जानें, क्यों हैं स्किन व्हाइटनिंग क्रीम्स स्किन के लिए बेहद खतरनाक
दुनिया में आज भी सफेद स्किन यानि गोरे रंग को सुंदरता का पैमाना माना जाता है। ऐसे में सभी चाहते हैं कि उनकी स्किन हल्के रंग की हो यानि उन्हें गोरा कहा जाए। दुनिया भर के लाखों- करोड़ों लोग अपनी स्किन का रंग हल्का कराने यानि स्किन लाइटनिंग या स्किन व्हाइटनिंग क्रीम्स पर ढेर सारा पैसा बर्बाद करते हैं। लेकिन इन व्हाइटनिंग या लाइटनिंग क्रीम्स का असर स्किन पर कैसा पड़ता है, इस बारे में कोई नहीं सोचना और न ही जानना चाहता है।
कहीं ऐसा न हो कि रंग गोरा कराने के चक्कर में आप अपनी स्किन का नेचुरल टेक्सचर ही खो दें और इन क्रीम्स के ज्यादा इस्तेमाल से आपकी स्किन लूज़ और दाग- धब्बों से भरपूर हो जाए। इस बात को पिछले ही दिनों आई एक रिपोर्ट में समझाया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार बाजार में मिलने वाली व्हाइटनिंग क्रीम दो प्रकार की होती हैं-
1, ब्लीचिंग क्रीम
स्किन व्हाइटनिंग के लिए इस्तेमाल करने वाली ब्लीचिंग क्रीम स्किन पर तेज़ी से काम करती है, लेकिन इसमें ऐसे खतरनाक केमिकल्स होते हैं जो स्किन को रंग देने वाले पदार्थ मेलानिन के प्रोडक्शन को या तो रोक देते हैं या फिर मेलानिन बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं।
2. लाइटनिंग क्रीम
इन क्रीम्स में कुछ कम ख़तरनाक केमिकल्स होते है, और यह लंबे समय तक इस्तेमाल करने के बाद आपकी स्किन को व्हाइट या लाइट करने का वायदा करती हैं।
इस रिपोर्ट का कहना है कि ऐसी सभी स्किन लाइटनिंग और व्हाइटनिंग क्रीम्स इन्हें प्रयोग करने वाले की स्किन को वापस सही न हो सकने वाला नुकसान पहुंचा सकती हैं। ब्रिटेन में बहुत से लोग इस तरह के स्किन डिसॉर्डर्स से पीड़ित हैं जो ब्लीचिंग या लाइटनिंग क्रीम के प्रयोग से हुए हैं।
हार्ले स्ट्रीट डर्मेटोलॉजी क्लीनिक के कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. एडम फ्रीडमैन का कहना है कि ब्लीचिंग क्रीम्स में स्टीरॉइड्स होते है, जिनके इस्तेमाल से स्किन का रंग कुछ हल्का जरूर है, लेकिन यह दरअसल स्किन को थिन यानी पतला करता है।
इनमें क्या है खतरनाक
इन क्रीम्स में स्किन लाइटनिंग केमिकल हाइड्रोक्विनॉन सबसे ज्यादा खतरनाक सामग्री है, जिसे आमतौर पर हाइपर पिगमेंटेशन से पीड़ित मरीजों को लगाने की सलाह दी जाती है। हाइपर पिगमेंटेशन में स्किन कुछ एरियाज़ में आपकी साधारण स्किन से ज्यादा गहरी हो जाती है। ऐसी स्थिति में मरीज़ को सिर्फ कुछ महीनों के लिए ऐसी क्रीम लगाने की सलाह दी जाती है। अगर किसी डॉक्टर की देखरेख में कुछ ही समय के लिए सिर्फ हाइपर पिगमेंटेशन के एरिया में इसका इस्तेमाल किया जाए तो यह ज्यादा नुकसान नहीं करती।
डॉ. एडम फ्रीडमैन ने बताया कि उनके पास अनेक ऐसे भी मरीज आए हैं जो पिछले कई सालों से ऐसी क्रीम्स का इस्तेमाल करने की वजह से अब ओक्रोनोसिस से पीड़ित है। उन्हें लगता था कि इसे लगाते रहने से उनके चेहरे से दाग- धब्बे दूर रहेंगे।
विज्ञापनों पर प्रतिबंध
इन क्रीम्स से होने वाले नुकसान को देखते हुए कुछ देशों में कड़े कदम भी उठाए गए हैं। यहां तक कि भारत में भी ऐसी क्रीम्स के विज्ञापन दिखाने पर 2014 से प्रतिबंध लगाया हुआ है। लेकिन इसके बावजूद दुनिया में इन क्रीम्स को जड़ से खत्म करना मुश्किल है क्योंकि इनका अनेक बिलियन डॉलर की बिजनेस इंडस्ट्री खूब फलफूल रही है। फिर भी विशेषज्ञों को उम्मीद है कि ऐसी क्रीम्स के इस्तेमाल से होने वाले खतरों से आगाह कराने से इस क्षेत्र में लोगों को जागरूक किया जा सकता है।
घरेलू उपाय ज्यादा सही
ऐसा नहीं है कि स्किन को लाइट करने में सिर्फ स्किन लाइटनिंग क्रीम्स ही असरदार होती हैं। ऐसे अनेक घरेलू उपाय भी हैं, जिनसे आप मनचाहा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप वाकई प्राकृतिक उपाय करना चाहते हैं तो योगर्ट और स्ट्रॉबेरीज़ आपकी स्किन के लिए बेहतरीन साबित हो सकते हैं।
योगर्ट और स्ट्रॉबेरीज़
योगर्ट यानि दही में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होता है जो आपकी डेड स्किन को नया जीवन प्रदान करके चमकदार बनाता है। जबकि स्ट्रॉबेरीज़ में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपके पोर्स को क्लीन करके स्किन से दाग- धब्बे कम करते हैं। अगर इन दोनों को मिला दिया जाए तो हैल्दी और ग्लोइंग स्किन पाने का यह बढ़िया नुस्खा साबित होगा।
और अगर आप इससे भी आसान तरीका चाहते हैं तो आप योगर्ट की जगह कच्चे दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको बस थोड़ा सा कच्चा दूध लेकर कॉटन पैड की सहायता से अपनी स्किन पर लगाना है। अगर आप इसे रोजाना करेंगे तो ग्लोइंग और हैल्दी स्किन पा सकते हैं।
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