डिटॉक्सिफिकेशन का अर्थ है मन और तन, दोनों की शुद्धि। अगर आप ने अभी तक डिटाॅक्सीफिकेशन के बारे में सोचा नहीं है तो आज से ज़रूर सोचें। असल में इस भागम-भाग वाली जिंदगी से ब्रेक लेना अत्यंत आवश्यक हो गया है। लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाएं व अपने तन-मन को डिटॉक्स करें। (body detox in hindi) आइए जानते हैं, शरीर से टॉक्सिन दूर करने के उपाय (How to Detox Your Body in Hindi) और डिटॉक्स के बारे में।
सिर्फ ब्लड की शुद्धि ही नहीं बल्कि शरीर के सभी अंगों जैसे गुर्दे, लीवर, स्किन और फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल अंदरूनी शुद्धि होना भी डिटॉक्सिफिकेशन का पूरा प्रोसेस है। इस प्रोसेस में व्रत-उपवास, लीवर स्टिम्युलेशन, पोषक तत्वों, आंतों, किडनी और त्वचा की मदद से ब्लड फ्लो को सही करना शामिल है।
डॉक्टर के अनुसार, यदि आपको त्वचा पर एलर्जी , शारीरिक इन्फेक्शन, आंखों या पैरों में सूजन या फिर मासिक चक्र से जुड़ी किसी भी तरह की कोई समस्या है तो इसे डिटॉक्सिफिकेशन के लिए एक इशारा समझिए। जानिए, शरीर से विषैले तत्व बाहर कैसे निकाले (body detox kaise kare) और बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने का पूरा प्रोसेस।
सबसे पहले तो हम बात करेंगे डिटॉक्सिफिकेशन प्रोग्राम की। इसके अंतर्गत पूरे 1 सप्ताह का शेड्यूल रहता है क्योंकि शरीर के विभिन्न भागों की सफाई करनी होती है। इसके लिए शुरू में दो दिन सिर्फ लिक्विड डाइट पर रहना होता है। बाद में दो दिन फल और सब्जियों का सेवन किया जा सकता है।
उसके बाद 1 दिन शुगर डिटॉक्स, एक दिन हाइपोएलर्जेनिक डिटॉक्स और आखिर में डिटॉक्सिफिकेशन डाइट दी जाती है। इस कार्यक्रम के बाद लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव कर डिटॉक्सिफिकेशन की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं शरीर को डिटॉक्स करने के उपाय जिनसे आप अपने शरीर को डिटॉक्सिफाई कर सकते हैं ।
हम फल और हरी सब्जियों का जितना ज्यादा सेवन करेंगे, उतना ही ज्यादा हमारा शरीर अंदर से डिटॉक्सिफाई होगा। इससे लिवर एंजाइम सक्रिय रहेंगे और शरीर में उपस्थित नुकसानदायक पदार्थ शरीर से आसानी से निकल सकेंगे। ये बॉडी डिटॉक्स करने का तरीका आसान है।
केमिकल युक्त खाद्य या विषैले तत्व वाले खाद्य से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि ऑर्गेनिक फूड खाएं और स्वस्थ रहें।
एंटी ऑक्सीडेंट्स प्राकृतिक तरीकों से हमारे शरीर से विषैले रासायनिक तत्वों को बाहर निकाल कोशिकाओं की मरम्मत कर फ्री रेडिकल्स से लड़ने में कोशिकाओं की मदद करते हैं। विटामिन ए, सी, ई,सेलेनियम, लाइकोपिन, ल्यूटिन एंटीऑक्सीडेंट्स, फल, सब्जियों, कुछ कुदरती मसालों, मिक्स मेवा, ग्रीन कॉफी, ग्रीन टी, तुलसी, अदरक, लहसुन व अंडे जैसी चीजों में एंटी ऑक्सीडेंट्स मौजूद हैं।
दिन भर में थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ न कुछ खाते रहें लेकिन हल्का ही खाएं। ऐसा करने से शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति बनी रहती है। इससे कोलेस्ट्रॉल और शुगर जैसी भयंकर बीमारियां भी नहीं होती हैं। शरीर से टॉक्सिन दूर करने के उपाय में ये कारगर है।
