धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं में हनुमान जी एक ऐसे देवता है जो इस पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। कहा जाता है कि वो सतयुग में भी थे ,रामायण काल, महाभारत काल में भी थे और वो कलियुग में भी जीवित हैं। कोई उन्हें पवनसुत, कोई मंगलमूर्ति तो कोई संकटमोचन कहकर पुकारता है। उनके नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तों के सारे संकट दूर हो जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि- ‘चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।’ इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो हर युग में किसी न किसी रूप गुणों के साथ संसार के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहेंगे। हनुमान जी में किसी भी संकट को हर लेने की क्षमता है और अपने भक्तों की यह सदैव रक्षा करते हैं। हनुमान रक्षा स्त्रोत का पाठ यदि नियमित रूप से किया जाए तो कोई बाधा आपके जीवन में नहीं आ सकती। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करने से बड़े से बड़ा भय दूर हो जाता है। कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की सेवा के निमित्त भगवान शिव जी ने एकादश रुद्र को ही हनुमान के रूप में अवतरित किया था। भगवान हनुमान के जन्मोत्सव को हिंदू धर्म में हनुमान जयंती (hanuman jayanti ki hardik shubhkamnaye) के रूप में हर साल बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। आज यहां हम हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है, हनुमान जयंती का महत्व, हनुमान जयंती की पूजा विधि और हनुमान जयंती उपवास विधि (hanuman jayanti upvas vidhi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे।
हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं – Hanuman Jayanti Kyu Manaya Jata Hai
ज्यादातर लोगों को ये बात नहीं पता होती है कि हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है (Hanuman Jayanti Kyu Manaya Jata Hai) ? तो हम आपको बता दें कि हनुमान जयंती को भगवान हनुमान के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने के दौरान पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) में मनाया जाता है। हनुमान जयंती के दिन लोग हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए जाते है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते और भंडारें इत्यादि कराते हैं। इस दिन हनुमानजी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाने की खास परम्परा है। आपको बता दें कि हनुमान जी का जन्मदिन एक सौर वर्ष में दो बार मनाया जाता है। जी हां, कर्क राशि से दक्षिण के वासी इनका जन्मदिन चैत्र पूर्णिमा को मानते हैं, जबकि कर्क राशि से उत्तर के वासी हनुमान जी का जन्म कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मानते हैं। हनुमान जयंती के दिन मंदिरों व घरों में विशेष सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ व भजन कीर्तन होते हैं। वहीं अगर आप इस दिन कुछ उपाय करते हैं तो आपके जीवन के सभी कष्टों का नाश हो जाता हैं और जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हनुमान के जन्म की कथा
हनुमान जी के जन्म (hanuman story in hindi) के बारे में एक कथा है, जिसके अनुसार एक बार राजा दशरथ और उनकी तीनों पत्नियों ने अग्नि देव का यज्ञ किया था। तब अग्नि देव ने उनसे प्रसन्न होकर राजा दशरथ को खीर दी थी। राजा दशरथ ने वह खीर अपनी तीनों पत्नियों में बराबर बांट दी। लेकिन एक चील उस खीर को झपट कर अपने मुंह में ले गई और उड़ गई। जब वह चील अंजना के आश्रम के ऊपर से उड़ रही थी तब अंजना का मुंह ऊपर की और था। अंजना का मुंह खुला होने के कारण कुछ खीर उनके मुंह में आ गिरी और वह उस खीर को खा गई। जिसकी वजह से वह गर्भवती हो गई और उनके गर्भ से शिवजी के 11वें रूद्र अवतार हनुमान जी ने जन्म लिया था। इसलिए हनुमान जंयती को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बजरंग बली के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार उन्हें सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा, चंदन, फूलों में कनेर आदि के पीलोए फूल, धूप, अगरबती, गाय के शुद्ध घी का दीपक, आटे को घी में सेंककर गुड मिलाये हुए, लड्डू जिन्हें कसार के लड्ड आदि का भोग लगाते हैं।
2021 में हनुमान जयंती कब है – Hanuman Jayanti Kab Hai
