मौसमी बदलाव, संक्रमण और खासतौर पर सर्दी के मौसम में खांसी-जुकाम का होना आम बात है। लेकिन कभी-कभी खांसी के कारण बलगम यानि कि कफ बनने की समस्या बढ़ने लगती है। गले व नाक की ग्रंथि एक दिन में कम से कम 1 से 2 लीटर बलगम का उत्पादन करती हैं। बलगम या कफ की अत्याधिक मात्रा होना, परेशान करने वाली समस्या हो सकती है। बलगम एक तरह का गाढ़ा और चिपचिपा तरल पदार्थ होता है (balgam kya hota hai), जिससे गले या छाती में जमाव यानि कि जकड़न महसूस होने लगती है। इससे श्वसन तंत्र तो प्रभावित होता ही है, साथ ही उससे जुड़े दूसरे अंगों में भी परेशानी पैदा हो सकती है। कई बार तो जब समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तो सीने और गले में दर्द भी होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि आप समय रहते बलगम का इलाज करें जो कफ को शरीर से बाहर निकाल सकें। यहां हम आपको आज बलगम बनने के कारण और बलगम का आयुर्वेदिक उपचार (balgam treatment in hindi) बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप इस समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकते हैं।
बलगम वैसे तो आपकी श्वसन प्रणाली का एक स्वस्थ हिस्सा होता है लेकिन इससे दिक्कत तब होती है जब ये या तो पतला होने लगता है या फिर गाढ़ा। ऐसी स्थिति में इसे शरीर से बाहर निकालना बेहद जरूरी हो जाता है। शरीर में कफ बनने के कई कारण होते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं ज्यादा बलगम बनने के कारण (balgam banne ke karan) के बारे में –
जब किसी व्यक्ति को जुकाम या फिर फ्लू होता है तो इस दौरान नाक और गले में पतले बलगम का निर्माण होता है। लेकिन जब शरीर वायरस पर प्रतिक्रिया देने लगता है तो यही बलगम गाढ़े पीले रंग में बदल जाता है।
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ब्रोंकाइटिस एक ऐसी समस्या है जो कि बैक्टीरिया या वायरल इन्फेक्शन से होती है, इसमें सांस की नली और फेफड़ों में सूजन, जलन आदि हो सकते हैं।
निमोनिया इन्फेक्शन से होने वाली बीमारी है. निमोनिया में पीड़ित व्यक्ति के फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है। निमोनिया होने पर व्यक्ति को बुखार, छाती में कफ जमा होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
जी हां, गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन (Estrogen) हार्मोन को भी बलगम का उत्पादन करने तथा उसको अधिक गाढ़ा या पतला करने के लिए जाना जाता है।
कुछ ऐसे भी खाद्य पदार्थ होते हैं जिनके सेवन से बलगम ज्यादा बनने लगता है। जैसे कि दूध या फिर दूध से बने उत्पाद गले में ज्यादा बलगम बनाने लगते हैं। इसीलिए यदि किसी को खांसी हो रही हो तो उसे खासतौर पर दही और मक्खन का सेवन करने से मना किया जाता है। इसके अलावा चावल, उड़द, मक्खन, मांसाहार, नमक, चीनी और सोया आदि भी बलगम बढ़ाने का काम करते हैं।
जब भी मौसम में बदलाव आता है तो कुछ लोगों में मौसमी एलर्जी की समस्या देखने को मिलती है। इस दौरान आंखों में जलन, खांसी, गले में बलगम जमना, जुकाम या फिर बुखार जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
बलगम की समस्या होने पर एलोपैथिक दवा लेने से साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इसकी जगह आयुर्वेदिक दवाएं या घरेलू उपचार ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं। कई घरेलू नुस्खों से कफ यानि बलगम की दिक्कत को दूर किया जा सकता है। तो आइए जानते हैं बलगम का आयुर्वेदिक उपचार (kaf ka ilaj) के बारे में –
गुड़ का सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना गया है। अगर आपको कफ या बलगम की समस्या है तो गुड़ का सेवन जरूर करें। क्योंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है, जिससे यह कफ को कम करने में मदद करता है। आप चाहें तो गुड़ में अदरक का रस डालकर चूस सकते हैं या फिर काढ़े में गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अदरक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गले और सांस लेने वाली नली में जमा टॉक्सिन को साफ करते हैं और कफ को बाहर निकालने में मदद करते हैं। अदरक के टुकड़े के साथ जरा सा नमक खाने से इसका फायदा दोगुना हो जाता है और कफ या बलगम की समस्या से तुरंत राहत मिलती है।
