उत्तराखंड के पंच केदार और उनसे जुड़ी पौराणिक कथा – About Panch Kedar in Hindi
उत्तराखंड के पंच केदार केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ और कल्पेश्वर हैं। वैसे तो इसके अलावा भी कई उत्तराखंड में कई अन्य देवों के स्थान भी हैं और इसी कारण से उत्तराखंड को देवभूमि यानी की देवों की भूमि भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि के इस मौके पर (महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं) हम आपको उत्तराखंड में स्थित पंचकेदारों के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
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पंच केदार का इतिहास – Panch Kedar Shiva ki kahani
केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Temple
केदारनाथ को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 11वां सबसे महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग माना जाता है। केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल श्रावण पूर्णिमा को खोले जाते हैं। यह समुद्र तल से 3553 मी. ऊंचाई पर स्थित है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ में भगवान शिव के पश्च भाग यानी कि पीठ की पूजा की जाती है। माना जाता है कि केदारनाथ जाने से किसी भी मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी माना जाता है कि केदारनाथ की स्थापना पांडव के वंशज जन्मेजय ने की थी।
मदमहेश्वर मंदिर – Madmaheshwar Temple
पंच केदार (panch kedar) में मदमहेश्वर को दूसरा केदार माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के नाभि की पूजा की जाती है। यह मंदिर समुद्र तल से 3499 मी. की ऊंचाई पर स्थित है और यह भी उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। सर्दियों में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो मदमहेश्वर की पूजा ऊखीमठ में की जाती है। इस मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर धौला क्षेत्रपाल नामक गुफा भी स्थित है।
तुंगनाथ मंदिर – Tungnath Temple
तुंगनाथ तीसरा केदार है। इस मंदिर में भगवान शिव की भुजाओं की पूजा होती है क्योंकि यह स्थान शिवजी भुजा या फिर बांह के रूप में मशहूर है। तुंगनाथ भी रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। तुंगनाथ मंदिर चंद्रशिला पर्वत के बीच में स्थित है। इस मंदिर के पास एक रावण शिला भी है। मान्यता है कि रावण ने यहीं पर भगवान शिव की आराधना की थी। शीतकाल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो तुंगनाथ की पूजा मंकूमठ में की जाती है। यह मंदिर उत्तराखंड की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर में से एक है।
रूद्रनाथ मंदिर – Rudranath Temple
रूद्रनाथ चौथा केदार है। यह मंदिर समुद्र तल से 3559 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। रूद्रनाथ मंदिर गोपेश्वर, चमोली से 18 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है। रूद्रनाथ मंदिर से द्रोणागिरी, चौखम्भा, नन्दादेवी आदि पर्वत के शिखर साफ दिखाई देते हैं। शीतकाल में जब इस मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो रूद्रनाथ की पूजा गोपेश्वर मंदिर में की जाती है।
कल्पेश्वर मंदिर – Kalpeshwar Temple
कल्पेश्वर पांचवा केदार है। इस मंदिर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा की जाती है। यह मंदिर समुद्र तल से 2134 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। कल्पेश्वर भी चमोली जिले में स्थित है। इस मंदिर की ऊंचाई ज्यादा नहीं है और इस वजह से इसके कपाट शीतकाल में भी खुले रहते हैं।