लाइफस्टाइल

#RealShakti: चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे थी ऋतु करिधल, देश की हैं रॉकेट वुमन

Garima Anurag  |  Oct 20, 2023
RItu Karidhal

बचपन में ज्यादातर लड़कियां क्या सोचती हैं? चंदा तारों से उनका वास्ता किसी प्रिंस चार्मिंग से ज्यादा जुड़ा होता है। चांद सी महबूबा, झिलमिल सितारों सा आंगन जैसी बातें सुनकर बड़े होना  हुई होती हैं। ऐसे में अगर कोई लड़की बचपन से ही छत पर बैठकर आकाश में चांद और सितारों की दुनिया को समझने के लिहाज से देखें तो वाकई बड़ी बात है। तभी शायद इस लड़की को आज देश में लोग रॉकेट वुमन ऋतु करिधल कहकर बुलाते हैं। 

चाँद के साउथ पोल पर चंद्रयान 3 का सफलता से पहुंचना देश और दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता रही है। इस मिशन को पूरी करने वाले भारतीय वैज्ञानिकों की पीठ दुनियाभर में थपथपाई गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक डॉ. रितु करिधल श्रीवास्तव ने ही इस मिशन का नेतृत्व किया था। इसके पहले वो देश के मंगल ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) मंगलयान की डेप्युटी ऑपरेशन्स डायरेक्टर भी थीं।

नासा, इसरो की कटिंग करती थी कलेक्ट 

Image Source- Hindustan Times

ऋतु करिधल पर छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक ऋतु को बचपन से ही साइंस, स्पेस और तारों की दुनिया आकर्षित करती थी। वो बचपन से ही नासा और इसरो की खबरों की पेपर कटिंग इकट्ठा करती थी। 

मैथ्स के नंबरों से खेलना रहा है पसंद

Image Source- Lifestyle Asia

ऋतु को पढ़ना लिखना बचपन से ही पसंद रहा है। वो मैथ्स पढ़ना बहुत एंजॉय करती थी और हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी। उन्हें नम्बरों पर ही कविता लिखना भी बहुत पसंद था। 

काम के प्रति डेडिकेशन है जबरदस्त

ऋतु के परिवार में पति और दो बच्चे हैं। अपने दिनचर्या पर बात करते हुए उन्होंने बताया था कि वो ऑफिस से घर आने के बाद बच्चों की पढ़ाई कराने और घर के काम निपटाने के बाद सुबह चार बजे तक भी ऑफिस का काम करती हैं। ऋतु के पति अविनाश श्रीवास्तव बेंगलुरु की एक कंपनी में काम करते थे।

लिख चुकी हैं की रिसर्च पेपर

Image Source- Jagaran

इसरो के प्रोजेक्ट्स के अलावा ऋतु ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में 20 से अधिक रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किए हैं। 

इनकी शिक्षा और मिले सम्मान

Image Source-

कारिधल का जन्म और पालन-पोषण लखनऊ में हुआ है। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से भौतिकी में बीएससी की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमई की डिग्री प्राप्त की। वह 1997 में इसरो में शामिल हुईं।

डॉ. रितु को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा ‘इसरो यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ मिल चुका है। उन्हें सोसायटी ऑफ इंडियन एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज एंड इंडस्ट्रीज (SIATI) द्वारा ‘2015 में MOM के लिए इसरो टीम अवार्ड’, ‘ASI टीम अवार्ड’, ‘वीमेन अचीवर्स इन एयरोस्पेस, 2017’ भी मिला है।

Read More From लाइफस्टाइल