fayde

Kapalbhati ke Fayde | जानें कपालभाति के फायदे, विधि और नुकसान

खराब लाइफस्टाइल, फूड हैबिट्स और प्रदूषण के चलते आज के समय में युवा अवस्था में भी शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। ऐसा न हो इसके लिए योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और निरोगी काया पाएं। अगर आप कठिन योगासन नहीं कर सकते हैं तो प्राणायाम जरूर करें। प्राणायाम के बारे में आप अगर आप नहीं जानते हैं तो हम आपको बताएंगे कपालभाति प्राणायाम विधि के बारे में। इस आर्टिकल में हमने कपालभाति के फायदे (Kapalbhati ke Fayde) के बारे में बताया है। कपालभाति प्राणायाम के फायदे जानने के लिए आप इसे अंत तक पढ़ें और जानें कि कैसे प्राणायाम से आप अपने जीवन को स्वस्थ और सुंदर बना सकते हैं।

 

 Kapalbhati Kya Hai | कपालभाति प्राणायाम क्या है?

योग में कपालभाति षट्कर्म यानि हठ योग की एक क्रिया है। संस्कृत में कपाल का मतलब माथा होता है और भाती का मतलब कान्तिमान या चमकदार होता है। यह एक ऐसी विधि है जिसे अंग्रेजी में ‘द ब्रीथ ऑफ फायर’ भी कहा जाता है। इसमें गहरी सांस लेनी होती है और ताकत के साथ एक लयबद्ध तरीके से बाहर छोड़नी होती है। आमतौर पर इस तरह के अभ्यास के बाद शरीर में गर्मी का अहसास होने लगता है। योग में कपालभाति प्राणायाम (Kapalbhati Kya Hai) को किसी अमृत से कम नहीं समझा जाता है। इसे कोई भी कर सकता है, किसी भी उम्र का व्यक्ति भी। बस कुछ नियम और सावधानियों का पालन करना जरूरी होता है। ताकि आपको इससे ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें।

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Kapalbhati ke Prakar | कपालभाति के प्रकार

कपालभाति निरोगी जीवन के लिए एक रामबाण उपाय है। अगर आप कपालभाति का पूरा लाभ (kapalbhati benefits in hindi) लेना चाहते हैं तो इसके बारे में हर वो बात आपको पता होनी चाहिए, जो आपके काम आ सकती है। जैसे कि कपालभाति मुख्यत: तीन प्राकर के होते हैं। वातकृपा कपालभाति, व्युत्क्रम कपालभाति और शीतकर्मा कपालभाती। तो आइए जानते हैं इनके बारे में –

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वातकृपा कपालभाति

 

वातकृपा कपालभाति भस्त्रिका की प्राणायाम क्रिया के समान एक अभ्यास है। इसमें ध्यान की मुद्रा में बैठकर अपनी एक उंगली से एक नासिका छिद्र को बंद करके दूसरी नासिका छिद्र से सांस खींचना होता है और तुरंत ही दूसरी तरफ की नासिका छिद्र को बंद करके सांस छोड़ना होता है। सिवाय इसके कि साँस छोड़ना सक्रिय है जबकि साँस लेना निष्क्रिय है, सामान्य श्वास के विपरीत है।

व्युत्क्रम कपालभाति

 

व्युत्क्रम कपालभाति, जल नेती के समान एक अभ्यास है। इसमें नासिका के माध्यम से गुनगुना पानी खींचकर मुंह बाहर निकालना होता है।

शीतकर्मा कपालभाति

 

शीतकर्मा कपालभाती में व्युत्क्रम कपालभाति का विपरित करना होता है। इसमें पानी को मुंह में लेकर नाक से बाहर निकाला जाता है।

 Kapalbhati ke Fayde in Hindi | कपालभाति प्राणायाम करने के फायदे

नियमित रूप करने से कपालभाती प्राणायाम के फायदे (Kapalbhati Benefits in Hindi) एक नहीं बल्कि अनेक हैं। कपालभाति प्राणायाम लगभग हर तरह की बीमारियों से छुटकारा दिलवा सकता है। ऐसा नहीं है कि अगर आप वजन कम करने के लिए ये योग कर रही हैं तो आपको बाकी फायदे नहीं होंगे, बल्कि शरीर के बाकी अंगों को भी फायदा पहुंचता है। कपालभाति के बाद मन शांत, सांस धीमी व शरीर स्थिर हो जाता है। आइए जानते हैं कपालभाती प्राणायाम के फायदे (kapalbhati pranayam ke fayde) कौन-कौन से हैं –

