बेबी को नहलाने व डायपर बदलते समय ज्यादातर सभी घरों में बेबी पाउडर का इस्तेमाल इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, अधिकतर मांएं इस बात से अंजान होती हैं कि उनके शिशु के लिए हर बेबी पाउडर सुरक्षित नहीं होता है। शोधकर्ताओं की मानें तो शिशु के लिए बेबी पाउडर को चुनते समय पेरेंट्स को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। यही वजह है इस लेख में बेबी पाउडर में कौन से इंग्रीडिएंट्स नहीं होने चाहिए, इससे जुड़ी जानकारी विस्तार से साझा कर रहे हैं।
शिशु की त्वचा में मॉइश्चराइजर को अवशोषित करने के लिए बेबी पाउडर लगाना उपयोगी जाता है। लेकिन इसका इस्तेमाल करते समय पेरेंट्स को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, यदि बच्चे की सांस के माध्यम से पाउडर उनके शरीर में प्रवेश कर जाए, तो यह उनके फेफड़ों को हानि पहुंचा सकता है। इससे शिशु को सांस लेने में दिकक्त व घुटन महसूस हो सकती है। कुछ मामलों में यह शिशु की मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इसलिए नीचे बेबी पाउडर लगाने का तरीका बता रहे हैं:
नीचे कुछ ऐसी सामग्रियों के बारे में बता रहे हैं, जो बेबी पाउडर में नहीं होनी चाहिए:
शिशु का पाउडर टैल्क बेस्ड नहीं होना चाहिए। क्योंकि टैल्क में छोटे-छोटे कण होते हैं, जो सांस के माध्यम से शिशु के शरीर में प्रवेश कर नुकसान का कारण पहुंच सकते हैं। इससे बच्चों के फेफड़ों में नुकसान हो सकता है। वहीं, कई बच्चों में सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
पैराबेन को प्रोडक्ट्स की शैल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए शामिल किया जाता है। लेकिन यह रेस्पिरेटरी हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। एनसीबीआई पर उपलब्ध एक शोध के मुताबिक, पैराबेन के कारण शिशुओं में अस्थमा की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा, यह हार्मोन्स के कार्य को बाधित करता है। इसलिए, जिस बेबी पाउडर के इंग्रीडिएंट्स में पैराबेन हो उसका चुनाव न करें।
जिन बेबी प्रोडक्ट्स में आर्टिफिशियल फ्रेग्रेंस या कलर का इस्तेमाल किया गया हो उन्हें भी शिशु के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इससे शिशु को एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं।
कई बेबी पाउडर में फेनोक्सीथेनॉल का प्रयोग किया जाता है, जो एक प्रकार का प्रिजरवेटिव होता है। इसकी खुशबू गुलाब की तरह होती है, लेकिन शिशुओं के लिए इसे सुरक्षित नहीं माना जाता है। इससे शिशु को नर्वस सिस्टम इंटरेक्शन के साथ एलर्जिक रिएक्शन का खतरा अधिक रहता है।
शिशु के इंग्रीडिएंट्स में एस्बेस्टस नामक मिनरल फाइबर नहीं होना चाहिए। यदि यह सांस के माध्यम से शिशु के शरीर में प्रवेश करता है, तो इससे उन्हें ब्रीथिंग संबंधित परेशानी हो सकती है। कुछ मामलों में शिशु को गंभीर सम्सयाएं हो सकती है। एक शोध में इसे कैंसर पैदा करने वाला कंपाउंड बताया गया है।
बेबी पाउडर ग्लूटेन फ्री होना चाहिए। बता दें, ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है, जो कई अनाजों में पाया जाता है। शिशुओं की नाजुक त्वचा को ग्लूटेन से एलर्जी की शिकायत हो सकती है।
बाजार में कई सारी कंपनी के बेबी टैल्कम पाउडर मौजूद हैं। ऐसे में पेरेंट्स को निम्न बातों के ध्यान में रखते हुए अपने शिशु के लिए पाउडर का चुनाव करना चाहिए:
आप चाहें तो अपने शिशु के लिए बेबीचक्रा का नैचुरल बेबी पाउडर खरीद सकते हैं। यह पूरी तरह से नैचुरल और टैल्क फ्री है। इसे खास बाल रोग विशेषज्ञों की देखरेख में तैयार किया गया है। इस प्रोडक्ट की सामाग्री की बात करें तो इसे एरोरूट पाउडर, रोज बटर और ओटमील से तैयार किया गया है।
यह बेबी पाउडर शिशु की त्वचा से नमी को अवशोषित करता है। साथ ही स्किन को फ्रेश, सॉफ्ट और ड्राई रखता है। सेंसिटिव स्किन वाले बच्चों के लिए भी इसे सुरक्षित पाया गया है। यह त्वचा को डायपर रैशेज से भी बचाता है।
इस लेख को पढ़ने के बाद आप बेबी पाउडर में मौजूद खराब सामग्रियों के बारे में जान गए होंगे। अगली दफा अपने शिशु के लिए पाउडर खरीदने के लिए लेख में दी गई बातों का ध्यान रखें व सुरक्षित बेबी पाउडर खरीदें।
चित्र स्रोत: Pexel