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क्या था ये ‘मोमो गेम’ जो मासूमों की जान से कर रहा था खिलवाड़

Archana Chaturvedi  |  Aug 21, 2018
क्या था ये ‘मोमो गेम’ जो मासूमों की जान से कर रहा था खिलवाड़

अगर आपका कोई जानकर या बच्चे चोरी- छिपे अपने लैपटॉप या मोबाइल पर ‘मोमो’ नाम का गेम खेल रहे हैं तो उन्हें ऐसा करने से किसी भी तरह रोक दें। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि ये गेम कोई आम मोबाइल गेम नहीं बल्कि एक सुसाइड गेम है, जो आपके मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

आपको बता दें कि इस तरह के फालतू गेम्स कुछ शरारती तत्वों के दिमाग की उपज होती है। इन गेम्स के जरिए वो मासूमों के दिमाग से खेलते हैं और उन्हें ब्लेकमेल कर पैसा कमाने या उन्हें जान से मारने की साजिश रचते हैं। कई देशों में तो भारत व अन्य देशों के खिलाफ इनके जरिये ये साजिश भी रची जा रही है कि आने वाली नस्लों को दिमागी तौर पर कमजोर या खत्म कर दिया जाए।

मुंबई पुलिस ने ट्विटर पर लिखा है कि- मोमो को नो नो कहें …

क्या है ये मोमो चैलेंज और कैसे बनाता है ये मासूमों को शिकार

इस खतरनाक गेम की शुरूआत होती है एक अज्ञात नंबर से। इस नंबर के जरिये व्हाट्सअप पर एक मैसेज भेजा जाता है। फिर उसमें दोस्ती करने के लिए एक चैलेंज दिया जाता है। इसके बाद अगले स्टेप में बात करने का चैलेंज दिया जाता है। फिर यूजर को डरावनी फोटो और वीडियोज भेजी जाती हैं। अगर यूजर उनके जरिए दिये गये टास्क को पूरा नहीं कर पाता या मना कर देता है तो उसे अलग- अलग तरीकों से डराया जाता है, जान से मारने की धमकी भी दी जाती है। इसमें एक डरावनी जापानी गुड़िया का चेहरा बनकर आता है जो अपनी बड़ी- बड़ी आंखों से यूजर को डराती है। इस डर की वजह यूजर इनके टास्क को पूरा करने लग जाता है और अंत में सुसाइड का टास्क दिया जाता है जिसे मानकर यूज़र सच में सुसाइड कर लेते हैं। सुसाइड नहीं कर पाते तो डिप्रेशन में चले जाते हैं। कुछ लोग इसलिए भी सुसाइड कर लेते हैं ताकि उन्हें और टास्क पूरे न करने पड़ें। इसका शिकार ज्यादातर किशोर बच्चे बन रहे हैं।

मोमो चैलेंज गेम से कैसे बच सकते हैं –

– अपने व्हाट्सअप वाला नंबर सिर्फ जानकारों को ही दें।

– अपने फोन पर किसी अज्ञात का फोन नंबर सेव न करें।

–  मोमो चैलेंज गेम खेलने वाले दोस्तों से दूर रहें और उनकी शिकायत करें।

– अगर कोई आपको मोमो गेम की फोटो भेजे या उससे सम्बंधित कोई काम करने को कहे तो उस नंबर को तुरंत ब्लॉक कर दें। कोई जवाब न दें और तुरंत को पुलिस को इसकी जानकारी दें ।

– अपने बच्चों को इस तरह के खेल खेलने के लिए पहले से ही अलर्ट कर दें।

इस तरह कर सकते हैं आप मासूमों की मदद

आजकल हर बच्चा पहले की तुलना में ज्यादा स्मार्ट होता है। उन्हें टेक्निकल चीजें ज्यादा पसंद आती हैं। फिजिकल गेम की तरफ रुचि न रखते हुए वह मोबाइल, इंटरनेट गेम्स खेलना पसंद करते हैं। इसमें उनकी रुचि नहीं, बल्कि उनका अकेलापन भी काफी हद तक जिम्मेदार होता है। छोटे और व्यस्त परिवारों में बच्चों को पैरेंट्स उतना समय नहीं दे पाते, जितना उन्हें मिलना चाहिए। इसके चलते बच्चे अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं और आसानी से किसी के भी जाल में फंंस जाते हैं। ऐसा न हो इसके लिए आप ये तरीके अपनाएं –

– बच्चों के साथ पूरे दिन में कम से कम 2-3 घंटे का समय बिताएं।

– उनसे हर मुद्दों पर खुल कर बात करें।

– सही और गलत की समझ करना सिखाएं।

– बच्चों के साथ अपने भावनात्मक संबंध बनाएं, उन्हें बताएं कि आप उनकी परवाह करते हैं।

– मोबाइल और इंटरनेट इस्तेमाल करने का समय निश्चित करें।

– किताबों से उनकी दोस्ती कराएं।

 

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