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Kapalbhati ke Fayde

Boost Immunity – इम्यूनिटी बढ़ाए

कपालभाति हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कई बीमारियों से रक्षा करता है। कपालभाती प्राणायाम करने से बॉडी डिटॉक्स होती है और इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इसलिए योग को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा जरूर बनायें। 

 Stop Hair Loss – बालों का झड़ना रोकें

बाल ज्यादा टूट रहे हैं और उसकी वजह से गंजापन भी शुरू हो गया है तो अपनी डेली रूटीन में योग को शामिल करें। क्योकि कपालभाति करने से पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक ढंग से काम करेगा। जो आपके बालों की ग्रोथ में मदद करता है।

Relief Constipation – कब्ज़ में राहत

अगर आपको कब्ज की शिकायत रहती है तो अपने डेलीरूटीन में 5 से 10 मिनट कपालभाति प्राणायाम करें। इसे करने से शरीर एक्टिव रहता और पाचन क्रिया सुचारू रूप काम करती है। इससे कब्ज में राहत मिलती है।

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Weight Lose – वजन घटाएं

Kapalbhati Benefits in Hindi में वेट लॉस भी शामिल है। जरूरत से ज्यादा वजन हर बीमारी की जड़ है और समय रहते ही इसपर काबू पाना बेहद जरूरी है। अपने वजन को संतुलित करने के लिए रोजाना कपालभाति प्राणायाम करें इसके अभ्यास से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। 

Energize the Body – शरीर को चुस्त रखें

नियमित रूप से कपालभाति करने से आप में ऊर्जा पैदा होती और आप दिनभर एक्टिव रहते हैं। इससे आपके शरीर का स्टैमिना भी बढ़ता है और आप जो भी काम करते है उसमें बिना थकान के लम्बे समय तक टिके रहते हैं।

Protect Against Respiratory Diseases – श्वास संबंधी रोगों से रखे दूर

अस्थमा या दमा जैसी श्वांस संबंधी समस्या में कपालभाति करने से काफी फायदा होता है। इससे साइनस, ब्रोंकाइटिस संक्रमण और रायनाइटिस जैसी बीमारियों में आराम मिलता है।

Control High Blood Pressure and Sugar – हाई ब्लड प्रेशर और शुगर को करे कंट्रोल

हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटिज में कपालभाति से लाभ (kapalbhati pranayam ke labh) मिलता है। कपालभाति से हाई ब्लड प्रेशर और शुगर दोनों को ही कंट्रोल करने में काफी हद तक मददगार साबित होता है। 

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Better for The Brain – मस्तिष्क के लिए है बेहतर

बढ़ती उम्र का असर मस्तिष्क पर सबसे पहले होता है और नतीजा याददाश्त कमजोर होना, भूलने की बीमारी या फिरस नर्वस सिस्टम से जुड़ा कोई विकार हो सकता है। ऐसे में अगर आप पहले सी ही कपालभाति प्राणायाम करते हैं तो आपको ये सारी समस्याएं नहीं होती है। क्योंकि यह हमारे मस्तिष्क के लिए किसी टॉनिक की तरह काम करता है।

 

Kapalbhati Kaise Kare | कपालभाति प्राणायाम कैसे करें

Kapalbhati ke Fayde

 

