दिल वालों की दिल्ली में लोगों का आना-जाना लगा ही रहता है। लोग नए सपनों के साथ धड़कती हुई दिल्ली को महसूस करने आते हैं और कई बार यहीं के होकर रह जाते हैं। देश के हर कोने से दिल्ली आई लड़कियां कैसे जीती और महसूस करती हैं दिल्ली को, और दिलवालों की दिल्ली उन्हें कितना अपनाती है.. ये हम बताएंगे आपको हर बार ‘DilSeDilli’ में।
इस बार #DilSeDilli में हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश (लखनऊ) से आयी उर्वशी की। इन्होंने मार्केटिंग में MBA किया है और अभी Airtel के लिए कार्यरत हैं।
1. उर्वशी आप दिल्ली कब और क्यों आईं?
मुझे यहां आये 2 साल हो गए। MBA के बाद कॉलेज से ही प्लेसमेंट हुआ और मैं दिल्ली आ गई। शुरू से दिल्ली आने की कोई खास चाहत नहीं थी पर सोचा ज़रूर था कि ज़िंदगी का एक हिस्सा दिल्ली में बिताऊंगी। ऐसे ख्याल मेरे दिमाग में इसलिए आते थे क्योंकि मुझे लगता था कि दिल्ली हमारे देश की राजधानी है और इस पर हर राज्य के लोगों का हक है।
2. फिर तो पैरेंट्स का सपोर्ट मिला ही होगा।
मेरी जॉब लग गई इसलिए मैं यहां इतनी आसानी से आ पायी नहीं तो प्रॉब्लम ज़रूर होती। पैरेंट्स ने कहा था – जो भी पढ़ना है यहीं (लखनऊ में) पढ़ो, यहां भी तो तमाम कॉलेजेज़ हैं इसलिए मैं MBA तक लखनऊ से बाहर नहीं निकली थी, और शायद इसीलिए मन में ये ज़िद्द थी कि कहीं बाहर जाना है, पर दिल्ली ही जाऊंगी ऐसा नहीं सोचा था।
3. अच्छा! तो कैसा रहा लखनऊ से बाहर आने का पहला experience?
मुझे लगता था कि capital तो लखनऊ भी है और ये दोनों शहर बहुत दूर नहीं हैं इसलिए ज्यादा difference नहीं होगा पर मैं बहुत गलत थी। दिल्ली काफी अलग है, लखनऊ शालीन है और दिल्ली तेज़-तर्रार है। मैं यहां पहली बार आयी तो देखा कि shared autorickshaw जैसी चीज़ यहां नहीं है और 2 किलोमीटर के लिए ही आप से 100 रुपये लिए जाते हैं तो हैरान रह गई।
4. तो आप ने जो सपने देखे थे उसे दिल्ली ने किस हद तक पूरा किया?
दिल्ली के लिए मैंने सोचा था कि वो exciting होगी और मैंने जितना सोचा था दिल्ली उससे कहीं ज्यादा exciting है। मैं यहां खुद को self-dependent फील कर पा रही हूं और ये मेरे लिए सबसे अच्छी बात है। पर प्लेसमेंट के वक्त 7 lacs per annum सुनकर मैं जितनी खुश थी, अब उतनी नहीं हूं क्योंकि उस वक्त मुझे लगता था कि महीने के 55 हज़ार रुपये बहुत ही ज्यादा होते हैं पर अब मैं ऐसा नहीं सोच सकती। मेरा वो अंदाज़ा लखनऊ के हिसाब से था और दिल्ली मेरे पैकेज पर भारी पड़ रही है।
5. यहां आने के बाद अपने struggle के बारे में बताएं।
Thankfully! मैं वो अकेली लड़की नहीं थी जो लखनऊ से यहां सेटल हो रही थी इसलिए मैं नर्वस नहीं थी। मेरे साथ कॉलेज के दूसरे स्टूडेंट्स भी थे पर एक नॉन-मेट्रो सिटी से मेट्रो सिटी में सेटल होना इतना आसान भी नहीं था। फ्लैट से लेकर affidavits तक के लिए हमें खूब चक्कर लगाना पड़ा। दिल्ली के लोगों और यहां के माहौल के साथ भी adjust होने में थोड़ा टाइम लगा।
एक बात और, Caste को लेकर इतने सवाल तो छोटे शहरों में भी नहीं पूछे जाते जितने दिल वालों की दिल्ली में पूछे जाते हैं। उसमें कोई प्रॉब्लम नहीं हुई लेकिन बहुत अटपटा लगता है जब खुद को बहुत मॉडर्न कहने वाले लोग किसी को कमरा देने के लिए भी जाति जैसे चीज़ पर अटक जाते हैं। आपके introduction के बाद बड़े आराम से पूछा जाता है कि आप किस caste की हैं.. मैं इस बात पर shocked रह गई थी।
6. तो क्या हम ये समझें कि दिल्ली ने निराश किया?
नहीं! निराश तो नहीं किया। दिल्ली में जीने का अपना तौर-तरीका है। यहां आकर हर कोई इसमें घुल जाता है।
7. अगर लखनऊ और दिल्ली की तुलना की जाए तो दोनों को आप 10 में से कितने marks देंगी?
चुंकि मैं लखनऊ से हूं इसलिए हो सकता है मैं थोड़ी biased हो जाऊं 🙂 । दरअसल दोनों में बहुत फ़र्क है लखनऊ तहज़ीबों का शहर है और दिल्ली भागम-भाग का। दिल्ली के लज़ीज़ खाने की बहुत तारीफ़ सुनी थी – पराठे वाली गली, छोले-कुल्चे, दिल्ली हाट के स्नैक्स.. पर हमारे हज़रतगंज के दही-वड़े के टक्कर का कुछ भी नहीं। दिल्ली बहुत हसीन है, ये सभी को बहुत आसानी से अपना लेती है पर हमारे लखनऊ वाली बात यहां नहीं, लखनऊ की बात ही कुछ और है।
8. Placement के वक्त अगर option में दो शहर मिलते तो किस शहर के लिए आप दिल्ली को इग्नोर करतीं?
दिल्ली ऐसी है ही नहीं कि इसे इग्नोर किया जा सके। इसने जितनी जल्दी हमें अपना लिया, मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा शहर ये काम इतनी आसानी से कर पाता.. पर अगर मुझे दो options मिलते तो मैं तबतक दिल्ली पर ही अड़ी रहती जब तक दूसरा option चेन्नई न हो। चेन्नई coastal area में होने की वजह से मुझे आकर्षित करता है।
9. अगर आप किसी को सेटल होने के लिए दिल्ली recommend करेंगी तो उसका आधार क्या होगा?
अगर मैं किसी को दिल्ली recommend करूंगी तो वो इसलिए क्योंकि दिल्ली बहुत फ्रेंडली है। दिल्ली को आदत है नए लोगों को accept करने की, हर साल लाखों लोग यहां आते हैं और यहां आपको किसी क्षेत्र या प्रांत के नाम पर ताने नहीं मारे जाते। दिल्ली रोमांटिक है, बेसिकली दिल्ली युवाओं का शहर है और फैसिलिटीज़ तो यहां हैं ही।
10. दिल्ली को तीन शब्दों में बयां करें
मैंने कहा तो दिल्ली रोमांटिक है, आर्टिस्टिक भी है, दिल्ली में जज़्बा है। 🙂
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