प्रोटेक्टिव और पोसेसिव होने के बीच में एक फाइन लाइन होती है और अगर आप innocent possessiveness के वर्ज पर हैं तो यह इससे अधिक खतरनाक हो सकता है। दरअसल, यह हमेशा अफेक्शन से शुरू होता है, जैसे कि हमें साथ में अधिक वक्त बिताना चाहिए लेकिन बाद में शिकायते शुरू हो जाती हैं। जैसे कि, ”तुम अपने परिवार के साथ अधिक वक्त बिताते हो। तो हमारा साथ होने का क्या मतलब है?” या फिर ”आप काम के लिए काफी वक्त शहर से बाहर ही रहते हैं और यह मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता है?”
वक्त के साथ ये स्टेटमेंट एक शेड डार्कर हो जाती हैं और इसके साथ वो धमकाना, इमोशनल ब्लैकमेल करना और अंत में रोना शुरू कर देते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इस तरह का व्यवहार सामान्य है? तो चलिए इस बारे में आपको डिटेल में बताते हैं।
पोसेसिवनेस किसी भी तरह का हो सकता है और यह इनसिक्योरिटी और खुद को नजरअंदाज करने का नतीजा होता है। ऐसा तब होता है जब आप दूसरे लोगों पर काफी अधिक निर्भर होने लगते हैं और उनसे उम्मीद करने लगते हैं कि वो आपको खास और प्यार महसूस कराएं। सेल्फ लव और सेल्फ कॉन्फिडेंस के कारण ही पोसेसिवनेस की शुरुआत होती है। ऐसे में आपको हमेशा किसी के साथ की जरूरत होती है ताकि आप खुद को खुश, सुरक्षित और सिक्योर रख सकें।
आप यह कैसे जान सकते हैं कि आप अपने पार्टनर के स्ट्रेस का कारण बन रहे हैं। हमने यहां इसे जानने के लिए एक चेकलिस्ट बनाई है।
अगर ऊपर बताई गई चीजों में से किसी के भी बारे में आपका जवाब हां है तो आपको प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है क्योंकि जो लोग काफी इनसिक्योर या फिर पोसेसिव होते हैं, उन्हें बॉर्डरलाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर भी हो सकता है। जिन्हें BPD होता है वो अपने इमोशन पर काबू नहीं कर पाते हैं फिर चाहे वो जेलसी हो, पोसेसिवनेस हो या फिर हाइपरएक्टिवनेस हो। ऐसे में पोसेसिव बिहेवियर के बारे में इन साइन को बिल्कुल भी अवॉइड न करें।