कपालभाती प्राणायाम करने के लिए (kapalbhati kaise karte hain) सबसे पहले दोनों पैरों को मोड़ कर सुखासन में सीधे बैठ जाएं और अपनी कमर को भी सीधा रखें। इसे करने के लिए स उसके बाद शांति से कुछ मिनटों के लिए उस मुद्रा में रहें। फिर अपनी दायीं तरफ की नाक को अपने दायें हाथ के अंगूठे से आराम से बंद करके अपनी बायीं तरफ की नाक से धीरे- धीरे जितनी सांस ले सकते हैं, उतनी लें। फिर सांस पूरी तरह से अपनी छाती में भरने के बाद धीरे से अपनी बायीं नाक को अंगूठे से बंद करके धीरे- धीरे दायें नथुने से सांस को छोड़ें। यह कपालभाति का एक राउंड हुआ। हर राउंड के बाद कुछ लंबे गहरे सांस लें और छोड़ें और उसके बाद दूसरे राउंड पर जाएं। अपनी क्षमता अनुसार 5 से 15 तक इसे दोहरायें। प्रतिदिन 2 से तीन बार आप ऐसा कर सकते हैं। इससे आपको अच्छे नतीजे मिलेंगे।

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Other Benefits of Kapalbhati in Hindi – Kapalbhati ke Fayde – कपालभाति से जुड़ें अन्य फायदे 

 

कपालभाति क्रिया प्राणायाम का एक ऐसा आसन है, जिससे हर तरह की परेशानी खत्म हो जाती है। इसकी हर तकनीक में सांसों का विशिष्ट अनुपात और सांस अंदर लेने और बाहर छोड़ने का एक निश्चित अवधि होती है। और यह सब पहली बार इनका अभ्यास करने वाले और इनके अभ्यास में अनुभवी लोगों में अलग-अलग हो सकता है। से करने से मन और मस्तिष्क, दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। नियमित रूप से सही कपालभाति करने की विधि (kapalbhati kaise karte hain)करने से कई चमत्कारी फायदे होते हैं। तो आइए एक नजर डालते हैं कपालभाति के चमत्कार (kapalbhati benefits in hindi) पर –

kapalbhati kaise karte hain

 

  • पेट के बार-बार अन्दर जाने से पाचन तंत्र के अंग जैसे अमाशय, आंतें, लीवर, किडनी, पैंक्रियाज आदि अंग स्वस्थ हो रहे हैं।
  • खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर रक्त शुद्ध होने लगता है और इससे तमाम तरह के रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
  • इससे मोटापा, डायबटीज, कब्ज़, गैस, भूख ना लगना और अपच जैसे पेट के रोग ठीक होते हैं।
  • कपालभाति (kapalbhati pranayam ke fayde), कोलेस्ट्रोल को घटाने में भी सहायक है।
  • कपालभाति के अभ्यास से हार्मोंस संतुलित रहते हैं और चेहरे के अनचाहे बालों से भी छुटकारा मिलता है। 
  • रोजाना इस आसान को करने से महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता भी ठीक हो जाती है।
  • कपालभाति के ब्यूटी बेनिफिट्स भी हैं। इससे चेहरे की झुरियां, आँखो के नीचे के डार्क सर्कल व एक्ने की समस्या भी दूर हो जाती है।
  • इससे फेफड़ों के लिए सबसे अच्छा योग माना जाता है। कपालभाति से श्वसन प्रणाली स्वस्थ बनी रहती है।
  • आजकल के समय में डिप्रेशन को मात देने के लिए कपालभाति प्राणायाम बेस्ट है। इससे तन और मन दोनों को शांति मिलती है।नकारात्मक सोच से छुटकारा मिलता है और मन में उत्साह बना रहता है।
  • दो महीने तक लगातार कपालभाति का अभ्यास करना है, आपका साइनस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
  • अगर आपको नाम में एलर्जी की समस्या रहती है तो कपालभाति करने से आपको ये शिकाायत दोबारा नहीं होगी।

Kapalbhati ke Nuksan | कपालभाति के नुकसान 

 

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कहते हैं जहां भोग है वहां रोग है। जहां योग है वहां निरोग, लेकिन गलत योग रोगी बना सकता है। यानी योग करते समय सावधान रहें। क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह कपालभाति से लाभ और हानि दोनों ही हैं। अगर इसका गलत तरीके से प्रयोग किया जाए तो कपालभाति साइड इफेक्ट्स होता है। तो आइए जानते हैं कपालभाति के नुकसान के बारे में –

Kapalbhati ke Nuksan

चक्कर आना

सांसों के अनियंत्रित गति से मस्तिष्क को सही मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचना कम हो जाता है। ऐसे में ब्रेन के कई सेल्स को नुक़सान, बेहोशी और चक्कर आने जैसी तक़लीफ हो सकती है।

