ADVERTISEMENT
home / Festival
दिवाली से जुड़ी इन अहम बातों को जानते हैं? – Importance Of Diwali in Hindi

दिवाली से जुड़ी इन अहम बातों को जानते हैं? – Importance Of Diwali in Hindi

भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दिवाली की सामाजिक और धार्मिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से बहुत अहमियत है। दिवाली उजाले का त्योहार है। आइए जानते हैं, 5 दिन तक मनाए जाने वाले त्योहार दिवाली से जुड़ी हर वह बात, जो आमतौर पर बहुत ही कम लोगों को पता होती है या जिसकी अहमियत को समय के साथ भुलाया जा चुका है। साथ ही आप सबको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं। 

दिवाली क्यों मनाते हैं ? – Why Do We Celebrate Diwali in Hindi

दिवाली भारत के सबसे बड़े और भव्यतापूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। दिवाली 5 दिन तक मनाए जाने वाला त्योहार है। इस शानदार त्योहार की खासियत ये है कि मूल रूप से हिंदू त्योहार होने के बावजूद इस देश भर में लगभग सभी धर्म के लोगों द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है और सभी का साझापन इसे एक सामुदायिक रूप दे देता है। दिवाली की सामाजिक और धार्मिक, दोनों ही दृष्टिकोणों से बहुत खास अहमियत है। इसे दीयों का त्योहार भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ मतलब अंधेरे से प्रकाश की ओर जाइए- यह उपनिषदों का  कहना है। इसे सिख, बौद्ध और जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं और सिख समुदाय इसे बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।

दोस्तों और रिश्तेदारों को ज़रूर भेजें ये दीपावली शुभकामना संदेश

माना जाता है कि दीवाली के दिन अयोध्या के राजा श्रीराम अपने चौदह साल  के वनवास के बाद लौटे थे। अयोध्या वासियों का दिल अपने प्रिय राजा के आने से प्रफुल्लित हो उठा था। तब श्रीराम के स्वागत में उन्होंने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की काली अमावस्या की वह रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय हर साल यह रौशनी का त्योहार ख़ुशी और उल्लास से मनाते हैं। दिवाली हिंदू पांचांग के मुताबिक अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ती है। कई हफ्ते पहले ही दिवाली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों और कार्यस्थल आदि की सफाई का काम शुरू कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफ़ेदी वगैरह के काम होने लगते हैं। लोग दुकानों को भी साफ़-सुथरा करने के बाद सजाते हैं। दिवाली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।

ADVERTISEMENT

Diwali Puja

दिवाली कितने दिन मनाते हैं और इसका प्रतीक रूप क्या है?

भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक दिवाली की शुरुवात धन त्रयोदशी के दिन से हो जाती है। इस समय से पांच दिनों का इस त्योहार का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस कड़ी में धनतेरस, नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज शामिल होते हैं। ये सिलसिला इस प्रकार विस्तार पाता है-

पहला दिन- धनतेरस

इस त्योहार के पहले दिन घरों और व्यावसायिक संस्थानों को सजा-संवार दिया जाता है।धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए प्रवेश द्वार पर रंगोली बनाई जाती है, जिसमें हल्दी-चूने से स्वस्तिक बनाना बहुत शुभ माना जाता है। द्वार से लेकर घर के अंदर तक प्रतीक रूप में चावल के आटे और कुमकुम से छोटे पैरों के निशान बनाए जाते हैं। इस दिन को धन्वन्तरि जयंती (आयुर्वेद के भगवान या देवताओं के चिकित्सक) के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन पर मृत्यु के देवता यम का पूजन करने के लिए सारी रात दीपक जलाएं जाते हैं, इसलिए यह ‘यमदीपदान’ के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि यह असमय मृत्यु के डर को दूर करता है। इस दिन को शुभ मानते हुए बहुत से लोग सोने-चांदी के गहने, नए बर्तन या कोई घरेलू सामान भी खासतौर से खरीदते हैं।

Dhanteras

ADVERTISEMENT

दूसरा दिन- नरक चतुर्दशी

दूसरे दिन नर्क चतुर्दशी होती है| इस दिन सुबह जल्दी जागने और सूर्योदय से पहले स्नान करने की एक परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि ये अवसर भगवान कृष्ण द्वारा अत्याचारी दानव राजा नरकासुर के वध से जुड़ा है, जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है, जो सदाचार की भावना को बढ़ावा देता है। नरक चतुर्दशी को ही छोटी दीवाली मनाई जाती है।

