फिल्म पद्मावत का रिव्यू : रानी पद्मावती के साहस और राजपूतों के गौरवपूर्ण इतिहास की बेजोड़ कहानी
दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर के शानदार अभिनय से सजी फिल्म ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को सिनेमाघरों में लग जाएगी। फिल्म देखने से पहले पढ़ें फिल्म पद्मावत का रिव्यू।
सहेजा राजपूतों का इतिहास
मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने महाग्रंथ पद्मावत में कविता शैली में चित्तौड़ की महारानी पद्मावती के अलौकिक सौंदर्य व जौहर और राजपूतों के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया था। अब उतनी ही खूबसूरती और शान से निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली ने इसे सिने प्रेमियों के लिए 2:45 घंटे की इस फिल्म में दर्शाया है। उनके इस वर्णन में कहीं भी ऐसा नहीं है, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंच सके। इस फिल्म के निर्माता-निर्देशक होने के नाते संजय लीला भंसाली दर्शकों का दिल जीतने में ज़रूर कामयाब होंगे।
जी उठा इतिहास
फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर जितने भी सवाल उठ रहे थे, वे सभी इसे बड़े पर्दे पर देखकर खत्म हो गए। राजपूतों के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में हर कोई जानता है। फिल्म ‘पद्मावत’ के फिल्मांकन के समय उन सभी पहलुओं पर बखूबी काम किया गया है। फिल्म का टाइटल बदलने और कई सीन कट जाने के बावजूद फिल्म कहीं से भी कमजोर या भटकती हुई नहीं लगी। 3 डी में बनने से फिल्म ‘पद्मावत’ कहीं अधिक विशाल नज़र आई है। भव्य महल, युद्ध की पृष्ठभूमि, जौहर का दृश्य, घूमर नृत्य… सब कुछ मानो इतिहास को आंखों के सामने जीवंत कर रहा हो। यह फिल्म अलाउद्दीन खिलजी की ख्वाहिशों, हर नायाब चीज़ को पाने की उसकी ज़िद और जुनून के बारे में है। वह युद्ध जीत कर भी सब कुछ हार जाता है। पागलों की तरह रानी पद्मावती को पाने की उसकी ज़िद अधूरी रह जाती है। गुलाम मलिक काफूर के किरदार में जिम सरभ भी खूब जमे हैं। जो अलाउद्दीन कभी किसी के सामने झुकने को तैयार नहीं होता है, वह अपने गुलाम के सामने अपने हाथों में प्रेम की लकीर को लेकर रोता हुआ सा प्रतीत होता है।
अब बात अदाकारी की
इस फिल्म के फिल्मांकन के लिए संजय लीला भंसाली जितनी तारीफ के हकदार हैं, उतना ही इस फिल्म से जुड़ा हर व्यक्ति। बात चाहे मुख्य कलाकारों की हो या पर्दे के पीछे काम करने वालों की, हर किसी की मेहनत साफ नजर आ रही है। रानी पद्मावती के किरदार को दीपिका पादुकोण ने बहुत दिल से निभाया है, तभी तो कभी उनकी आवाज़ बुलंद तो कभी प्रेम में डूबी हुई तो कभी भावनाओं में बहती सी लगती है। जौहर का ऐलान करते वक्त उनकी आवाज में बुलंदी के साथ ही जो कंपकंपी थी, उसे साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है। रणवीर सिंह ने भी अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है। फिल्म ‘पद्मावत’ के साथ उन्होंने अपनी अदाकारी का लोहा मनवा लिया है। फिल्म देखने के बाद इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म की शूटिंग के बाद दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह का डिप्रेशन में जाना कोई बड़ी बात नहीं थी। महारावल रतन सिंह के किरदार में शाहिद कपूर भी पूरी तरह से ढल गए थे। सिर्फ ये मुख्य कलाकार ही नहीं, इस फिल्म की पूरी कास्ट, हर छोटे-बड़े किरदार में बखूबी जमी है। रजा मुराद ने जलालुद्दीन खिलजी और अदिति राव हैदरी ने अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी मेहरुन्निसा के किरदारों में जान फूंक दी है।
अगर अभी तक आप राजस्थानी रंगों से सजी इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं या किन्हीं वजहों से इसे देखने से कतरा रहे हैं तो अपनी राय बदल लें। इसे देखकर आपके सभी विरोधाभास खोखले साबित होंगे और अगर आप इसे देखने से चूक गए तो अनजाने में भारतीय सिनेमा का एक अमूल्य तोहफा ठुकरा बैठेंगे। इसे देखने के बाद हमारे साथ ज़रूर शेयर करें अपने शब्दों में फिल्म पद्मावत का रिव्यू।
पढ़ें –
इन फिल्मों के साथ क्लैश हो सकती थी दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर स्टारर फिल्म पद्मावत