महिला जब पहली बार माँ बनती है, तब उसके लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि शिशु को क्या दें और क्या नहीं। इस दौरान अनुभवी लोग हर दिन कुछ न कुछ अपनी सलाह देते रहते हैं, जैसे कि हल्दी वाला दूध। वैसे तो हमारे भारत में बहुत तरह के मसाले पाए जाते हैं, लेकिन शिशु को इन्हें कब देना चाहिए और कब नहीं, यह निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है।
हल्दी एक ऐसा मसाला है, जो एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लामेटरी और अन्य उपचार के गुणों के कारण औषधी के समान माना जाता है। माँ को लगता होगा कि शिशु को कब इस अद्भुत मसाले के फायदा मिले, लेकिन इसके लिए जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है।
सबसे पहले यह जान लें कि बच्चे को हल्दी किस महीने से और कितनी मात्रा में खिला सकती हैं या इसका सेहत के नजरिए से क्या कोई दुष्प्रभाव हो सकता है? आपके ऐसे ही सवालों का जवाब हम लेख के माध्यम से देंगे ताकि आप अपने शिशु की सेहत को सही समय पर और सही तरह से हल्दी का फायदा पहुँचा सकें।
बच्चों के आहार में कब हल्दी वाला दूध शामिल करना चाहिए ? (When should you give Turmeric Milk to a child in Hindi?)
हल्दी को शामिल करने के पहले यह जानना जरूरी है कि शिशु को कब हल्दी देनी चाहिए। शायद आपको पता नहीं कि नवजात शिशु को हल्दी खिलाना सुरक्षित नहीं होता है। जब तक शिशु ठोस आहार लेना शुरू नहीं कर देता, उसको हल्दी देना किसी भी तरह सेफ नहीं होता है।
आम तौर पर शिशु को छह महीने में ही ठोस खाना देना शुरू कर दिया जाता है। लेकिन 9 महीने से खाने में हल्दी को शामिल करने की ज्यादातर सलाह दी जाती है। शिशु के आहार में नेचुरल चीजों को शामिल करना अच्छा होता है। इसलिए सही समय पर शिशु के आहार में हल्दी को शामिल करना बिल्कुल सही निर्णय होता है। इसके लिए आप पीडियाट्रिशन से भी पुछ सकते हैं कि शिशु को कब हल्दी देना चाहिए। लेकिन जब आप देना शुरू करें तब इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को कोई रिएक्शन न हो।

बच्चों को हल्दी कितनी मात्रा में और कैसे आहार में शामिल करनी चाहिए? (Amount of Intake of Turmeric Milk in Hindi)
जैसा कि हमने पहले जाना कि बच्चा जब 9 महीने का हो जाए तब खाने में हल्दी मिलाना सुरक्षित होता है। लेकिन शुरुआत में हल्दी एक चुटकी से ज्यादा बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। बच्चे को बहुत ज्यादा मात्रा में हल्दी खिलाने पर पेट संबंधी समस्या हो सकती है।
बच्चे को कभी भी हल्दी सीधे नहीं खिलानी चाहिए, बल्कि किसी चीज में मिलाकर देनी चाहिए। जैसे दूध में यानी हल्दी वाला दूध, पानी में या खाने में डालकर ही हल्दी का सेवन कराना चाहिए। हल्दी देते समय अच्छे ब्रांड की हल्दी का ही इस्तेमाल करना चाहिए या सबसे अच्छा विकल्प शुद्ध और प्राकृतिक हल्दी को अगर पीसकर आहार में शामिल किया जाए तो इससे अच्छा और क्या होगा।
अब आपके दिमाग में आ रहा होगा कि आखिर गुणवान हल्दी को बच्चे के आहार में कैसे शामिल करना सुरक्षित होगा। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि जिस चीज में हल्दी को देकर खिलाया जाए, वह हेल्दी और स्वादिष्ट भी हो ताकि बच्चा आसानी से खा लें।
- बच्चे को दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर यानी हल्दी वाला दूध बनाकर पिला सकते हैं।
- सब तरह की सब्जी डालकर जो सूप बनाते हैं, उसमें भी हल्दी डाल सकते हैं।
