हम सबने कभी न कभी ऐसी सिचुएशन का सामना जरूर किया होगा, जब एक बार हिचकी आणि शुरू होती है तो बंद होने का नाम ही नहीं लेती। ज्यादातर मामलों में कुछ अधिक तीखा खा लेने से हिचकी पैदा हो सकती है। वहीं अगर बिना किसी कारन के हिचकी आनी शुरू हो जाये तो घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, जरूर कोई याद कर रहा होगा। फिर शुरू करते है हम एक के बाद एक सब प्रियजनों का नाम लेना। मगर हिचकी की कथा इतने में ही समाप्त नहीं होती। इसके बारे में विस्तार से जानना भी बेहद जरूरी है। हम आपके लिए यहां hichki rokne ke gharelu upay सहित हिचकी का इलाज भी लेकर आये हैं।
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हिचकी क्या है?
हिचकी मूल रूप से गले की नहर में मौजूद मांसपेशियों की एक अनैच्छिक क्रिया है। यह तब होता है जब डायाफ्राम की मांसपेशियां अचानक सिकुड़ जाती हैं और व्यक्ति के नियंत्रण में नहीं होती हैं। आसान भाषा में हिचकी आपके डायाफ्राम के बार-बार होने वाली ऐंठन है, जो आपके वोकल कॉर्ड्स के बंद होने से ‘हिच’ ध्वनि के साथ जोड़ी जाती है। आपका डायफ्राम आपकी पसली के नीचे की एक मांसपेशी है, जो आपकी छाती और पेट के क्षेत्र को अलग करती है। यह पेशी सांस लेने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब आप सांस लेते हैं तो यह नीचे की ओर और सांस छोड़ते समय ऊपर की ओर बढ़ता है। हिचकी आने पर दो चीजें होती हैं: आपका डायाफ्राम सांसों के बीच नीचे की ओर खिंचता है, जिससे आप हवा में चूसते हैं और अधिक हवा को अंदर आने से रोकने के लिए ग्लोटिस (मुखर डोरियों के बीच का स्थान) बंद हो जाता है। इन क्रियाओं से हिचकी की ‘हिच’ की आवाज आती है। हिचकी की प्रक्रिया बहुत जल्दी होती है और आप आमतौर पर बिना इलाज के मिनटों से लेकर कुछ घंटों के भीतर सामान्य हो जाते हैं।
हिचकी आने के कारण
हिचकी विभिन्न कारणों से होती है। जिनमें रक्त में कार्बन डाइऑक्साइड का निम्न स्तर और चिड़चिड़ी नसें शामिल हैं। इसके अलावा तनाव में रहना, खाना पीना, अपने पेट को बहुत अधिक भोजन से भरना और फेफड़ों के कुछ विकार जैसे निमोनिया जो डायाफ्राम को परेशान करते हैं, हिचकी को जन्म दे सकते हैं। कम लेकिन अक्सर, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर या अन्य दवाओं के प्रति अतिसंवेदनशीलता जैसे गंभीर ट्रिगर भी लगातार हिचकी में योगदान कर सकते हैं। इसके अलावा-
– बहुत जल्दी खाना या पीना
– कार्बोनेटेड पेय या शराब का सेवन
– बहुत ज्यादा खाना
– तनाव का अनुभव करना – भय और उत्तेजना सहित।
– ड्रग्स लेना
– बहुत गर्म या बहुत ठंडा पेय पी लेना
– कीमोथेरेपी से गुजरना
– कुछ अधिक तीखा खा लेना
– जहरीले धुएं को अंदर ले लेना आदि।
हिचकी रोकने के घरेलू उपाय – Hichki Rokne ka Upay
क्योंकि हिचकी का सटीक कारण अनिश्चित है, कुछ उपाय काम कर भी सकते हैं और नहीं भी। हो सकता है इनमें से कुछ आपने अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से सुन रखे हों। हम यहां आपको hichki rokane ka upay बता रहे हैं। ये घरेलू उपाय आपको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, इसलिए आमतौर पर इन्हें आजमाने में कोई बुराई नहीं है।
पानी पिएं
