आयुर्वेद में ऐसी कई पेड़-पौधे हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी हैं। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग उनमें से कुछ एक के बारे में ही जान पाते हैं। क्या आपने आज से पहले कभी चिरायता का नाम सुना है? शायद नहीं! लेकिन चिरायता के पौधे का इस्तेमाल भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत लंबे समय से किया जा रहा है। स्वाद से कड़वा चिरायता एक प्रकार की जड़ीबूटी है जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है। जितना चिरायता का स्वाद कड़वा होता है उतना ही रोगों के इलाज में चिरायता से फायदे (chirata ke fayde in hindi) मिलते हैं। भले है ऊंचे स्थानों में पाई जाती हैं, लेकिन आजकल यह बाजार में कुटकी चिरायते के रूप में बड़ी ही आसानी से उपलब्ध है। चिरायता के सेवन से शरीर से सारे रोगाणु-कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। रक्त एवं त्वचा संबंधी समस्त विकार दूर होते हैं। इसीलिए यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि चिरायता के फायदे क्या-क्या हैं, चिरायता का उपयोग कैसे करें (chirata peene ke fayde) और साथ ही इसके नुकसान भी। पपीते के बीज के फायदे
छुईमुई अका लाजवंती के फायदे और नुकसान
स्वाद में कड़वा व औषधीय गुणों से भरपूर चिरायता को ‘नेपाली नीम’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में होता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। चिरायता (chirata )आमतौर पर आसानी से उपलब्ध होने वाला पौधा नहीं है। चिरायता का मूल उत्पादक देश होने के कारण नेपाल में यह अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत में हिमाचल प्रदेश में कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक काफी ऊंचाई पर इसका पौधा होता है। मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में भी इसको उगाया जाता हैय़ इसका एक दो वर्षीय पौधा 2 से 4 फुट ऊंचा होता है। इसकी पत्तियां चौड़ी भालाकार, 10 cm तक लंबी और 3-4 cm तक चौड़ी होती हैं। नीचे की पत्तियां बड़ी और ऊपर की पत्तियां छोटी होती हैं। चिरायता के फल सफेद रंग के होते हैं। औषधीय प्रयोग के लिए इसके पूरे पौधे का प्रयोग किया जाता है। चिरायता को अन्य भाषाओं में चिरेट्टा (Chiretta), नेलबेवु, कालमेघ, किराततिक्त, कैरात, चिरेता, नेपलीनीम, चिराइता, रामसेनक, तिडा, काडेचिराईत नाम से भी जाना जाता है। गोखरु के फायदे
चिरायता में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट के अलावा जलन-सूजन कम करने, बुखार कम करने व लिवर को सुरक्षा देने संबंधी गुण होते हैं। चिरायता का पौधा हर मामले में स्वास्थ्य के लिए गुणकारी माना जाता है। डायबीटीज कंट्रोल करने के अलावा, चिरायता का उपयोग शरीर से हानिकारक रसायनों को बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है। तो आइए जानते हैं चिरायता के फायदे (chirata benefits in hindi) के बारे में – वजन घटाने के लिए चिया के बीज का उपयोग
बुखार आमतौर पर कीटाणुओं के संक्रमण से होता है। कुछ संक्रमणों में सफेद रक्त कोशिकाओं के साथ सम्पर्क से बुखार करने वाले पदार्थ पैदा होते हैं। ऐसे में चिरायता के सेवन बेहद फायदेमंद (chirata ke fayde) साबित होता है। यदि किसी को लंबे समय से बुखार या सामान्य बुखार है तो ऐसे में चिरायता के पौधे से स्थिति को ठीक किया जा सकता है। जानिए चिरौंजी के फायदे और नुकसान
शुगर में चिरायता के फायदे तो शोध में भी साबित हो चुका है। चिरायता डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों में सबसे प्रभावशाली है। यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है। गोंद कतीरा के फायदे