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को श्री हनुमान जयंती मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुमान जयंती हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आती है। जैसा कि हम जानते हैं कि हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, ऐसे में चैत्र पूर्णिमा का प्रारम्भ 26 अप्रैल 2021, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर प्रारम्भ हो रहा है और इसका समापन 27 अप्रैल 2021, मंगलवार को सुबह 9 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में हनुमान जयंती 27 अप्रैल (2021) को ही मनाई जाएगी।
हनुमान जयंती का महत्व – Hanuman Jayanti ka Mahatva
हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। जिन्हें भगवान शिव के अवतारों में से एक माना जाता है। भक्तों के लिए हनुमान जयंती का दिन बेहद खास होता है। उनके लिए हनुमान जयंती का महत्व (Hanuman Jayanti ka Mahatva) बहुत बड़ा है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हनुमान जयंती के दिन इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। हर साल हनुमान जयंती का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। हनुमान जयंती के दिन, लोग जल्दी उठते हैं, स्नान करते हैं और भगवान हनुमान की पूजा करते हैं।
मान्यता है कि हनुमान जयंती के दिन भगवान हनुमान की सच्चे मन से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। हनुमान जी की पूजा लाल सिंदूर से की जाए तो हर बिगड़ा काम बन जाता है। दरअसल, रामायण के अनुसार हनुमान जी (hanuman story in hindi) ने सीता जी के मांग में सिंदूर लगा देखकर पूछा- माता! आपने यह लाल द्रव्य माथे पर क्यों लगाया है? सीता जी ने बताया कि इसके लगाने से मेरे स्वामी की आयु लंबी होती है? ये सुनकर हनुमान जी ने सोचा जब उंगली भर सिंदूर लगाने से आयु लंबी होती है तो फिर क्यों न सारे शरीर पर इसे पोतकर अपने स्वामी को अजर-अमर कर दूं। हनुमान जी ने वैसा ही किया। कहते हैं उस दिन से हनुमान जी को स्वामी-भक्ति के स्मरण में उनके शरीर पर सिंदूर चढ़ाया जाने लगा।
हनुमान जयंती की पूजा विधि – Hanuman Jayanti Puja Vidhi
कहते हैं कि हनुमान जी के भक्त को ग्रहों के दोष-मारकेश अथवा मरणतुल्य कष्ट देने वाले ग्रहों की दशादि का दोष नहीं लगता है। इनकी आराधना करते रहने पर सभी अशुभ ग्रह शुभफल देने के लिए विवश हो जाते हैं। पुराणों के अनुसार, इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जयंती के दिन विशेष पूजन से विशेष लाभ मिलता है। हनुमान जयंती के दिन हनुमानजी की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। आइए जानते हैं हनुमान जयंती की पूजा विधि (Hanuman Jayanti Puja Vidhi) के बारे में।
हनुमान पूजन के लिए सामग्री –
नारियल, केले, सरसों का तेल, चमेली, गुड़, लाल कपड़ा, पंचामृत, गंगाजल, सिंदूर, इत्र, भुने चने, पान की बीड़ा, जल कलश, घी, दीपक, धूप, कपूर, तुलसी, फूल आदि।
पूजन विधि –
हनुमान जयंती पर हाथ में गंगाजल लेकर भगवान राम, सीता जी और हनुमान का ध्यान करते हुए संकल्प लें। उसके बाद पूजा स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद हनुमान जी की एक प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। पूजा के स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करके शुद्ध जल, दूध, दही, घी, मधु और चीनी का पंचामृत, तिल के तेल में मिला सिंदूर, लाल पुष्प, जनेऊ, सुपारी, नैवेद्य, नारियल का गोला चढ़ाएं और तिल के तेल का दीपक जलाकर उनकी पूजा करें। इस दिन भगवान हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर अवश्य अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, हलुवा, पंच मेवा, पान, केसर-भात, इमरती या इनमें से जो भी हो, उसका भोग लगाएं। इससे हनुमान जी प्रसन्न होकर भक्तों के सारे कष्ट हर लेते हैं।
हनुमान जयंती उपवास विधि – Hanuman Jayanti Upvas Vidhi
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए या मंगल ग्रह का दोष दूर करने के लिए बहुत से लोग हर मंगलवार व्रत करते हैं। इससे हनुमान जी की असीम कृपा मिलती है। हनुमान जयंती के दिन भी बहुत से लोग व्रत रखते हैं। लेकिन इस दिन व्रत रखने वालों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। तो आइए जानते हैं हनुमान जयंती उपवास विधि के बारे में –
- हनुमान जयंती के दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें और मन में हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता के नाम का स्मरण करें।
- अब हाथ में जल लेकर हनुमान जी पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और मन, कर्म तथा वचन से पवित्र रहें।
- घर के ईशान कोण में किसी एकांत में बैठकर हनुमानजी की मूर्ति या चित्र स्थापित कर वहां बैठ कर हनुमान चलीसा का पाठ करें।
- दिन में सिर्फ एक पहर का भोजन लें
- शाम को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर आरती करें।