हिचकी का इलाज में पानी का ज़िक्र सबसे पहले आता है। कुछ तीखा खा लेने पर या बिना बात के बार-बार हिचकी आने पर आस-पास के लोग तुरंत आपको पानी ऑफर करते होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि पानी हिचकी का रामबाण इलाज है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में धीरे-धीरे घूंट लें। यह वेगस तंत्रिका की गतिविधि को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, जो मस्तिष्क से पेट तक जाती है और इस प्रकार हिचकी को कम करती है।
जीभ पर चीनी रख लें
चीनी की मदद से भी आप हिचकी को आसानी से रोक सकते हैं। इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं करना है बस लगभग आधा चम्मच चीनी लें और इसे जीभ के पिछले हिस्से के दूर छोर पर रखें। इसे दो मिनट तक ऐसे ही रखें और फिर चीनी को निगल लें। जीभ के साथ दबाव डालने से डायफ्राम की मांसपेशियों की जकड़न दूर होती है।
नींबू लें
अगर हिचकी बार-बार आ रही हो और रुकने का नाम न ले रही हो तो नींबू भी आजमाया जा सकता है। नींबू के खट्टे स्वाद के साथ सुखद सुगंध स्वाभाविक रूप से नासोफरीनक्स की मांसपेशियों को मजबूत करती है। यह, बदले में, डायाफ्राम की मांसपेशियों में गांठों को आराम देता है और हिचकी को कम करता है।
थोड़ी देर सांस रोकने की कोशिश करें
हम यहां सिर्फ कुछ देर के लिए सांस रोककर रखने की बात कर रहे हैं। कुछ सेकंड के लिए सांस रोककर रखने से शरीर में कुछ कार्बन डाइऑक्साइड प्रभावी रूप से बनी रहती है। यह डायाफ्राम में ऐंठन को खत्म करने के लिए कार्य करता है, जिससे हिचकी को रोका जा सकता है।
कागज के बैग में सांस लें
हिचकी रोकने में कागज का बैग भी काफी कारगर है। मगर ध्यान रहे इसके लिए सिर्फ पेपर बैग ही लें गलती से भी प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने की कोशिश न करें। पेपर बैग में दस बार सांस अंदर लेने और छोड़ने से भी हिचकी रुक जाती है। इससे खून में कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल थोड़ा बढ़ जाता है जो नर्व्स को रिलैक्स करता है. इससे भी हिचकी रुक जाती है।
हींग और मक्खन से
क्या आप जानते हैं थोड़ी सी हींग और मक्खन के सेवन से भी आप बार-बार उठ रही हिचकी को रोक सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है बस 1/4 चम्मच हींग पाउडर को 1/4 चम्मच मक्खन के साथ मिलाकर खाने से हिचकी का इलाज हो जायेगा। ये हिचकी रोकने का एक बेहतर उपाय है।
शहद का उपयोग
हिचकी रोकने के लिए आप शहद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। खासतौर पर अगर हिचकी कुछ तीखा खा लेने की वजह से हो तो और भी ज्यादा। दरअसल, हिचकी आने पर एक चम्मच शहद खाना बेहद फायदेमंद रहता है। अचानक से शरीर को मिलने वाली शहद की मिठास नर्व्स को संतुलित करती है और हिचकी शांत हो जाती है।
ध्यान भटकाने की कोशिश करें
छोटे बच्चों को कई बार लगातार खांसी या हिचकी आने पर हम ऊपर पंखा देखने या और कही कुछ दिखाकर ध्यान भटकने की कोशिश करते हैं, जिससे उन्हें आ रही खांसी या हिचकी शांत हो जाये। ऐसा ही कुछ हम बड़ों को भी करना पड़ता है। अगर लगातार हिचकी आ रही है तो अपना ध्यान भटकने की कोशिश करें। हिचकी शांत हो जाएगी।
हिचकी को लेकर पूछे जाने वाले सवाल-जवाब – FAQ’s
सवाल- हिचकी बंद न हो रही तो क्या करे?
जवाब- हिचकी बंद न हो रही तो तुरंत पानी पिएं बो फिर पीठ पर धीरे से थपथपा भी सकते हैं।
सवाल- हिचकी की दवा कौन सी है?
जवाब- हिचकी रोकने के लिए होम्योपैथी में नक्स वोमिका 30, मेगाफॉस 30 और काजुपुटम दवाएं दी जाती हैं।
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