ओवरथिंकिंग (Overthinking) के कारण हमारा मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) काफी प्रभावित होता है। यहां तक ओवर थिंकिंग के कारण आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य काफी अधिक प्रभावित होता है और इससे आपको ही नुकसान होता है। ओवरथिंकिंग के कारण आपको इमोशनल डिस्ट्रेस हो सकता है और आपकी प्रोडक्टिविटी पर भी इसका असर हो सकता है।
कई लोग अपनी ओवरथिंकिंग साइकिल को तोड़ने के लिए अस्थाई उपाय खोज लेते हैं, लेकिन इससे उन्हें कुछ समय के लिए ही राहत मिलती है। हालांकि, लंबे समय में जाकर ओवर थिंकिंग आपके लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है।
दरअसल, ओवरथिंकिंग की वजह से आपके सोना का पैटर्न खराब होता है, खाने की आदते खराब होती है। घबराहट होने लगती है और इससे आप आलसी भी हो जाते हैं। आप बहुत अधिक सोचने लगते हैं और इससे पहले आप कुछ समझ पाएं, आप नकारात्मक विचारों की एक चेन में खुद को फंसा लेते हैं। इससे आप नई शुरुआत करने से डरते हैं, नए प्रोजेक्ट, नए लोगों से मिलना या फिर किसी नई जगह जाने से भी डरने लगते हैं।
ओवर थिंकिंग के कुछ शुरुआती साइन में नॉन-प्रोडक्टिव, अधिक सोचना, दिन के समय सपने देखना, आलसी होना शामिल है।
हो सकता है कि जो होने वाला है, उसे लेकर भी आपके दिमाग में नकारात्मक विचार हों, या फिर आप बार-बार किसी इमोशनल ट्रोमा के बारे में सोच रहे हों। ओवर थिंकिंग के कारण आप खुश और सकारात्मक नहीं रह पाते हैं। अगर आपको भी इसी तरह की कोई फीलिंग होती है तो आपको इस साइकिल को तोड़ने के लिए ये 6 चीजें करनी चाहिए।
इन तरीकों से तोड़ें अपनी ओवर थिंकिंग साइकिल – How to Break the cycle of Overthinking and Its Sings in Hindi
एक टास्क को खत्म करने पर फोकस करें
किसी चीज के बारे में अलग-अलग तरीकों से सोचने या फिर प्रोक्रेस्टिनेशन करने से पहले आपको उस चीज को सोल्व करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके बारे में गड्ढा ना खोदे क्योंकि उससे आप ही काम करने में देर करेंगे। केवल लॉजिस्टिक के बारे में सोचे और ये कि बाद में ये किस तरह से गलत हो सकता है। आपको उस चीज पर काम करना है और केवल उसी तरह से आप उस चीज को खत्म कर सकते हैं और आगे भी इस तरह से काम को खत्म करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
ध्यान दें कि कब आपका दिमाग बेकार की चीजों की ओर जा रहा है और उसकी जगह कुछ अच्छा और प्रोडक्टिव करने की कोशिश करें। आप चाहें तो कोई हॉबी पर काम कर सकते हैं या फिर गाने, कुकिंग, डांस, टीवी शो देखना, लिखना और पेंटिंग आदि कर सकते हैं। इस तरह से आपके दिमाग एक्टिव रहता है।
इंट्रोस्पेक्शन के लिए समय निकालें
खुद के सेल्फ रिफ्लेक्शन, इंट्रोस्पेक्शन और एनालाइजेशन के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। दिनभर किसी भी चीज के बारे में अलग-अलग तरीकों से सोचने से बेहतर है कि आप दिन में 30 मिनट सेल्फ रिफ्लेक्शन के लिए दें, जहां आप अपने आने वाले हफ्ते की प्लानिंग कर सकते हैं। आपके दिमाग में क्या गोल हैं और आने वाले कुछ दिनों में आप क्या अचीव करना चाहते हैं।
जब आप नकारात्मक सोचने लगते हैं तो आपकी नेगेटिविटी बाकियों को भी प्रभावित करती है। ऐसे में आपको अपने नेगेटिव विचारों को अपने सिस्टम से बाहर निकालना चाहिए। इसके लिए कई बार आपको खुद को अधिक स्ट्रॉन्ग बनाने की जरूरत होगी क्योंकि इन नकारात्मक विचारों को बाहर निकालना मुश्किल हो सकता है।
आज पर ध्यान दें
आने वाले कल में क्या होगा इसके बारे में सोचने कि बजाए अपने आज पर ध्यान दें। रिजल्ट के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचना समय की बर्बादी है। अच्छे आउटकम के लिए आपको अपने आज पर ध्यान देने की जरूरत है।
कई बार चीजों को अनप्लग करना बहुत जरूरी होता है। साथ ही खुद को डिस्ट्रेस करना भी जरूरी है। ऐसे में जो बातें आपको परेशान कर रही हैं, उनसे कुछ समय के लिए दूर होना जरूरी है। इसके लिए आपको समय-समय पर मेडिटेशन करनी चाहिए। शाम के समय लैपटॉप बंद करके घूमने जाना चाहिए और नेचर के आस-पास रहना चाहिए।
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