जब हम सांंस लेते हैं तो हमारे शरीर में ऑक्सीजन का संचार होता है। इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शरीर से गंदगी डिटॉक्सिफाई होती है।
हमारे चारों तरफ प्रदूषण है। प्रदूषित वातावरण में सांंस लेने और धूल के कणों व अन्य प्रदूषकों के कारण एलर्जी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए शरीर की आंतरिक सफाई जरूरी है रोज़ाना अपनी नााक की सफाई करें। इससे प्रदूषित वायु आपकी सांसों में नहीं घुल पाएगी।
एक्सफोलिएशन की क्रिया से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और हानिकारक तत्व त्वचा से बाहर निकल जाते हैं।
हर समय जल्दी में रहना और जल्दी-जल्दी खाना आपकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। कम से कम खाना खाते समय इतना समय तो दें कि डाइजेशन ढंग से हो पाए। इसके लिए आप जितना भी खाएं, जो भी खाएं, चबा-चबा कर खाएं। अधचबा खाना आपकी पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाता है। जब आप धीरे-धीरे और चबाकर खाते हैं तो आपकी लार इन फूड पार्टिकल्स को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट कर उन्हें नरम बनाती हैं। यदि पाचन सही रहेगा तो एसिडिटी और कब्ज जैसी शिकायत नहीं रहेगी और न ही आपका वजन बढ़ेगा।
सकारात्मक सोच और सकारात्मक नज़रिया दूसरों के लिए ही नहीं, आपके खुद के लिए भी जरूरी है। यह शरीर की आंतरिक सफाई का एक जरूरी स्टेप है। आप जो भी खाते हैं या जिस तरह की जीवन शैली जीते हैं, उसमें रवैया सकारात्मक रखें। इससे भी आप की अंदरूनी क्रिया प्रभावित होती है।
माइक्रोवेव से निकलने वाली रेडिएशन हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। जब हम खाना गर्म करते हैं तो वह भले ही कुछ सेकंड्स में गर्म हो जाता हो लेकिन उससे निकलने वाली रेडिएशन से खाने में मौजूद प्रोटीन जैसे तत्व प्रभावित होते हैं। यही खाना जब हम खाते हैं तो हमारे शरीर में कैंसर जैसी भयानक बीमारियां जन्म ले सकती हैं।
अच्छा होगा कि आप कम से कम बेक किया हुआ खाना खाएं। ऑयल फ्री के चक्कर में हम खाने को इतना अधिक बेक कर लेते हैं कि वह हमारे लिए नुकसानदायक हो जाता है। साथ ही हम एसेंस और कलर का प्रयोग करते हैं, जो गलत है। इससे हमारा नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है।
कहीं स्वाद-स्वाद में आप ज्यादा नमक या मसालेदार चीजों का तो सेवन नहीं कर रहे? भले ही यह स्वाद में बहुत अच्छा लगे लेकिन हमारे शरीर के लिए खतरे की घंटी है। दिन भर में 5 ग्राम से कम नमक का सेवन हमारे शरीर के लिए उचित है, ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं। 5 ग्राम से अधिक मात्रा हमारे शरीर के लिए बहुत सी बीमारियों को बुलावा है, जैसे कि हाइपर टेंशन, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, किडनी फेलियर आदि।
असल में जब हम अलग से नमक ऐड करते हैं तो ब्लड में आयरन कम होने लगता है, जिसका असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। इसी की वजह से गैस और एसिडिटी जैसी परेशानियां बढ़ जाती हैं। इससे हमारी भूख भी बढ़ जाती है। जल्दी-जल्दी भूख महसूस होने पर हम अधिक खाते हैं और ज्यादा कैलोरी से मोटापा बढ़ जाता है।