- हल्दी को खिचड़ी में डालकर खिला सकते हैं।
- बच्चा अगर दाल-चावल खाना पसंद करता है तो वहाँ भी आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
शिशु के लिए चुटकी भर हल्दी का सेवन करवाना अच्छा होता है, क्योंकि इससे न सिर्फ उसकी इम्यूनिटी बढ़ती है बल्कि पेट संबंधी समस्याओं के साथ अनेकों छोटी-छोटी समस्याओं से यूँ ही राहत मिल जाती है। यह तो सभी को पता है कि हल्दी की जड़ हल्दी के पौधे से मिलती है, जिसको सुखाकर पाउडर बनाया जाता है।
बच्चों के लिए शुद्ध हल्दी को पीसकर ही इस्तेमाल करना सुरक्षित होता है, क्योंकि इससे सारे पोषक तत्व खोते नहीं है। हल्दी में तीन सौ से ज्यादा प्राकृतिक घटक होते हैं, जैसे बीटा-कैरोटीन, आयरन, पोटेशियम, जिंक, फाइबर, नियासिन, जिंक आदि। चलिए अब हल्दी के कुछ फायदों के साथ हल्दी वाला दूध पीने के फायदों पर भी एक नजर डाल लेते हैं।

हल्दी वाला दूध पीने के फायदे या हल्दी का इस्तेमाल करने के फायदे (Benefits of Turmeric Milk in Hindi)
- घाव ठीक होने में मददगार– हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होता है, जो किसी भी घाव को इंफेक्शन से बचाता है। हल्दी का दूध पीने के फायदे के कारण और इस्तेमाल से भी घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
- त्वचा के लिए वरदान– हल्दी त्वचा संबंधी किसी भी समस्या के लिए फायदेमंद होती है, बशर्ते की वह शुद्ध हो। बच्चों को एलर्जी की समस्या बहुत होती है, हल्दी का इस्तेमाल इसके लिए बहुत लाभकारी होता है।
- शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार– यह तो सभी को पता है शिशु की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होती है। उसकी इम्यूनिटी बढ़ाने में हल्दी की भूमिका अहम् होती है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि हल्दी में करक्यूमिन नाम का घटक होता है, जो इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट की तरह काम करता है। यह शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होता है।
- दिल को हेल्दी रखने में सहायक- हल्दी का करक्यूमिन कंपाउड कार्डियोवसकुलर प्रोटेक्टिव की तरह काम करता है। यह हृदय को शिशु अवस्था से ही हेल्दी रखने में मदद करता है।
- खाँसी से राहत दिलाने में मददगार- सदियों से खाँसी के इलाज के लिए दूध में हल्दी डालकर औषधी के रूप में इलाज किया गया है। अगर बच्चा हल्दी वाला दूध पीना न चाहे तो आप पानी में डालकर भी पिला सकते हैं।
वैसे तो हल्दी से मिलने वाले फायदें या हल्दी वाला दूध पीने के फायदे अनगिनत हैं, जितना भी कहे कम होगा। लेकिन संवेदनशील बच्चों के लिए मात्रा में अधिकता सेहत को नुकसान पहुँचा सकता है-
- कुछ बच्चों में हल्दी का सेवन करने से दस्त, उल्टी और मतली जैसी समस्याएं हो सकती है।
- बच्चों को गलती से भी हल्दी का सप्लीमेंट नहीं देना चाहिए, इससे उनको एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- यहाँ तक बच्चों को हल्दी का सेवन ज्यादा करवाने से किडनी की समस्या भी हो सकती है।
अब तक की चर्चा से आप जान ही चुके हैं कि एक चुटकी हल्दी का सेवन बच्चों के लिए वरदान होता है, लेकिन मात्रा का अतिक्रम उनके लिए अभिशाप बन सकता है। इसलिए बच्चों को हेल्दी रखने के लिए, हेल्दी चीजों का सेवन, हेल्दी मात्रा में ही करवाना चाहिए।
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