पेरेंट्स को अपने बच्चे के पहले कदम और उसके पहली बार बोलने समेत उसकी कई एक्टिविटिज का बेसब्री से इंतजार रहता है। जन्म के बाद आठ महीने तक पेरेंट्स बच्चे की बेड पर अठखेलियों से ही आनंद लेते रहते हैं। उस वक्त पेरेंट्स की खुशी का ठिकाना नहीं होता, जब उनका बच्चा पहली बार चलने की कोशिश करता है, लेकिन और भी ज्यादा खुशी तब होती है, जब बच्चा पहली बार मां-पापा बोलने की कोशिश शुरू करता है।
कई लोग हैं जो अपने बच्चे की ऐसी पहली एक्टिविटी को न सिर्फ सेलिब्रेट करते हैं बल्कि उसे हमेशा के लिए तस्वीर में कैद करके भी रखते हैं। आखिर ऐसा हो भी क्यों न ये पल उनके दिल के बेहद करीब होते हैं। इस लेख में हम बच्चे की उन पांच पहली एक्टिविटिज के बारे में बताएंगे, जिसका हर माता-पिता को बेसब्री से इंतजार रहता है।
बच्चे की 5 एक्टिविटीज जो हर माता पिता के लिए होती हैं यादगार (5 Emotional Baby Milestone in Hindi)
1. बेड पर पलटी मारना सीखना
शुरुआती दिनों में शिशु को जब बिस्तर पर सुलाओ वो एक ही पोजीशन में सोए रहते हैं। देखा जाए तो उन्हें पीठ के बल ही लेटाया जाता है। वहीं, जब शिशु पहली बार पलटना सीखता है तो वो पल माता-पिता के लिए अनोखा हो जाता है। ये पहली बार होता है जब कोई शिशु शारीरिक तौर पर कुछ करने का प्रयास करता है।
यह पल माता-पिता के लिए खुशी का तो होता ही है, साथ ही साथ थोड़ा सोच में डालने वाला भी होता है। बड़े-बूढ़ों के मुंह से यह जरूर निकलता है कि ‘अब इसे अकेला सुलाकर जाना जोखिम भरा हो सकता है।’ अब ऐसा हो भी क्यों न जैसे ही बच्चा पलटना सीखता है वैसे ही बेड से उनके गिरने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए यह माता-पिता के लिए एक ही वक्त में खुशी और चिंता की मिक्स फीलिंग लेकर आता है।
2. रातभर सोना
माता-पिता बनना आसान नहीं होता है। इससे पूरी की पूरी जीवनशैली बदल जाती है। बच्चे के हिसाब से सोना-जागना, उठना-बैठना, खाना, घूमना शुरू हो जाता है। माता -पिता बनने के शुरुआती दिनों में कपल सबसे ज्यादा जिस चीज का त्याग करते हैं वो है रात की नींद। जब बच्चे छोटे होते हैं तो रात-रातभर माता-पिता को जगाते हैं।
शिशु के 4 से 6 महीने का होने के बाद उनकी रात की नींद धीरे-धीरे ही सही लेकिन गहरी होने लगती है। ऐसे में माता-पिता ये उम्मीद कर सकते हैं कि अब उनका नन्हा रात को उन्हें आराम से सोने दे सकता है। वहीं, जब ये सिलसिला शुरू होता है तो माता-पिता के लिए एक खुशी की लहर-सी आ जाती है।
3. वो पहली मुस्कान
आजकल पूरी दुनिया सोशल मीडिया पर मौजूद है। वहीं, जब परिवार में एक नन्हा मेहमान आता है तो उसकी खबर भी सोशल मीडिया पर जोरो-शोरो से अपडेट की जाती है। बच्चे की कई तरह की फोटो अपडेट होती है। हालाँकि, यही तस्वीरें तब और खास हो जाती है जब बच्चा पहली बार मुस्कुराता है।
बच्चे की वो पहली मुस्कान माता-पिता की आँखों में खुशी के आंसू ले आती है। एक बार बच्चे के मुस्कुराने के बाद माता-पिता अपना कैमरा हर वक्त तैयार रखते हैं कि जैसे उनका नन्हा मेहमान अपने हाव-भाव बदले तो वैसे ही वे उस पल को अपने कैमरे में कैद कर लें। खासकर तब जब उनका प्यारा बच्चा खिलखिलाकर हंसने लगता है।
4. पहला कदम
पहली मुस्कान की तरह ही बच्चे के पहले कदम उनके माता-पिता के लिए हमेशा के लिए एक यादगार पल बन जाता है। अपने नन्हें कदमों से लड़खड़ाते हुए जब बच्चा अपने माता-पिता के बुलाने से उनके पास जाने की कोशिश करता है, तो मानों उनके लिए वक्त थम सा जाता है। तब माता-पिता अपने नन्हें के लिए ढेर सारी रंग-बिरंगे और स्टाइलिश फुटवियर खरीदने के लिए उत्सुक हो जाते हैं।
5. उनके प्यारे मीठे बोल
बच्चे जब तरह-तरह की आवाजें निकालते हैं और इशारों-इशारों में कुछ कहने की कोशिश करते हैं तब पेरेंट्स के लिए एक अलग अनुभव होता है। हालाँकि, यही अनुभव यादगार तब हो जाता है जब बच्चे के मुंह से कोई पहला शब्द निकलता है।
माता-पिता हमेशा उत्सुक रहते हैं कि उनका नन्हा पहले क्या बोलेगा, कई बार तो वे आपस में लड़ भी लेते हैं। हालाँकि, ये नोंक-झोंक बस कुछ ही पल की होती है क्योंकि उनके प्यारे बच्चे के मुंह से निकला पहला शब्द जो भी हो मायने तो यह रखता है कि उनके नन्हें ने कुछ बोला। बाद में तो वे तरह-तरह से कोशिश करते हैं कि उनका नन्हा कुछ बोले और वो उस शब्द को रिकॉर्ड करके उस पल को यादगार बना दें।
ये पल भी होते हैं खास
इन सबके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं जो बच्चे के पहली बार करने से माता-पिता के मन में एक खुशी आ जाती है। इनमें शामिल है – बैठना, खुद से पहली बार फिंगर फूड खाना, बाय-बाय करना या किसी की बातों पर प्रतिक्रिया देना इत्यादि। देखा जाए तो बच्चे का कुछ भी पहली बार करना या बार-बार करना भी माता-पिता के लिए एक यादगार पल ही होता है।
माता-पिता के लिए बच्चे कभी बड़े नहीं होते हैं, उनकी हर चीज यहाँ तक कि बड़े होने के बाद उनका पहली बार स्कूल, कॉलेज जाना भी माता-पिता के लिए खास होता है। क्योंकि बच्चे होने के बाद पेरेंट्स की जिंदगी उनके बच्चों से ही हमेशा के लिए जुड़ जाती है। इसलिए ही तो यह रिश्ता इतना खास होता है।
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