जी हां, बलगम दूर करने के लिए आयुर्वेद में कुछ खास तरहके तेल के फायदों के बारे में बताया गया है। जैसे कि पुदीना, दालचीनी, रोजमैरी, अजवायन, तुलसी और नीलगीरी तेल। भाप लेते समय आप इन तेल की कुछ बूंदे गर्म पानी में डाल लें, इससे गले और छाती में जमा बलगम (balgam nikalne ka tarika) ढीला हो जायेगा और आसानी से बाहर आ जायेगा।
काली मिर्च को किंग ऑफ स्पाइस के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसमें एंटी बैक्टेरियल गुण होते हैं यह शरीर को बीमारियों से बचाते हैं। अगर आप भी कफ़ और बलगम से लम्बे समय से पीड़ित हैं तो मिश्री और काली मिर्च के सेवन से आपको इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है। कफ से छुटकारा पाने के लिए इन्हें आयुर्वेद में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
बलगम और कफ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप कुंजल क्रिया का सहारा ले सकते हैं। सुबह खाली पेट तीन से पांच गिलास गुनगुना पानी पीकर कुंजल क्रिया करें। कागासन में बैठ कर तीन से पांच गिलास पानी लगातार पिएं। फिर खड़े होकर नीचे झुकते हुए बायां हाथ पेट के ऊपरी भाग पर दबाएं और सीधे हाथ की तीन उंगलियां जीभ के ऊपरी भाग पर दबा कर उल्टी करें। यह कुंजल क्रिया है।
सेंधा नमक आपके लिए बेहद फायदेमंद है। सेंधा नमक मुंह में जमा हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है और ये कफ का भी इलाज करता है साथ ही आपकी ओरल हेल्थ का भी ख्याल रखता है। गर्म पानी में एक चुटकी नमक डालकर गरारे करने से भी गले को आराम मिलता है। गले में इंफेक्शन होने की कई समस्याओं को इस उपाय से ठीक किया जा सकता है।
अगर कफ की समस्या से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने शरीर को हाइड्रेट रखें। आयुर्वेद के अनुसार बलगम और कफ की समस्या होने पर खूब पानी पीने और तरल पदार्थ लेने से गले में जमा कफ को पतला करने में मदद मिल सकती है।
सेब के सिरके में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो कफ या बलगम बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं। सेब के सिरके को गर्म पानी या फिर चाय में दिन भर में 2 चम्मच मिलाकर पीने से बलगम दूर करने में मदद मिलेगी जिससे कंजेशन और साइनस का दबाव कम होगा। आप चाहें तो स्वाद के लिए इसमें नींबू और शहद मिलाकर पी सकते हैं।
सर्दी-खांसी एक आम बीमारी है। बदलते मौसम के कारण खांसी से गले में बलगम की दिक्कत हो जाती है। खांसने से गले में खराश, गले में सूजन और गले में बलगम जमने लगता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए लोग तरह-तरह की दवाओं का सेवन करते हैं लेकिन अक्सर प्रभाव अस्थायी होता है। तो गले में बलगम के कारण अगर आपको हमेशा खांसी रहती है तो कुछ घरेलू उपाय फायदेमंद होते हैं। ये घरेलू नुस्खे न सिर्फ गले में बलगम का इलाज (balgam kaise nikale) करते हैं बल्कि खांसी और शरीर की अन्य समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी मदद करते हैं। इन उपायों से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। तो आइए जानते हैं गले में बलगम का इलाज (balgam ka ilaj) के घरेलू नुस्खों के बारे में –
सर्दी या फिर खांसी की वजह से अक्सर गले के साथ-साथ छाती में बलगम पहुंच जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ या फिर छाती में कुछ जमा हुआ महसूस होने लगता है। इस समस्या में समय रहते ही उपचार शुरू कर देने चाहिए नहीं तो आगे चलकर ये बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे आयुर्वेदिक उपचार यानि कि घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जिनकी मदद से छाती में बलगम का इलाज ( balgam ka ilaj in hindi) किया जा सकता है –
फेफड़ो से बलगम निकालने के लिए नैचुरोपैथी का सहारा ले सकते हैं। नैचुरोपैथी में कुंजल क्रिया के अलावा लपेट विधि और भाप लेने की प्रक्रियाओं से फेफड़ों को राहत मिलने से बलगम से छुटकारा (balgam nikalne ka tarika) मिल सकता है।
बलगम से तुरंत छुटारा पाने के लिए नोजल स्प्रे का इस्तेमाल करें और तरल पदार्थों का सेवन करें। इसी के साथ कफ (kaf ka ilaj) को दबाने का प्रयास मत करें बल्कि उसे बाहर निकाल दें।
वात, पित्त, कफ इन तीनों को दोष कहते हैं। इनमें से कफ दोष पांच प्रकार के होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं – क्लेदन, अवलम्बन, श्लेषमन, रसन और स्नेहन कफ।