अगर आपको कब्ज की समस्या रहती है तो ऐसे में चिरायता चूर्ण का सेवन असरदायक होता है। जी हा, चिरायता के चूर्ण का सेवन करके कब्ज की शिकायत को दूर किया जा सकता है। इसके लिए चिरायता, आंवला और मुलेठी के चूर्ण को खूब उबाल लें और फिर अच्छे से छानकर दिन में दो बार पिएं।
अक्सर बच्चों में पेट के कीड़े की शिकायत होती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए चिरायता, तुलसी का रस, नीम की छाल के काढ़े में नीम का तेल मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े दूर हो जाते हैं।
दस्त भी पेट की गड़बड़ी या फिर संक्रमण के कारण होता है। ऐसे में चिरायता बेहद मददगार साबित होता है। इसके लिए 2-4 ग्राम बेल गिरी का चूर्ण खाकर ऊपर से चिरायते का काढ़ा पीने से दस्त में लाभ होता है।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी चिरायता फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि चिरायता में इम्युनो-मॉडुलेटरी का गुण पाया जाता है जिस कारण इसका निरन्तर सेवन प्रतिरक्षा तंत्र को मजूबती प्रदान करने में मदद करता है।
आयुर्वेद में भी कुष्ठ रोग के इलाज के लिए चिरायता और नीम के पत्तों को उपयोगी बताया गया है। चिरायता के पत्तों का लेप घाव को जल्द भरने में मदद करता है क्योंकि चिरायता में स्किन को हील करने का गुण पाया जाता है जो कि घाव को भरने में मदद करता है।
चिरायता के पौधे में एंटी-क्लॉटिंग गुण होते हैं, जो कि खून के नियमित प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। इससे दिल के दौरे पड़ना का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा चिरायता का पौधा ब्लड क्लॉटिंग को रोकने में भी असरदार है। खून को पतला करने के लिए कई दवाओं में चिरायता का इस्तेमाल किया जाता है।
चिरायता के फायदे तो आपने ऊपर जान ही लिए। आइए अब जानते हैं कि चिरायता का उपयोग कैसे करें यानि कि चिरायता कितना दिन पीना चाहिए और उसके घरेलू उपाय –
चिरायता का लेप बनाकर कई तरह की सूजन को कम किया जा सकता है। चिरायते के पानी से योनि को धोकर पेडू़ और योनि पर चिरायता का लेप करें। ऐसा करने से गर्भाशय की सूजन तक कम हो जाती है।
3 से 4 ग्राम चिरायता लेकर उसके चूर्ण से काढ़ा बनाएं। इसे उबाल लें जब तक पानी एक चौथाई न बचे। बुखार होने पर दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो स्वाद के लिए मिश्री मिला सकते हैं।
आधा चम्मच चिरायता चूर्ण दिन में दो बार शहद या देशी घी के साथ सेवन करने से गठिया, दमा, रक्तविकार, मूत्र संबंधी परेशानी, खांसी, कब्ज, अरुचि, कमजोर पाचनशक्ति, मधुमेह, श्वास नलिकाओं में सूजन, अम्लपित्त तथा दिल के रोगों में लाभ मिलता है।
चिरायता रस को पानी या दूध में मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से रुका हुआ बुखारठीक हो जाता है। इसके अलावा चिरायता सत्व का पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से भी लाभ होता है।
यह सच है कि हमारे स्वास्थ्य के लिए चिरायता के फायदे कई हैं, लेकिन इसका सेवन ज़रूरत से अधिक नहीं करना चाहिए। आइये, जानते हैं कि इससे आखिर क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं –
चिरायता एक औषधीय पौधा है, जोकि ऊंचाई पर पाया जाता है. यह एकवर्षीय/द्विवर्षीय सीधा, बहुत सी शाखाओं वाल .5 मीटर लंबा कड़वा पौधा होता है। इसका तना नीचे से बेलनाकार तथा चार कोणीय धर्वमुखी ऊर्ध्वमुखी होता है। इसे नेपाली नीम (chirata ke fayde in hindi) के नाम से जाना जाता है।
चिरायता की तासीर ठंडी होती है, इसीलिए गर्मी में इसकी पत्तियों का सेवन शरीर के लिए विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है।
कालमेघ और चिरायता में अंतर की बात को लेकर काफी मतभेद हैं। बहुत से लोग इसे एक ही पौधा मानते हैं वहीं कई विद्वानों का मत है कि चिरायता, कालमेघ की तुलना में अधिक कड़वा होता है।
चिरायता की छोटी-बड़ी अनेक जातियां होती हैं। उस आधार पर कलपनाथ, गीमा, शिलारस, आदि चिरायता के प्रकार (chirata ke fayde) के हैं।