गलत करने पर सर में दर्द 

कपालभाति के दौरान बहुत से लोग सर में दर्द महसूस करते हैं। लेकिन इसके पीछे गलत तरह से कपालभाति करने की विधि जिम्मेदार होती है। इसी के साथ अगर आप तनावमुक्त होकर प्राणायाम नहीं करेंगे तो ये सर दर्द में परिवर्तित हो जायेगा। कपालभाति के लिए तन और मन दोनों शांत होने चााहिए।

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यूट्रेस पर गलत असर

कपालभाति महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है। झटके से करने से इससे इंटरनल अंगों पर प्रेशर बनता है और महिलाओं के यूट्रेस पर इसका गलत असर होता है।

लो ब्लड प्रेशर की समस्या

जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उनके लिए तो कपालभाति के फायदे है लेकिन जिनका ब्लड प्रेशर कम रहता है उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसीलिए जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की बीमारी है उन्हें कपालभाती नहीं करना चाहिए।

शरीर में दर्द

 

कपालभाति प्राणायाम के दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहना चाहिए। गलत पॉश्चर में बैठने से आपको कपालभाति करते समय शरीर में दर्द महसूस हो सकता है। इसीलिए जो लोग पहली बार योग कर रहे हैं, वो कपालभाति (how to do kapalbhati in hindi) को किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही शुरू करें।

खट्टी डकार आना

कपालभाति करने के कुछ देर पहले और बाद में कुछ खाए-पिएं नहीं। अगर आप इस नियम का उल्घंन करते हैं तो कपालभाति साइड इफेक्ट्स के तौर पर आपको खट्टी डकारें आना शुरू हो जायेंगी। इसीलिए कपालभाति खाली पेट करने की ही सलाह दी जाती है।

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कपालभाति प्राणायाम से जुड़े सवाल

कपालभाति प्राणायाम कब करना चाहिए ?

कपालभाति प्राणाम सुबह के समय 5 से 9 बजे के बीच खुली हवा में करना ज्यादा लाभदायक माना जाता है। क्योंकि सुबह हवा में ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होती है।

क्या कपालभाति से पेट कम होता है क्या?

जी हां, आप रोजाना कपालभाति प्राणायाम (kapalbhati ke labh) करके अपने पेट की चर्बी कम कर सकते हैं। क्योंकि इसे करने से तेजी से हीट पैदा होती है और पेट के हिस्से से ज्यादा फैट जलने लगता है।

कपालभाति कब नहीं करना चाहिए?

कपालभाति प्राणायाम को रात में नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस समय हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसकी के साथ खाना खाने के बाद भी ये प्राणायाम नहीं किया जाता है। वहीं महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कपालभाति नहीं करना चाहिए।

प्रेगनेंसी के समय क्या कपालभाति प्राणायाम कर सकते हैं?

गर्भवती महिलाओं को ऐसा कोई भी प्राणायाम नहीं करना चाहिए जिसमें सांसों को थामकर रखना हो। इसलिए गर्भावस्था में कपालभाती और भस्त्रिका जैसे अभ्यास न करने की सलाह दी जाती है।

किन रोगियों को कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए?

जिन लोगों को ह्रदय रोग हैं, चक्कर आते हैं, वर्टिगो है, हाई बीपी रहता है, मिर्गी, माइग्रेन, हर्निया और गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या होती है उन्हें कपलाभाति नहीं करने की सलाह दी जाती है।

कपालभाति कितने मिनट करना चाहिए?

कपालभाति को 20 से 25 मिनट तक करना चाहिए। वैसे अगर कपालभाति करने की विधि सही है आपकी तो आप इसे 10-15 मिनट तक किया जाये तो इतना भी बहुत है।

अनुलोम विलोम दिन में कितनी बार करना चाहिए?

अनुलोम विलोम सुबह और शाम आप 10 से 15 कर सकते हैं। वैसे 5 मिनट भी अनुलोम विलोम के लिए बहुत है। आप अपनी क्षमता अनुसार इसे दिन में 1 या 2 बार 5 से 15 तक कर सकते हैं।

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