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#DilSeDilli: मैं दरभंगा से दिल्ली हज़ार सपने लेकर आई हूं

#DilSeDilli: मैं दरभंगा से दिल्ली हज़ार सपने लेकर आई हूं

दिल वालों की दिल्ली में लोगों का आना-जाना लगा ही रहता है। लोग नए सपनों के साथ धड़कती हुई दिल्ली को महसूस करने आते हैं और कई बार यहीं के होकर रह जाते हैं। देश के हर कोने से दिल्ली आई लड़कियां कैसे जीती और महसूस करती हैं दिल्ली को, और दिलवालों की दिल्ली उन्हें कितना अपनाती है.. ये हम बताएंगे आपको हर बार ‘DilSeDilli’ में।

इस बार #DilSeDilli में हम बात कर रहे हैं दरभंगा (बिहार) ये आयी मीरा की। मीरा ने पटना युनिवर्सिटी से B.A. किया है और अभी सिविल सर्विसेज़ एग्जाम की तैयारी के लिए दिल्ली आई हुई हैं। मुखर्जीनगर में रह रही मीरा क्या सोचती हैं  दिल्ली के बारे में, पढ़ें।

1. मीरा आप दिल्ली कब आईं?

मैं करीब डेढ़ साल से दिल्ली में हूं। दिल्ली आने की एकमात्र वजह थी Civil Services Exam.. मैं उसी की तैयारी करने यहां आयी हूं।

2. तो पहले कभी दिल्ली आने का मन नहीं किया?

इमानदारी से बोलूं तो कुछ खास नहीं। मैं पटना से दरभंगा में ही खुश थी। ग्रैजुएशन के बाद मैंने पहली बार UPSC में apply किया था उस वक्त मैंने Prelims और Mains दोनों क्वालिफाई कर लिया था पर इंटरव्यू में आकर फंस गई उसके बाद दिल्ली आना बहुत ज़रूरी लगा।

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3. पैरेंट्स का तो पूरा सपोर्ट मिला होगा?

हां, पैरेंट्स ने ही कहा कि जब Mains क्वालिफाई कर लिया है तो एक बार अच्छे से तैयारी कर के देखो, एक बार खुद को पूरी तरह से इसमें झोंक दो ताकि बाद में कोई अफसोस न रहे और इसलिए उन्होंने मुझे यहां भेजा। उन्हें दिल्ली पर बहुत भरोसा है।

4. उन्हें भरोसा है, और आपको? दिल्ली ने किस हद तक उस भरोसे को ज़िंदा रखा?

मुझे भी लगता था कि यहां पूरा माहौल मिलेगा तो बेहतर तैयारी कर पाऊंगी लेकिन वो तो शुरू से दिल्ली को लेकर इतने faithful थे कि उन्हें लगता था कि दिल्ली जाने से कोई करिश्मा हो जाएगा। Of course दिल्ली ने मेरे भरोसे को ज़िंदा रखा, आप मुखर्जीनगर का माहौल देख सकती हैं। बच्चे इतनी लगन से पढ़ाई में लीन हैं जिन्हें देखकर फील आता है कि टाइम वेस्ट नहीं करना है.. यहां आपको UPSC preparation का पूरा ambience मिल जाएगा और उस ambience की importance क्या होती है ये मैं भी यहां आने से पहले नहीं जानती थी।

5. दिल्ली को लेकर आपके दिमाग में presumptions थे, तो यहां आकर आपका रिएक्शन क्या था?

आते ही मैं मुखर्जीनगर में नहीं सेटल हुई इसलिए दिल्ली के कई रूप देखे हैं। अब तो ये सब नॉर्मल लगता है पर पहले बहुत अजीब लगता था कि आप बस या मेट्रो में ट्रैवेल कर रही हैं और सब अपने मोबाइल में लगे हुए हैं, आमने-सामने कोई interaction नहीं। और लोग इतनी तल्लीनता के साथ busy रहते थे कि उन्हें देखकर लगता था – ये बिना मोबाइल के इतने सालों तक कैसे जिये होंगे। यहां के लोगों में बहुत कुछ fake और virtual लगा.. वो परेशान होते हैं पर दिखाते हैं कि बहुत खुश हैं, इंसान से ज्यादा gadgets में घुसे रहते हैं.. मुझे ये सब देख कर भी डर लगता था।

living in delhi hindi

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6. यहां आने के बाद आप ने कोई struggle किया?

Struggle तो अभी जारी है पर ये struggle बहुत जल्द खत्म होने वाला है, इस बार मैं बहुत confident हूं। बाकि सब बहुत ठीक था। हां, एक बात और.. छोटे शहर से आए मेरे जैसे लोग बहुत ही ज्यादा fashionable तो होते नहीं हैं तो यहां आकर थोड़ा complex फील होता है.. या शायद इसलिए भी क्योंकि यहां पर आपके looks बहुत मायने रखते हैं, लेकिन मुखर्जीनगर आने के बाद मैं उस एहसास से बाहर आ गयी।

7. तो अभी तक दिल्ली ने खुशी दी या निराश किया?

अभी तक तो दिल्ली ने खुशी ही दी है, नयी राहें दिखाई हैं आगे देखते हैं क्या होता है पर सब कुछ अच्छा हो ऐसी ही कामना है।

8. दिल्ली की कोई ऐसी बात जिसने आपको चौंका दिया हो या हैरान किया हो?

वैसे तो ऐसा कोई particular incident नहीं है पर एक बार मेरा एक दोस्त (कोचिंग फ्रेंड) मेरे यहां आया था, वो ज्यादा टाइम रुका नहीं पर उसके जाते ही मकान मालिक के सवाल आ गये – ये बॉयफ्रेंड है? मैंने कहा – “नहीं, साथ में पढ़ता है।” और फिर उनकी टिप्पणी मिली – “इतनी जल्दी दोस्ती हो गयी?”

इसके बाद वो चले गए और मैं सोचती रह गयी कि बाहर से आयी लड़की के बारे में लोग कितनी जल्दी राय बनाने लगते हैं। उन्हें लगा कि इतनी जल्दी दोस्ती हो गयी इसलिए मैं शायद गलत हूं पर वो मुझे कितना जानते थे जो खुद-ब-खुद ये डिसाइड कर लिया?

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9. दिल्ली में अगर आपको कुछ खास लगा तो वो क्या है?

दिल्ली अपने आप में खास है.. सच कहूं तो मुझे यहां की बेपरवाही बहुत पसंद आई। फ्रसटेशन से कैसे डील करना है ये आप दिल्ली में सीख सकती हैं.. बेपरवाही मतलब, मैं आधी रात को दरभंगा में सड़क पर घूमने की नहीं सोच सकती पर यहां आपको जब जो मन करे, आप कर सकती हैं। आधी रात को Chapter खत्म कर के टहलने जाना, रात के 2 बजे पराठे खाना.. सुबह तक सड़कों पर घूमना.. ये सब यहीं मुमकिन है। दिल्ली 24 घंटे जीती है।

10. दिल्ली को अगर तीन शब्दों में बयां करना हो तो..

दिल्ली को सिर्फ़ 3 शब्दों में बताना मुश्किल है। वैसे तो दिल्ली बेपरवाह है, ज़िंदादिल है और मनमौजी भी। 🙂

Image: Shutterstock

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05 May 2016
good points

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