Narak Chaturdashi

तीसरा दिन – लक्ष्मी पूजन अथवा दीपावली

तीसरा दिन, यानी इस उत्सव का मुख्य दिन दीपावली को माना जाता है। कार्तिक मास की घनघोर अमास्या की रात्रि को जलते सैकड़ों दीयों का प्रकाश इस दिन की कालिमा को समाप्त सा कर देता है। इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं। इस पूजा में मां सरस्वती और भगवान गणेश भी समान आदर के साथ पूजे जाते हैं। व्यापार में नई शुरुआत के लिए इस दिन को बहुत ही शुभ माना जाता है। यमराज को प्रसन्न करने के लिए आज के दिन कुछ लोग व्रत रखते हैं और दीपदान करते हैं. दीपदान धनतेरस से अमावस्या तक करना माना गया है। आज के दिन श्रीहरि की पूजा की जाती है।

Laxmi Puja

ADVERTISEMENT

चौथा दिन – गोवर्धन पूजा

समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है। यह भी माना जाता है कि इसी दिन वह दिन भी है जब भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र की क्रोधित होकर की गई मूसलाधार बारिश से गोकुल के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। यह दिन मानवों के प्रकृति के प्रति आभार ज्ञापित करने का दिन भी है।

Govardhan Puja

पांचवा दिन – भाई दूज

यह दिन विशेष रूप से भाई और बहन के बीच प्रेम का प्रतीक है। बहनें अपने भाई को तिलक कर उनके सुख-सौभाग्य की कामना करती हैं।

Bhai Dooj

ADVERTISEMENT

दिवाली पूजन का पौराणिक प्रचलन

दिवाली का ज़िक्र हमें बहुत से पुराणों मिलता है। स्कन्द पुराण में दिवाली सूर्य का प्रतीकात्मक पर्व है। इसमें बताया गया है कि कार्तिक मास की अमावस्या पर दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। पुराणों में ऐसा ज़िक्र मिलता है कि दीपावली की आधी रात में लक्ष्मी जी घरों में विचरण करती हैं, इसीलिए लक्ष्मी पूजन की विधि (laxmi ji ki puja kaise kare) और उनके आने के स्वागत में घरों को साफ और सुंदर तरीके से सजाया जाता है। दिवाली की शाम को लक्ष्मी जी के पूजन की तैयारी शाम से शुरू हो जाती है। शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी, गणेश और मां सरस्वती की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। गणेश जी बाईं तरफ विराजमान होते हैं। लक्ष्मी की पूजा पूर्व दिशा में मुंह करके विधि-विधान से की जाती हैं। घी के दीये जलाकर श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त और पुरुष सूक्त का पाठ किया जाता है। इसके बाद घर के हर कोने में दीपक रखे जाते हैं। मिठाई का भोग लगाकर पूरा परिवार अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेता है।

दिवाली में लक्ष्मी पूजन से जुड़ी कुछ विशेष बातें

 

हिंदू मान्यता के अनुसार दीपावली सुख, समृद्धि का त्योहार माना जाता है और ये सभी जुड़े हैं धन-धान्य से, यानी की सीधे-सीधे ये श्रीलक्ष्मी से। विष्णुपत्नी श्रीलक्ष्मी को धन- वैभव की देवी माना जाता है और दिवाली को विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन से जोड़ा गया है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन, यानी दिवाली की रात को श्रीलक्ष्मी सभी के घरों का दौरा करती हैं और श्रद्धालुओं के जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं। वे रिद्धि, बल, संपन्नता, सफलता, यश की दाता हैं, मोक्षप्रदायिनी हैं, इसलिए सभी उनके पूजन को श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार करते हैं। श्रीलक्ष्मी पूजन किया भी इसी कामना से जाता है। इसके लिए कार्तिक मास की अमावस्या, यानी दिवाली वाले दिन संध्या के समय के उपरांत, सही मुहूर्त में श्रीलक्ष्मी पूजन किया जाता है। इस पूजन में श्रीलक्ष्मी के अतिरिक्त श्रीगणेश और श्रीसरस्वती की पूजा-अर्चना भी समान श्रद्धा भाव से होती है। इनकी संयुक्त पूजा से माना जाता है कि पूजक को रिद्धि, सिद्धि, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह पूजन सभी हिंदू गृहस्थ और व्यापारी समुदाय के सभी लोग अपने निवास स्थान व कार्यस्थल पर कराते हैं और कामना करते हैं कि उनके इन सभी स्थानों के द्वारा जीवन सुख, समृद्धि, शांति और सौभाग्य से भरा-पूरा रहेगा। कुछ लोग इस दिन मां काली का पूजन भी विशेष रूप से और श्रद्धा भाव से करते हैं।

