अक्सर ऐसा होता है, जब हम 30 की उम्र पार कर जाते हैं, तो पीछे कई सपनों को छोड़ आते हैं। साथ होती हैं तो बस जिम्मेदारियां और यह पछतावा कि काश यह पहले कर लिया होता, काश मुझे ये मौका पहले मिला होता। अपने से छोटी उम्र के लोगों को ज़िंदगी खुलकर जीते हुए देख मन में एक कसक सी रह जाती है कि काश मेरी लाइफ भी उस उम्र में ऐसी ही होती, काश मैंने तभी ज़िंदगी को जीना सीख लिया होता। बस इस काश में ही जैसे ज़िंदगी आकर ठहर जाती है। जो लोग 30 की उम्र पार कर चुके हैं, वो शायद यहां लिखे हर शब्द से रिलेट कर पा रहे हों। लेकिन अगर आप अभी अपने 20’s में है और 30 की उम्र तक पहुंचने में थोड़ा भी समय बचा है तो अपने कुछ सपने अभी ही पूरे कर लीजिये। ताकि बाद में आपको पछताना न पड़े। हम यहां ऐसे ही कुछ सपने लेकर आए हैं, जिन्हें 20’s की उम्र में लोग अक्सर देखते हैं और 30 की उम्र पार कर चुके लोग इनके बारे में सोचकर सिर्फ पछताते हैं।
कहते हैं अगर अपने ज़िंदगी में हॉस्टल लाइफ को नहीं जिया तो भला क्या ज़िंदगी जिया। आपने दिवंगत सुशांत सींग राजपूत की फिल्म ‘छिछोरे’ तो देखी ही होगी। या फिर एक वेब सीरीज ‘गर्ल्स हॉस्टल’, दोनों में ही हॉस्टल की लाइफ को दिखाया गया है। वहां की मस्ती, दोस्तों का साथ, कुछ कर दिखाने का जज़्बा सबकुछ कितना एक्साइटिंग होता है। है न! इसलिए अब तक आपके माता-पिता ने बचपन से लेकर अब तक आपको हॉस्टल लाइफ के बारे में डरा कर रखा है तो हम आपको बता दें कि इससे ज्यादा हैपनिंग जगह कोई और हो ही नहीं सकती। इसके अलावा हॉस्टल लाइफ हमें ज़िंदगी जीने के काफी तौर-तरीके भी सिखाती है। साथ ही ज़िंदगी की मुश्किलों से बिना किसी सहारे खुशी-खुशी लड़ने का नाम भी हॉस्टल लाइफ ही है।
सोलो ट्रैवलिंग
हम में कई लोगों की ज़िंदगी फैमिली वेकेशन में निकल जाती है। घर से यह हिदायत होती है कि जहां जाना है, घरवालों के साथ जाओ। ऐसे में सोलो ट्रैवलिंग का मजा तो आप खो ही देंगे। आजकल तो लड़कियों के बीच भी सोलो ट्रैवलिंग काफी आम बात हो चुकी है। इसलिए अपने परिवार को प्यार से इसके फायदे समझाइये और निकल पड़िये सोलो ट्रैवलिंग पर। कहीं ऐसा न हो बढ़ती ज़िम्मेदारियों के बीच 30 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते जब आप पीछे मुड़ कर देखें तो पछताने के सिवा हाथ में कुछ न आये।
दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाना
सोलो ट्रेवलिंग के अलावा आप दोस्तों के साथ भी बाहर घूमने जाने का प्लान कर सकते हैं। माना की अभी देशभर में कोरोना का डर है लेकिन यह डर भी कभी न कभी तो खत्म हो ही जायेगा। तब तक आप दोस्तों के साथ तगड़ी प्लानिंग बनाकर रखिये। सब कुछ सेट कर लीजिये ताकि समय आने पर सोचने और प्लानिंग बनाने में वक्त जाया न हो। 30 की उम्र तक अगर आपकी शादी या बच्चे हो गए तो यकीन मानिये दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाना बस एक सपना बनकर रह जायेगा। और घूमने के नाम पर एक बार फिर फैमिली वेकेशन पर जाना पड़ेगा।
मन की नौकरी
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हो सकता है कई लोग इस बात से सहमत न हों लेकिन सही उम्र में मन की नौकरी मिल जाना भी एक बड़ी अचीवमेंट है। कई लोग अपने 20’s में सिर्फ पढ़ाई और स्ट्रगल ही करते रह जाते हैं। नौकरी मिल भी गई तो मन की नहीं होती और जब मन की नौकरी मिलती है तब तक इतना एक्साइटमेंट नहीं रह जाता। अपने 20’s में मन की नौकरी करने का एक फायदा यह भी है कि अगर आपको यह कुछ खास रास नहीं आई तो आप उसे छोड़कर दूसरी नौकरी ज्वाइन करने का रिस्क उठा सकते हैं क्योंकि तब तक आप जिमेदारियों के बोझ तले इतना दबे हुए नहीं होते। वहीं 30 की उम्र पार करने के साथ जिम्मेदारियां भी पीछे-पीछे चली आती हैं और तब आप चाहते हुए भी अपनी नौकरी को नहीं छोड़ पाते।
ज़िंदगी को खुलकर जीना
ज़िंदगी को खुलकर जीने की कोई उम्र नहीं होती। कई मामलों में तो 70-80 साल के बुजुर्ग भी अपनी ज़िंदगी को खुलकर जी रहे होते हैं। मगर 20’s की बात कुछ और ही होती है। तब शरीर चार गुनी एनर्जी से भरा होता है। कुछ भी करने से पहले हमें ज्यादा सोचना नहीं पड़ता। मगर 30 की उम्र पार करने के साथ ही कई फैसले खुद को ताक पर रखकर करने पड़ते हैं और पहले अपने परिवार के बारे में सोचना पड़ता है। इसलिए आज से ही बिना देर किये जो मन में आये वो करो और ज़िंदगी को खुल कर जियो।