मां का दूध बच्चे के लिए अमृत माना जाता है जो उसे कई तरह की बीमारियों से बचाने में सहायक है। नवजात शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग यानि कि स्तनपान कराने से न केवल बच्चे को बल्कि मां को भी कई फायदे होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे के विकास के लिए उचित पोषण मिलता है, वहीं मां को प्रेग्नेंसी फैट से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा बच्चे के नर्वस सिस्टम में सुधार कर मां को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम होता है।
साथ ही, स्तनपान से मां और बच्चे के बीच का बंधन मजबूत होता है। लेकिन वर्तमान व्यस्त जीवनशैली और मोबाइल फोन की बढ़ती लत के कारण कई माताएं अपने बच्चों को दूध पिलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही हैं। अगर आप भी इस लिस्ट में शामिल हैं तो अगली बार इसे करने से पहले इसके साइड इफेक्ट के बारे में भी जान लें।
स्तनपान कराते समय मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के नुकसान | Avoid Using Your Mobile Phone While Breastfeeding Tips In Hindi
स्तनपान कराने के दौरान टेक्स्ट करना ‘ब्रेक्सटिंग’ के रूप में जाना जाता है। आज के समय में ज्यादातर माएं बच्चों से कनेक्शन बनाने की जगह की ब्रेस्ट फीड के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं, जिसके परिणाम बेहद निराशाजनक देखने को मिलते हैं। आइए जानें कि नवजात शिशु को स्तनपान कराते समय मोबाइल फोन का उपयोग करने के क्या नुकसान हैं।
रेडिएशन रिस्क
WHO के अनुसार, मोबाइल फोन में लेड, जेट फ्यूल और DDT के समान रेडिएशन का स्तर होता है। मोबाइल फोन से निकलने वाला यह रेडिएशन लोगों खासकर बच्चों तक पहुंच सकता है, जो चिंता का विषय है। कहा जाता है कि फोन के इस्तेमाल से बच्चों के डीएनए और दिमाग को भी नुकसान पहुंचता है।
आई कॉन्टेक्ट नहीं बनता
अपने जीवन के पहले 6 महीनों के दौरान स्तनपान करते समय एक मां और उसके बच्चे के बीच आंखों का संपर्क मातृ लगाव को मजबूत करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्तनपान कराने के दौरान अपने फोन इस्तेमाल करने से आप अपने बच्चे के साथ आई कॉन्टेक्ट करने से चूक सकती हैं। शोध से यह भी पता चलता है कि मां और बच्चे के बीच आंखों का संपर्क उनकी भावनाओं और दिमाग को ‘सिंक’ कर देता है। यह बच्चे के लिए भविष्य में सीखने और संचार कौशल को बढ़ाने में मदद करता है।
सांस का रूकन या गर्दन का लटकना
जी हां, दूध पिलाते समय बच्चे की सांस रुक सकती है। स्मार्टफोन की वजह से मां का ध्यान शिशु पर नहीं जा पाता, ऐसे में शिशु का मुंह स्तन के नीचे दब सकता है। वह रो नहीं पाएगा और उसकी सांस घुटने लग सकती है। इसके अलावा अगर दूध पिलाते समय मोबाइल चलाने की वजह से शिशु की पोजिशन पर ध्यान न देने से उसकी गर्दन लटक सकती है। क्योंकि शिशु उस समय खुद को बैलैंस नहीं कर पाता है।
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नर्सिंग पैटर्न को ट्रैक नहीं कर पाएंगे
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शिशु के नर्सिंग पैटर्न पर नजर रखना बहुत जरूरी है। ऐसा करते समय मां को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध और पोषक तत्व मिलें। साथ ही, क्या बच्चे को स्तनपान कराते समय अपनी स्थिति बदलने की जरूरत है या क्या वह दूध पिलाते समय कहीं सो रहा है? लेकिन अगर बच्चे को दूध पिलाते समय मां फोन का इस्तेमाल करती है तो वह नर्सिंग पैटर्न को ट्रैक नहीं कर पाएगी।
स्तनपान के दौरान मां और बच्चे के बीच का बंधन और मजबूत हो जाता है। हालांकि, यह मां पर निर्भर करता है कि वह बच्चे को दूध पिलाते समय मोबाइल फोन का उपयोग करे या नहीं। लेकिन मां को नियमित रूप से ऐसा करने से बचना चाहिए।
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