Astrological and Architectural Importance Of Diwali

 

ADVERTISEMENT

 

दिवाली का ज्योतिषीय और वास्तु महत्व

 

दिवाली का ज्योतिषीय और वास्तु के दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व है। इसके लिए हम कुछ प्रचलित रूपों का सहारा ले सकते हैं। सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश को अपने घर या ऑफिस के नॉर्थ-ईस्ट ज़ोन में रख कर पूजा करें। अखंड ज्योति पूजा स्थान के दक्षिण-पूर्व स्थान में रखें। शुभ मुहूर्त में ही पूजा करने का पूरा प्रयास करें, क्योंकि इस समय की ग्रह-दशा उसके पूरी तरह से अनुकूल होती है।

दिवाली के संबंध में पूछे जाने वाले 5 प्रश्न व उनके उत्तर

 

1. क्या दिवाली पर पटाखे चलाना ज़रूरी है?

दीपावली पर दीये जलाने का और दीप दान की ख़ास अहमियत है, लेकिन पटाखे जलाना ज़रूरी नहीं है। यहां तक कि मिठाई बांटने के विवरण भी प्रसाद रूप में ही मिलते हैं, जैसे दिवाली पूजा (diwali puja) के बाद मिठाई बांटी जाती है।  

ADVERTISEMENT

2. कब है दिवाली? समय, तारीख और शुभ मुहूर्त ?

2019 की दिवाली इतवार, 27अक्टूबर  को है। लक्ष्मी पूजन का समय श्याम 06:42 से  रात 08:14 तक है।  

3. दिवाली हर बार अलग-अलग तारीखों को क्यों होती है?

दिवाली हर साल अलग तारrख को इसलिए होती है, क्योंकि दिवाली हिंदू पांचांग के अनुसार मनाई जाती है। हिंदू पांचांग में सभी व्रत, त्योहार अथवा विशेष अवसर किसी एक ही तारीख को नहीं होते, बल्कि इनका समय ग्रहों के लग्नानुसार होती है। इसी प्रकार दिवाली भी कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह अमावस्या चंद्रमा की दशाओं के अनुरूप कई बार अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार अक्टूबर में होती है तो कभी नवंबर में। इसी वजह से हमें लगता है कि दिवाली अलग-अलग तारीख को मनाई जाती है, जबकि असम में इसका एक ही दिन, यानी कार्तिक की अमावस्या सुनिश्चित है। 

ADVERTISEMENT

4. शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना ज़रूरी क्यों होता है?

शुभ मुहूर्त में पूजा करना ज्योतिषिय गणना के अनुसार अधिक फलदायी होता है, क्योंकि दिवाली की विधि-विधान से की गई पूजा-अर्चना (diwali puja vidhi) के प्रति यह विश्वास व्याप्त है कि वह अधिक सफल और फलदायी होती है। सही नियम, समय और मुहूर्त आदि के प्रति सचेत रहने से पूजा में ध्यान लगाना अधिक सहज होता है। साथ ही उस समय ग्रह-नक्षत्रों की दशा भी उस पूजा के अनुकूल रहती है।

5. क्या दीये से दीये जलाना सही नहीं होता?

जी हां, हिंदू मान्यता के अनुसार पूजा में दीये से दीये को जलाना उचित नहीं समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने पर व्यक्ति आलस्य और रोगग्रस्त हो सकता है। पूजा में अच्छा है कि सभी दीयों को अलग-अलग रूप से ही जलाएं।

ADVERTISEMENT

 

… अब आएगा अपना वाला खास फील क्योंकि POPxo आ गया है 6 भाषाओं में … तो फिर देर किस बात की! चुनें अपनी भाषा – अंग्रेजी, हिन्दी, तमिल, तेलुगू, बांग्ला और मराठी.. क्योंकि अपनी भाषा की बात अलग ही होती है।

दिवाली के लिए टॉप गिफ्ट आइडियाज़

दिवाली के लिए बेस्ट साड़ी डिज़ाइंस

भाई दूज के शानदार कोट्स – Bhai Dooj Quotes

ADVERTISEMENT

गोवर्धन पूजन विधि – Govardhan Pooja Vidhi

दिवाली रंगोली डिज़ाइंस 

दिवाली के गाने

 

20 Sep 2019
good points

Read More

read more articles like this
ADVERTISEMENT