डिटॉक्सिफिकेशन के सभी चरणों में पानी पीना एक सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है क्योंकि यह न केवल प्यास बुझाने का कार्य करता है, बल्कि पाचन क्रिया में भी सहायक है। दिन भर में कम से कम 2 लीटर पानी पीना बहुत जरूरी है। इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है। डॉक्टर बताते हैं कि यदि हम हर 1 घंटे में एक गिलास पानी पिएं तो शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आप का शरीर डिटॉक्सिफाई रहेगा।
बेहतर होगा कि आप पानी को हल्का सा गुनगुना करके पिएं और अगर आप सादा पानी पीना चाहते हैं तो किसी तांबे के गिलास में पानी पीना आपके स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा है। तांबे से बने बर्तन में पानी पीने से पेट के रोग कम होते हैं और शरीर में महत्वपूर्ण मिनरल्स पहुंच जाते हैं, साथ ही वजन भी नियंत्रित रहता है।
व्यस्त जीवनशैली की वजह से आज-कल हम सब प्रोसेस्ड फूड और चीनी यानी फूडलेस फूड के दीवाने हो गए हैं। यह खाना पेट तो ज़रूर भरता है लेकिन शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है। तभी तो आज-कल छोटी सी उम्र से ही शुगर और दिल की बीमारियां घर करने लगती हैं। क्या आप जानते हैं कि 50 ग्राम से अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट के सेवन से झुर्रियां होने का खतरा 25 से 30 पर्सेंट बढ़ जाता है?
साथ में कॉलेजन और इलास्टिन जैसे प्रोटीन शरीर में कम होने लगते हैं, जो कि त्वचा को जवान रखने में मदद करते हैं। डिटॉक्सिफाई लिक्विड डाइट शरीर के लिए फायदेमंद है। शिकंजी, नींबू पानी, नारियल पानी, जूस, फलों का रस आदि को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी संभव हो सके, हम इस फूडलेस फूड का सेवन बंद कर दें।
बॉडी के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए नींद भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि नींद पूरी नहीं होगी तो हम दिन भर तनाव में रहेंगे और तनाव की वजह से हमें हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां परेशान करेंगी। डॉक्टरों के अनुसार, जब नींद पूरी नहीं होती तो शरीर में बीटा एमिलाॅइड प्रोटीन बढ़ने लगता है और इस कारण हाइपरटेंशन, अल्जाइमर, एंग्जायटी, मोटापा या डायबिटीज की बीमारी होने लगती है।
वैसे भी हमारा शरीर कुदरती तौर पर अंदरूनी मरम्मत खुद करने में सक्षम है। उसके लिए 8 घंटे की पर्याप्त नींद जरूरी है। भले ही हम सो रहे हों लेकिन हमारा शरीर कार्य करता रहता है। खुद को रिचार्ज करें वरना डार्क सर्कल, झाइयां, सिर दर्द और आलस्य आदि से घिरे रहेंगे।
आधुनिकता की इस दौड़ में आज-कल एल्कोहॉल और स्मोकिंग का चलन बढ़ गया है। यह आधुनिक सोसायटी के लिए आम बात है लेकिन एल्कोहॉल शरीर को डिहाइड्रेट करती है और इसकी वजह से लीवर को नुकसान पहुंचता है। पेट और बाकी शरीर में सूजन आदि समस्याएं होने की वजह से शरीर के विषैले पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
दही, गुड़, फर्मेंटेड चाय, मिजो (एक जापानी सीजनिंग) आदि में प्रोबायोटिक्स खाद्य पदार्थ होते हैं। ये सूक्ष्म जीव पाचन तंत्र के लिए जरूरी हैं। आमतौर पर डाइजेशन के दौरान लैक्टोबेसिल्स और बिफीडोबैक्टीरियम जैसे कुछ ज़रूरी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं लेकिन इनके सेवन से पाचन तंत्र को मदद मिलती है। दही सबसे आसानी से उपलब्ध प्रोबायोटिक खाद्य है, जो लगभग हर भारतीय घर की रसोई का हिस्सा है।
शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए ज्यादा से ज्यादा फाइबर युक्त खाना लेना उपयोगी है। इसकी वजह से बॉडी से विषैले पदार्थ आसानी से बाहर निकल पाते हैं और डाइजेशन दुरुस्त रहता है।
हमें अपनी डाइट में कैल्शियम और मैग्नीशियम से युक्त खाद्य का सेवन ज़रूर करना चाहिए क्योंकि इससे हमारी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं और हानिकारक टॉक्सिंस भी शरीर में इकट्ठे नहीं हो पाते।
हमें डिटॉक्स वॉटर ज़रूर पीना चाहिए क्योंकि शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत और सभी अंगों से टॉक्सिंस को बाहर निकालने में डिटॉक्स वॉटर काफी सहायक साबित होता है। एक्सपर्ट के अनुसार, महिलाओं को 2 लीटर और पुरुषों को कम से कम 3 लीटर डिटॉक्स वॉटर ज़रूर पीना चाहिए। डिटॉक्स वाटर कैसे बनाये? तो हम आपको बताते हैं कि डिटॉक्स वॉटर घर में आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ एक-एक लीटर पानी की दो बोतलें लीजिए।
कुछ टुकड़े नींबू, कुछ टुकड़े खीरा या जिस भी फ्लेवर का पानी आप पीना चाहती हैं, उस फल के कुछ टुकड़े रात को पानी में डालकर रख दें। अगले दिन छानकर दोनों बोतलें भर लें। दिन भर उसी पानी का सेवन करें। उम्मीद है आपके सवाल डिटॉक्स वाटर कैसे बनाये? का आसान तरीका आपको पता चल गया होगा
शरीर से विषैले टॉक्सिंस को निकालने का सबसे सरल और आसान तरीका है योगा, व्यायाम और मेडिटेशन। अगर हम रोज़ाना अपने शरीर को आधा घंटा देते हैं तो हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचे रहेंगे और डिटॉक्सिफाई रहेंगे। अगर आप वर्किंग हैं और सुबह के समय इतना समय नहीं निकाल पाते हैं तो शाम को व्यायाम करें। सुबह सिर्फ 20 मिनट मॉर्निंग वॉक करना भी काफी फायदेमंद रहता है।
1. विनेगर और बेकिंग सोडा जैसे प्राकृतिक उत्पाद शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करते हैं।
2. साबुन और शैंपू की जगह बेसन या मुल्तानी मिट्टी जैसे प्राकृतिक उत्पादों का इस्तेमाल सही रहता है। इससे केमिकल एक्सपोजर नहीं होता।
1. टेंशन फ्री, मस्त और व्यस्त रहें। दिन भर में थोड़ा व्यायाम ज़रूर करें।
2. किसी भी तरह की दवाई या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
ब्रोकली, प्याज और लहसुन आदि सल्फर रिच खाद्य पदार्थ हैं। इनके सेवन से काडमियम जैसे वेस्ट आसानी से शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ाने के लिए संतरे और स्ट्रॉबेरी से बना डिटॉक्स वाटर पीना चाहिए। दिन में कम से कम एक बार ज़रूर पिएं।
यदि शरीर को ठंडक और ताजगी की जरूरत है तो तरबूज और रोजमेरी से बना पानी पीना चाहिए।
अक्सर देखने में आता है कि वॉटर रिटेंशन के कारण शरीर या पैरों में सूजन हो जाती है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो खीरे और स्ट्रॉबेरी से बना डिटॉक्स वॉटर पीजिए। इससे समस्या तो खत्म होगी ही, साथ में आप ऊर्जा से भरपूर और तरोताजा भी महसूस करेंगी।
वजन कम करने के लिए स्ट्रॉबेरी और कीवी से बना डिटॉक्स वॉटर पीना चाहिए क्योंकि ये फल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं और शरीर के मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखते हैं।